शहरी बैंकिंग

शायद यह भूमिका हमारे कार्यकलापों का सबसे अधिक अघोषित पहलू है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत सुविधा के निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए संस्थानों की स्थापना करना, वहनीय वित्तीय सेवाओं की पहुंच में विस्तार करना और वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना शामिल है।

प्रेस प्रकाशनी


बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35क के अंतर्गत निदेश - मराठा सहकारी बैंक लिमिटेड, महाराष्ट्र

31 अगस्त 2017

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35क के
अंतर्गत निदेश - मराठा सहकारी बैंक लिमिटेड, महाराष्ट्र

भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहाकारी समितियों यथा लागू) की धारा 35क के तहत मराठा सहकारी बैंक लिमिटेड, मुंबई, महाराष्ट्र को 31 अगस्त 2016 के निदेश द्वारा 6 माह के लिए (अर्थात 28 फरवरी 2017 तक के लिए) निदेश जारी किया था जिसे 23 फरवरी 2017 के अनुवर्ती निदेश द्वारा संशोधित कर दिया गया था। ये निदेश समीक्षाधीन 31 अगस्त 2017 तक छह माह के लिए वैध हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक इस बात से संतुष्ट है कि सार्वजनिक हित में, मराठा सहकारी बैंक लिमिटेड, मुंबई, महाराष्ट्र को जारी 31 अगस्त 2016 के तथा 23 फरवरी 2017 के संशोधित निदेश के परिचालन अवधि को बढ़ाना आवश्यक है। तदनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए के उप-धारा (1) में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए, एतदद्वारा यह निदेश देता है कि मराठा सहकारी बैंक लिमिटेड, मुंबई, महाराष्ट्र को जारी 31 अगस्त 2016 के निदेश जिसे समय –समय पर संशोधित किया गया है, की वैधता 31 अगस्त 2017 तक बढ़ाई गई थी, समीक्षाधीन 01 सितम्बर 2017 से 28 फरवरी 2018 तक अगले छह महीने के लिए बैंक पर लागू रहेगा।

समय –समय पर यथासंशोधित संदर्भित निदेश के अन्य नियम और शर्तें अपरिवर्तित रहेंगी।

अजीत प्रसाद
सहायक परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी: 2017-2018/594

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