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बैंकिंग प्रणाली का विनियामक

बैंक राष्‍ट्रीय वित्‍तीय प्रणाली की नींव होते हैं। बैंकिंग प्रणाली की सुरक्षा एवं सुदृढता को सुनिश्चित करने और वित्‍तीय स्थिरता को बनाए रखने तथा इस प्रणाली के प्रति जनता में विश्‍वास जगाने में केंद्रीय बैंक महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

अधिसूचनाएं


कोविड-19 विनियामकीय पैकेज - आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण

भारिबैं/2019-20/220
विवि.सं.बीपी.बीसी.63/21.04.048/2019-20

17 अप्रैल 2020

सभी वाणिज्यिक बैंक (लघु वित्त बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित)
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक/राज्य सहकारी बैंक/जिला केंद्रीय-सहकारी बैंक
अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान
सभी गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियां (हाउसिंग फाइनेंस कंपनी सहित)

महोदया/महोदय,

कोविड-19 विनियामकीय पैकेज - आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण

कृपया 17 अप्रैल, 2020 के गवर्नर के वक्तव्य का संदर्भ लें, जिसमें भारत में व्यवसायों और वित्तीय संस्थाओं पर कोविड 19 महामारी के प्रलम्बित प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से कुछ अतिरिक्त विनियामकीय उपायों की घोषणा की गई है, जो बैंकिंग पर्यवेक्षण पर बासल समिति द्वारा की गई वैश्विक रूप से समन्वित कार्रवाई के अनुरूप है। इस संबंध में, आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण के संबंध में विस्तृत विवरण इस प्रकार हैं:

(i) आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण (आईआरएसी) पर विवेकपूर्ण मानदंडों के तहत आस्ति वर्गीकरण

2. 27 मार्च 2020 के परिपत्र विवि.सं.बीपी.बीसी.47/21.04.048/2019-20 के संदर्भ में ('विनियामकीय पैकेज'), 1 मार्च, 2020 और 31 मई 2020 ('अधिस्थगन अवधि') के बीच बकाया सभी सावधि ऋण किस्तों के भुगतान पर तीन माह का अधिस्थगन देने की अनुमति ऋणदाता संस्थाओं को दी गई थी। अतः, बैंकिंग पर्यवेक्षण पर बासल समिति द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण के अनुरूप, 29 फरवरी 2020 की स्थिति के अनुसार मानक के रूप में वर्गीकृत सभी खातों के लिए, भले ही वे अतिदेय हों, अधिस्थगन अवधि को, जहां भी दी गई हो, ऋणदाता संस्थाओं द्वारा आईआरएसी मानदंडों के तहत आस्ति वर्गीकरण के लिए देय तिथि के बाद दिनों की संख्या की गणना से बाहर रखा जाएगा।

3. इसी प्रकार नकद ऋण / ओवरड्राफ्ट ("सीसी / ओडी") के रूप में स्वीकृत कार्यशील पूंजी सुविधाओं के संबंध में, विनियामकीय पैकेज में 1 मार्च 2020 से 31 मई 2020 तक की अवधि ('आस्थगन अवधि') के दौरान लागू ब्याज की वसूली को स्थगित करने की अनुमति दी है। इस प्रकार की आस्थगन अवधि को, जहां भी दिया गया हो, 29 फरवरी 2020 की स्थिति के अनुसार एसएमए सहित मानक के रूप में वर्गीकृत सभी सुविधाओं के संबंध में, आउट ऑफ आर्डर की स्थिति के निर्धारण के लिए बाहर रखा जाएगा।

4. वे एनबीएफसी, जिन्हें भारतीय लेखा मानकों (इंड एएस) का पालन करना है, अब तक की तरह अपने बोर्डों द्वारा विधिवत अनुमोदित दिशानिर्देशों और आईसीएआई परामर्शों के अनुसार क्षति की पहचान के लिए निर्देशित होते रहेंगे।

(ii) प्रावधानीकरण

5. वे खाते जो चूक में हैं, लेकिन मानक हैं, और जिनपर उक्त पैराग्राफ (2) और (3) के प्रावधान लागू होते हैं, और आस्ति वर्गीकरण का लाभ दिया गया है, उनके संबंध में ऋणदाता संस्थाओं द्वारा दो तिमाहियों में चरणबद्ध रूप से सामान्य प्रावधान,जो ऐसे खातों के कुल बकाया का 10 प्रतिशत से कम नहीं हो, निम्नानुसार किए जाने है:

(i) 31 मार्च, 2020 को समाप्त तिमाही- 5 प्रतिशत से कम नहीं

(ii) 30 जून, 2020 को समाप्त होने वाली तिमाही- 5 प्रतिशत से कम नहीं

6. उपरोक्त प्रावधानों को ऐसे प्रावधानों के लिए प्रतिधारित खातों से गिरावट हेतु वास्तविक प्रावधानीकरण आवश्यकताओं के लिए समायोजित किया जा सकता है। वित्तीय वर्ष के अंत में अवशिष्ट प्रावधानों को प्रतिलेख किया जा सकता है या अन्य सभी खातों के लिए आवश्यक प्रावधानों हेतु समायोजित किया जा सकता है।

7. उपरोक्त प्रावधानों को निवल एनपीए की गणना के लिए नहीं माना जाएगा, जब तक कि वे ऊपर दिए गए पैरा 6 के तहत वास्तविक प्रावधानीकरण आवश्यकताओं के लिए समायोजित न हों। इसके अलावा, इस तरह के समायोजन तक, इन प्रावधानों को सकल अग्रिमों से निवल नहीं किया जाएगा, लेकिन तुलन-पत्र में अलग से उचित रूप में दिखाया जाएगा।

8. ऋणदाता संस्थाओं द्वारा बनाए रखने के लिए आवश्यक अन्य सभी प्रावधान, जिनमें 29 फरवरी 2020 को एनपीए के रूप में पहले ही वर्गीकृत किए गए खातों के प्रावधान और साथ ही बाद में भी समय बीतने के साथ-साथ इन खातों में प्रावधान किया जाना सामान्य रूप से जारी रहेगा।

अन्य शर्तें

9. उपर्युक्त पैरा 2 और 3 के अनुसार अनुमत छूट को ऋणदाता संस्थानों द्वारा उनकी पर्यवेक्षी रिपोर्टिंग के साथ-साथ क्रेडिट सूचना कंपनियों (सीआईसी) को रिपोर्ट करने के लिए विधिवत रूप से माना जाएगा; अर्थात, 1 मार्च, 2020 तक, पिछले दिनों देय और एसएमए स्थिति, जहां लागू हो, 31 मई, 2020 तक अपरिवर्तित रहेगी।

10. ऋणदाता संस्थाएं 30 सितंबर 2020 के समाप्त अर्धवार्षिक के साथ 2019-20 और 2020-21 वित्तीय वर्ष के लिए वित्तीय विवरण तैयार करते समय ‘लेखा पर टिप्पणी’ में निम्नलिखित प्रासंगिक प्रकटीकरण करेंगे:

(i) एसएमए / अतिदेय श्रेणियों से संबंधित राशि, जहां अधिस्थगन / आस्थगन को पैराग्राफ 2 और 3 के संदर्भ में विस्तार किया गया था;

(ii) संबंधित राशि जहां आस्ति वर्गीकरण के लाभ का विस्तार किया गया है।

(iii) पैरा 5 के संदर्भ में वित्त वर्ष 2020 की चौथी तिमाही और वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही के दौरान किए गए प्रावधान;

(iv) पैराग्राफ 6 के संदर्भ में गिरावट और अवशिष्ट प्रावधानों से संबंधित लेखा अवधि के दौरान समायोजित प्रावधान।

भवदीय,

(सौरभ सिन्हा)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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