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बैंकिंग प्रणाली का विनियामक

बैंक राष्‍ट्रीय वित्‍तीय प्रणाली की नींव होते हैं। बैंकिंग प्रणाली की सुरक्षा एवं सुदृढता को सुनिश्चित करने और वित्‍तीय स्थिरता को बनाए रखने तथा इस प्रणाली के प्रति जनता में विश्‍वास जगाने में केंद्रीय बैंक महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

अधिसूचनाएं


अग्रिमों के संबंध में आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण तथा प्रावधानों पर विवेकपूर्ण मानदंड – कार्यान्वयन के अंतर्गत परियोजनाएं

भारिबैं/2019-20/158
विवि.सं.बीपी.बीसी.33/21.04.048/2019-20

07 फरवरी 2020

अध्यक्ष/ मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोडकर)
सभी लघु वित्त बैंक

महोदया/ महोदय,

अग्रिमों के संबंध में आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण तथा प्रावधानों पर विवेकपूर्ण मानदंड –
कार्यान्वयन के अंतर्गत परियोजनाएं

कृपया उक्त विषय पर 6 अप्रैल 2015 के परिपत्र डीबीआर.सं.बीपी.बीसी.84/21.04.048/2014-15 का संदर्भ लें। गैर-बुनियादी संरचना और वाणिज्यिक स्थावर संपदा(सीआरई) क्षेत्रों की परियोजनाओं के लिए वाणिज्यिक परिचालन शुरू करने की तारीख (डीसीसीओ) को आस्थगित करने के लिए जारी दिशा-निर्देशों में सामंजस्य लाने का निर्णय लिया गया है। तदनुसार, सीआरई परियोजनाओं के लिए डीसीसीओ के आस्थगन के लिए संशोधित दिशानिर्देश निम्नानुसार है:

i. डीसीसीओ की तिथि में परिवर्तन और समान या कम अवधि के लिए चुकौती समय-सारणी में होने वाले परिणामिक बदलाव (संशोधित चुकौती समय-सारणी की शुरुआत की तारीख और अंतिम तारीख सहित) को पुनर्रचना के रूप में नहीं माना जाएगा, बशर्ते कि:

ए) परिशोधित डीसीसीओ, सीआरई परियोजनाओं के लिए वित्तीय समापन के समय निर्धारित मूल डीसीसीओ से एक वर्ष की अवधि के भीतर है; तथा

बी) ऋण के संदर्भ में अन्य सभी नियम और शर्तें अपरिवर्तित है।

ii. प्रवर्तकों के नियंत्रण के बाहर के कारणों की वजह से सीआरई परियोजनाओं में विलंब होने की स्थिति में बैंकों द्वारा डीसीसीओ के संशोधन के माध्यम से एक और वर्ष तक (अनुच्छेद 1(ए) में उल्लिखित एक वर्ष की अवधि के अतिरिक्त) उनकी पुनर्रचना की जा सकती है और यदि खाता पुनर्रचना के तहत संशोधित नियमों और शर्तों के अनुसार जारी रखा गया है, तो उसे मानक आस्ति वर्गीकरण के रूप में बनाए रखा जाए।

iii. बैंकों द्वारा उक्त (ii) के निदेशों के तहत इस तरह के सीआरई परियोजना के ऋणों की पुनर्रचना करते समय यह सुनिश्चित करना होगा कि संशोधित चुकौती समय-सारणी की अवधि केवल डीसीसीओ में विस्तार के समतुल्य या उससे कम अवधि तक ही विस्तारित हो।

iv. डीसीसीओ के विस्तार (उक्त (i) और (ii) सीमा के अधीन) के कारण होने वाली लागत से अधिक धनराशि के खर्च के लिए बैंक निधि दे सकते हैं, बशर्ते वह 14 अगस्त 2014 के परिपत्र डीबीओडी.सं.बीपी.बीसी.33/21.04.048/2014-15 के माध्यम से जारी किए गए अनुदेशों और 20 अप्रैल 2016 के मेलबॉक्स स्पष्टीकरण के अधीन हो।

v. यह दोहराया जाता है कि किसी परियोजना के ऋण को वसूली के रिकॉर्ड के अनुसार वाणिज्यिक संचालन शुरू होने से पहले किसी भी समय एनपीए के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है (90 दिन का अतिदेय)। यह भी पुन: स्पष्ट किया जाता है कि उक्त (ii) के अनुसार वितरण इस शर्त के अधीन है कि पुनर्रचना के लिए आवेदन ऊपर (i) (ए) में उल्लिखित अवधि की समाप्ति से पहले और वसूली के रिकॉर्ड के अनुसार खाता मानक होने के दौरान प्राप्त किया जाना चाहिए।

vi. डीसीसीओ के विस्तार के समय, बैंकों के निदेशक मंडल को परियोजना की व्यवहार्यता और पुनर्रचना योजना के बारे में स्वयं संतुष्ट होना चाहिए।

vii. कार्यान्वयन के अंतर्गत के परियोजनाओं के लिए लागू पुनर्रचना, आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण तथा प्रावधानों से संबंधित अन्य सभी पहलू निरंतर लागू रहेंगे।

viii. बैंक भू संपदा (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 के सभी प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करेंगे।

2. सीआरई क्षेत्र के लिए परियोजना ऋण की पहचान 9 सितंबर 2009 को जारी परिपत्र सं.डीबीओडी.बीपी.बीसी.42/08.12.015/2009-10 और 21 जून 2013 को जारी परिपत्र सं.डीबीओडी.बीपी.बीसी 104/08.12.015/2012-13 में दिए गए अनुदेशों के आधार पर की जाएगी।

भवदीय

(सौरभ सिन्हा)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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