विदेशी मुद्रा प्रबंधक

भारतीय रुपए के बाहरी मूल्‍य के निर्धारण के लिए बाज़ार-आधारित प्रणाली में परिवर्तन के साथ विदेशी मुद्रा बाज़ार ने सुधार अवधि की शुरुआत से ही भारत में ज़ोर पकड़ा है।

अधिसूचनाएं


विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियमावली, 2019 वाणिज्यिक पत्र (सीपी) के निर्गम के माध्यम से जमाराशियां स्वीकार करना

भारिबैंक/2019-20/44
ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्रसं. 06

16 अगस्त 2019

सभी श्रेणी-। प्राधिकृत व्यापारी एवं प्राधिकृत बैंक

महोदया/महोदय,

विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियमावली, 2019 वाणिज्यिक पत्र (सीपी)
के निर्गम के माध्यम से जमाराशियां स्वीकार करना

सभी प्राधिकृत व्यापारियों (एडी) का ध्यान 01 अप्रैल 2016 को अधिसूचना सं.फेमा.5(आर)/2016-आरबी के मार्फत जारी की गई एवं समय-समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियमावली, 2016 तथा उसके अंतर्गत जारी किए गए अनुवर्ती निदेशों की ओर आकर्षित किया जाता है।

2. हम सूचित करते हैं कि उपर्युक्त विनियमावली के विनियम-6 के उप-विनियम(3), जिसके तहत कोई कंपनी वाणिज्यिक पत्र (सीपी) के निर्गम के माध्यम से जमा-राशियाँ स्वीकार कर सकती है, इन प्रावधानों की अन्य संविधियों/ विनियमों के साथ समीक्षा की गई, विशेष रूप से - भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45 यू(बी), जिसमें वाणिज्यिक पत्र (सीपी) को मुद्रा बाज़ार की एक लिखत के रूप में वर्णित किया गया है तथा कंपनी (जमरीशियों की स्वीकृति) नियमावली, 2014 की धारा 2(सी), जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ, वाणिज्यिक पत्र (सीपी) के निर्गम के माध्यम से प्राप्त किसी भी राशि को जमाराशि की परिभाषा से बाहर किया गया है। इसके अलावा उक्त समीक्षा में इस बात पर भी गौर किया गया है कि विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत के बाहर निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2017- फेमा 20(आर) में पहले से ही भारतीय कंपनियों द्वारा जारी किए जाने वाले वाणिज्यिक पत्रों (सीपी) में निवेश की अनुमति दी गई है ।

3. इसलिए, हम एतदद्वारा सूचित करते हैं कि वाणिज्यिक पत्रों (सीपी) से संबंधित संविधिक प्रावधानों / विनियमों में एकरूपता लाने के उद्देश्य से, भारत सरकार द्वारा दिनांक 16 जुलाई 2019 की अधिसूचना सं. फेमा 5(आर)(2)/ 2019-आरबी के द्वारा अधिसूचना संख्या फेमा 5(आर)/2016-आरबी के विनियमन-6 के उप-विनियमन-(3) को हटा दिया गया है ।

4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं।

5. इस परिपत्र में निहित निर्देश, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गये हैं।

भवदीय

(आर.के. मूलचंदानी)
मुख्य महाप्रबंधक

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