आरबीआई/2018-2019/208
डीपीएसएस.(सीओ) आरपीपीडी.सं.2557/04.03.01/2018-19
11 जून 2019
आरटीजीएस और/या एनईएफटी में भाग लेने वाले सदस्य बैंकों के
अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी
महोदया/महोदय,
राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (एनईएफटी) और तत्काल सकल निपटान (आरटीजीएस) सिस्टम्स - शुल्क का समापन
कृपया उपर्युक्त विषय पर अपने दिनांक 06 जून 2019 के वर्ष 2019-20 के लिए विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर द्वितीय द्वि-मासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य के पैराग्राफ 8 का संदर्भ लें। साथ ही निम्नलिखित परिपत्रों का भी संदर्भ लें:
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'खुदरा इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली – प्रसंस्करण शुल्क का उद्ग्रहण' पर दिनांक 02 जून 2011 के परिपत्र डीपीएसएस (सीओ) ईपीपीडी संख्या 2649/04.03.01/2010-11; और
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दिनांक 4 फरवरी 2016 के ‘सदस्यों और ग्राहकों के लिए आरटीजीएस सेवा शुल्क – यौक्तिकीकरण' पर परिपत्र डीपीएसएस (सीओ) आरटीजीएस सं.1926/04.04.002/2015-16।
2. भारतीय रिज़र्व बैंक ने आरटीजीएस और एनईएफटी प्रणालियों में प्रसंस्कृत लेनदेन के लिए सदस्य बैंकों पर स्वयं के द्वारा लगाए गए विभिन्न शुल्कों की समीक्षा की है। डिजिटल निधियों के लेनदेन को गति प्रदान करने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि दिनांक 1 जुलाई 2019 से आरटीजीएस प्रणाली का उपयोग करते हुए आउटवर्ड लेनदेन करने के लिए बैंकों पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा लगाए जाने वाले प्रसंस्करण शुल्क और परिवर्ती समय संबंधी लिए जाने वाले शुल्क और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा एनईएफटी प्रणाली में प्रसंस्कृत लेनदेन पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उद्ग्रहण किए जाने वाले प्रसंस्करण शुल्क को भी भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समाप्त कर दिया जाएगा।
3. बैंकों को यह सूचित किया जाता है कि वे दिनांक 1 जुलाई 2019 से आरटीजीएस और एनईएफटी प्रणालियों का उपयोग करते हुए लेन-देन करने पर अपने ग्राहकों को लाभ प्रदान करें।
4. यह निर्देश भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम 2007 (2007 का अधिनियम 51) की धारा 18 के साथ पठित धारा 10 (2) के अंतर्गत जारी किया गया है।
भवदीया
(संगीता लालवानी)
महाप्रबंधक (प्रभारी अधिकारी) |
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