Click here to Visit the RBI’s new website

BBBPLogo

बैंकिंग प्रणाली का विनियामक

बैंक राष्‍ट्रीय वित्‍तीय प्रणाली की नींव होते हैं। बैंकिंग प्रणाली की सुरक्षा एवं सुदृढता को सुनिश्चित करने और वित्‍तीय स्थिरता को बनाए रखने तथा इस प्रणाली के प्रति जनता में विश्‍वास जगाने में केंद्रीय बैंक महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

अधिसूचनाएं


चलनिधि मानकों पर बासल III संरचना – चलनिधि कवरेज अनुपात (एलसीआर) – उच्च गुणवत्ता युक्त चलआस्तियों (एचक्यूएलए) पर हेयरकट की समीक्षा और जमाराशियों की कुछ श्रेणियों पर संरचना और रन-ऑफ दरों की समीक्षा

आरबीआई/2025-26/27
विवि.एलआरजी.आरईसी.18/03.10.001/2025-26

21 अप्रैल 2025

महोदया / महोदय,

चलनिधि मानकों पर बासल III संरचना – चलनिधि कवरेज अनुपात (एलसीआर) – उच्च गुणवत्ता युक्त चलआस्तियों (एचक्यूएलए) पर हेयरकट की समीक्षा और जमाराशियों की कुछ श्रेणियों पर संरचना और रन-ऑफ दरों की समीक्षा

कृपया ‘चलनिधि मानकों पर बासल III संरचना – चलनिधि कवरेज अनुपात (एलसीआर), चलनिधि जोखिम निगरानी साधन तथा एलसीआर प्रकटीकरण मानक’ और संबंधित दिशानिर्देशों पर दिनांक 09 जून 2014 के परिपत्र डीबीओडी.बीपी.बीसी.सं.120/21.04.098/2013-14 का संदर्भ लें। इस विषय पर 25 जुलाई 2024 को जारी मसौदा परिपत्र का भी संदर्भ आमंत्रित किया गया है, जिसमें सभी हितधारकों से फीडबैक आमंत्रित किया गया है।

2. प्राप्त फीडबैक का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया गया है तथा यह निर्णय लिया गया है कि अंतिम दिशानिर्देशों को निम्नानुसार जारी किया जाए:

  1. बैंक को खुदरा जमाराशियों के लिए 2.5 प्रतिशत का अतिरिक्त रन-ऑफ फैक्टर निर्धारित करना होगा, जो इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग सुविधाओं (आईएमबी)1 से युक्त हैं, अर्थात्, आईएमबी सुविधाओं से युक्त स्थिर खुदरा जमाराशियों के लिए 7.5 प्रतिशत रन-ऑफ फैक्टर होगा तथा आईएमबी सुविधाओं से युक्त कम स्थिर जमाराशियों के लिए 12.5 प्रतिशत रन-ऑफ फैक्टर होगा (वर्तमान में निर्धारित क्रमशः 5 और 10 प्रतिशत के स्थान पर)।

  2. गैर-वित्तीय लघु व्यवसाय ग्राहकों (एसबीसी) द्वारा प्रदान की गई अरक्षित थोक निधि को उपर्युक्त (i) के अनुसार खुदरा जमाराशियों की सुविधा के अनुसार माना जाएगा।

  3. सरकारी प्रतिभूतियों के रूप में स्तर 1 एचक्यूएलए का मूल्यांकन उनके वर्तमान बाजार मूल्य से अधिक राशि पर नहीं किया जाएगा, जिसे समय-समय पर यथा संशोधित दिनांक 6 जून 2018 के आरबीआई परिपत्र एफएमओडी.एमएओजी संख्या 125/01.01.001/2017-18 में वर्णित चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) के तहत मार्जिन संबंधी अपेक्षाओं के अनुरूप लागू हेयरकट के लिए समायोजित किया जाएगा।

  4. यदि कोई जमाराशि, जिसे अब तक एलसीआर गणना से बाहर रखा गया है (उदाहरण के लिए, गैर-प्रतिदेय सावधि जमाराशि), क्रेडिट सुविधा या ऋण प्राप्त करने के लिए संपार्श्विक के रूप में संविदात्मक रूप से गिरवी रखी जाती है, तो ऐसी जमाराशि को एलसीआर प्रयोजनों के लिए प्रतिदेय माना जाएगा और इस पर 23 मार्च 2016 के परिपत्र डीबीआर.बीपी.बीसी. संख्या 86/21.04.098/2015-16 के अनुबंध के क्रम संख्या 9 के प्रावधान लागू होंगे।

3. 23 मार्च 2016 को जारी 'चलनिधि जोखिम प्रबंधन और चलनिधि मानकों पर बासल III संरचना - चलनिधि कवरेज अनुपात (एलसीआर), चलनिधि जोखिम निगरानी साधन तथा एलसीआर प्रकटीकरण मानक' पर परिपत्र डीबीआर.बीपी.बीसी.सं.86/21.04.098/2015-16 के अनुबंध के क्रम संख्या 10 का भी संदर्भ आमंत्रित किया जाता है, जिसमें यह प्रावधान है कि हिंदू अविभक्त परिवार (एचयूएफ), भागीदारी, व्यक्तियों के संघ (एओपी), ट्रस्ट इत्यादि जैसी संस्थाओं की जमाराशियों को अरक्षित थोक वित्तपोषण श्रेणी के तहत 'अन्य विधिक संस्थाओं (ओएलई)' की जमाराशि के रूप में माना जाएगा और इस पर 100 प्रतिशत की रन-ऑफ दर लागू होगी, बशर्ते कि उन्हें एलसीआर प्रयोजन के लिए एसबीसी के रूप में नहीं माना जाता है।

4. समीक्षा के आधार पर अब यह निर्णय लिया गया है कि ओएलई श्रेणी में बैंकों/बीमा कंपनियों और वित्तीय संस्थानों2 तथा ‘वित्तीय सेवाओं के कारोबार’3 में लगी संस्थाओं से प्राप्त सभी जमाराशियां और अन्य निधियन शामिल होंगे। इस प्रकार, ट्रस्ट (शैक्षिक/धार्मिक/धर्मार्थ), व्यक्तियों के संघ (एओपी), भागीदारी, स्वामित्व, सीमित देयता भागीदारी और अन्य निगमित संस्थाओं आदि जैसी गैर-वित्तीय संस्थाओं से प्राप्त निधियन को 'गैर-वित्तीय कंपनी' से प्राप्त निधियन के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा और इस पर 40 प्रतिशत की रन-ऑफ दर लागू होगी (वर्तमान में निर्धारित 100 प्रतिशत के स्थान पर4), जब तक कि उपर्युक्त संस्थाओं को एलसीआर संरचना के अंतर्गत एसबीसी के रूप में नहीं माना जाता है।

5. इन संशोधनों से भारत में बैंकों की चलनिधि आघात-सहनीयता सुधारने में मदद मिलेगी और दिशानिर्देशों को वैश्विक मानकों के साथ संरेखित किया जा सकेगा, साथ ही यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि इस तरह की वृद्धि निर्बाध तरीके से की जाए।

6. तदनुसार, दिनांक 09 जून 2014 के परिपत्र, पूर्वोक्त और 23 मार्च 2016 के परिपत्र डीबीआर.बीपी.बीसी.सं.86/21.04.098/2015-16 ‘चलनिधि जोखिम प्रबंधन और चलनिधि मानकों पर बासल III ढांचा – चलनिधि कवरेज अनुपात (एलसीआर), चलनिधि जोखिम निगरानी साधन तथा एलसीआर प्रकटीकरण मानक’ में मौजूदा अनुदेशों में किए गए संशोधन अनुबंध में दिए गए हैं।

7. यह परिपत्र सभी वाणिज्यिक बैंकों (भुगतान बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और स्थानीय क्षेत्र बैंकों को छोड़कर) पर लागू होगा।

8. ये संशोधन 01 अप्रैल 2026 से लागू होंगे।

भवदीया,

(उषा जानकीरमन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


1 इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग सुविधाओं (आईएमबी) में इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग और यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) जैसी सभी सुविधाएं शामिल हैं, जो केवल यहीं तक सीमित नहीं है, जिससे ग्राहक अपने खाते/खातों से डिजिटल रूप से धनराशि अंतरित कर सकते हैं।

2 बैंक, वित्तीय संस्थाएं मानी जाने वाली संस्थाओं की सांकेतिक सूची के लिए समय-समय पर अद्यतन किए गए दिनांक 01 अप्रैल 2025 के ‘बासल III पूंजी विनियमावली’ पर मास्टर परिपत्र विवि.सीएपी.आरईसी.2/21.06.201/2025-26 के पैराग्राफ 4.4.9.1(ii) का संदर्भ ले सकता है।

3 जैसा कि 26 मई 2016 के ‘बैंकों द्वारा प्रदान की गई वित्तीय सेवाएं’ पर मास्टर निदेश डीबीआर.एफएसडी.सं.101/24.01.041/2015-16 के पैराग्राफ 3.vi में परिभाषित किया गया है।

4 दिनांक 23 मार्च 2016 के परिपत्र डीबीआर.बीपी.बीसी.सं.86/21.04.098/2015-16 के अनुबंध के क्रम संख्या 10 के अनुसार।

2025
2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
पुरालेख
Server 214
शीर्ष