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बैंकिंग प्रणाली का विनियामक

बैंक राष्‍ट्रीय वित्‍तीय प्रणाली की नींव होते हैं। बैंकिंग प्रणाली की सुरक्षा एवं सुदृढता को सुनिश्चित करने और वित्‍तीय स्थिरता को बनाए रखने तथा इस प्रणाली के प्रति जनता में विश्‍वास जगाने में केंद्रीय बैंक महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

अधिसूचनाएं


बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 24 और धारा 56 - सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) बनाए रखना और परिपक्‍वता तक धारित (एचटीएम) श्रेणी के अंतर्गत एसएलआर धारिताएं

भारिबैं/2017-18/70
बैंविवि.सं.आरईटी.बीसी.90/12.02.001/2017-18

4 अक्तूबर, 2017

सभी वाणिज्यिक बैंक,
प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी),
राज्य और केंद्रीय सहकारी बैंक (एसटीसीबी/सीसीबी)

महोदया/महोदय,

बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 24 और धारा 56 -
सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) बनाए रखना और
परिपक्‍वता तक धारित (एचटीएम) श्रेणी के अंतर्गत एसएलआर धारिताएं

कृपया उपर्युक्त विषय पर हमारे दिनांक 10 दिसंबर, 2015 के परिपत्र बैंविवि.सं.बीपी.बीसी.65/21.04.141/2015-16 और 7 जून, 2017 के परिपत्र बैंविवि.सं.आरईटी.बीसी.71/12.02.001/2016-17 देखें।

2. जैसा कि दिनांक 04 अक्तूबर, 2017 को चतुर्थ द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्‍तव्‍य 2017-18 में घोषणा की गयी है, यह निर्णय लिया गया है कि बैंकों के लिए सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) इन बैंकों की निवल मांग और मीयादी देयताओं (एनडीटीएल) के 20.0 प्रतिशत से घटाकर 14 अक्तूबर 2017 से आरंभ होने वाले पखवाड़े से 19.5 प्रतिशत कर दिया जाए। दिनांक 4 अक्तूबर, 2017 की संबंधित अधिसूचना बैंविवि.सं.आरईटी.बीसी.91/12.02.001/2017-18 की प्रति संलग्न है।

3. वर्तमान में, बैंकों को अनुमति दी गई है कि वे परिपक्‍वता तक धारित (एचटीएम) श्रेणी के अंतर्गत कुल निवेश की 25 प्रतिशत की सीमा से अधिक निवेश कर सकते हैं, बशर्ते ऐसा अतिरिक्‍त निवेश केवल एसएलआर प्रतिभूतियों में हो तथा परिपक्‍वता तक धारित (एचटीएम) श्रेणी के अंतर्गत धारित कुल एसएलआर प्रतिभूतियां निवल मांग और मीयादी देयता (एनडीटीएल) के 20.5 प्रतिशत से अधिक न हों। एचटीएम श्रेणी के अंतर्गत एसएलआर धारिताओं पर इस सीमा को अनिवार्य एसएलआर के अनुरूप बनाने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि उक्त सीमा को चरणबद्ध तरीके से 20.5 प्रतिशत से घटाकर 19.5 प्रतिशत, अर्थात् 31 दिसंबर 2017 तक 20 प्रतिशत और 31 मार्च 2018 तक 19.5 किया जाए।

4. मौजूदा अनुदेशों के अनुसार, बैंक अपने निदेशक मंडल की अनुमति से परिपक्‍वता तक धारित श्रेणी में/से निवेश को वर्ष में एक बार अंतरित कर सकते हैं, तथा ऐसे अंतरण सामान्‍यतया लेखा वर्ष के आरंभ में करने की अनुमति दी जाएगी। उपर्युक्त पैरा 3 में बताए गए अनुदेशों का पालन करने के लिए बैंक अपनी अतिरिक्‍त एसएलआर प्रतिभूतियां एचटीएम श्रेणी से एएफएस/एचएफटी श्रेणी में अंतरित कर सकें, इसके लिए यह निर्णय लिया गया है कि अतिरिक्त प्रतिभूतियों के ऐसे अंतरण तथा एचटीएम श्रेणी से प्रत्यक्ष विक्रय की अनुमति दी जाए। यह अनुमति लेखा वर्ष की शुरुआत अर्थात अप्रैल महीने में दी जाने वाली अंतरण की अनुमति के अतिरिक्त होगी। बैंकों के निवेश संविभाग के वर्गीकरण, मूल्‍यांकन और परिचालन पर विवेकपूर्ण मानदंड पर जारी मास्‍टर परिपत्र के पैरा 2.3 (ii) के अंतर्गत, विनियामक अनुदेशों के अनुसार एचटीएम श्रेणी में एसएलआर प्रतिभूतियों को घटाने के लिए अपेक्षित सीमा तक, एचटीएम श्रेणी से/में प्रतिभूतियों की बिक्री और अंतरण के मूल्‍य पर निर्धारित 5 प्रतिशत की अधिकतम सीमा में एएफएस/एचएफटी श्रेणी में किए गए ऐसे अंतरण तथा एचटीएम श्रेणी के अंतर्गत प्रतिभूतियों के विक्रय को शामिल नहीं किया जाएगा।

भवदीय,

(एस.एस. बारिक)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


बैंविवि.सं.आरईटी.बीसी.91/12.02.001/2017-18

4 अक्तूबर 2017

अधिसूचना

बैंककारी विनियमन अधिनियम,1949 (1949 का 10) की धारा 51 तथा धारा 56 के साथ पठित धारा 24 की उप-धारा (2क) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तथा दिनांक 7 जून, 2017 की अधिसूचना संदर्भ.बैंविवि.सं.आरईटी.बीसी.73/12.02.001/2016-17 में आंशिक संशोधन करते हुए रिज़र्व बैंक एतद् द्वारा यह विनिर्दिष्ट करता है किः

दिनांक 14 अक्तूबर 2017 से प्रत्येक वाणिज्यिक बैंक, प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक, राज्य सहकारी बैंक और केंद्रीय सहकारी बैंक भारत में आस्तियां (जिसे उपर्युक्त अधिसूचना में ‘एसएलआर आस्तियां’ कहा गया है) बनाए रखेगा, जिनका मूल्य किसी भी दिन कारोबार की समाप्ति पर, दूसरे पूर्ववर्ती पखवाड़े के अंतिम शुक्रवार को भारत में कुल निवल मांग और मीयादी देयताओं के 19.5 प्रतिशत से कम नहीं होगा तथा जिसका मूल्यांकन भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर विनिर्दिष्ट मूल्यन पद्धति के अनुसार किया गया हो।

दिनांक 7 जून 2017 की ऊपर उल्लिखित अधिसूचना में निहित अन्य सभी अनुदेश यथावत रूप में लागू होंगे।

(सुदर्शन सेन)
कार्यपालक निदेशक

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