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वित्तीय समावेशन और विकास

यह कार्य वित्तीय समावेशन, वित्तीय शिक्षण को बढ़ावा देने और ग्रामीण तथा एमएसएमई क्षेत्र सहित अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्ध कराने पर नवीकृत राष्ट्रीय ध्यानकेंद्रण का सार संक्षेप में प्रस्तुत करता है।

अधिसूचनाएं


मास्टर परिपत्र - अनुसूचित जाति (अजा) और अनुसूचित जनजाति (अजजा) को ऋण सुविधाएँ

भारिबैं/2017-18/7
विसविवि.केंका.जीएसएसडी.बीसी.सं.06/09.09.001/2017-18

01 जुलाई 2017

अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक

महोदय,

मास्टर परिपत्र - अनुसूचित जाति (अजा) और अनुसूचित जनजाति (अजजा) को ऋण सुविधाएँ

कृपया आप 1 जुलाई 2016 का मास्टर परिपत्र विसविवि.केंका.जीएसएसडी.बीसी.सं.03/09.09.001/2016-17 देखें जिसमें बैंकों को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को ऋण सुविधाएं देने के संबंध में जारी दिशानिर्देश/अनुदेश/निदेश समेकित किए गए हैं। इस मास्टर परिपत्र में 30 जून 2017 तक जारी अनुदेशों को शामिल करते हुए उपयुक्त रूप से अद्यतन किया गया है और इसे वेबसाइट https://www.rbi.org.in पर भी डाला गया है।

मास्टर परिपत्र की प्रति इसके साथ संलग्न है।

भवदीय

(अजय कुमार मिश्रा)
मुख्य महाप्रबंधक

अनुलग्नक: यथोक्त


मास्टर परिपत्र – अनुसूचित जाति (अजा) तथा अनुसूचित जनजाति (अजजा) को ऋण सुविधाएं

अजा/अजजा को अग्रिम प्रदान करने में वृध्दि के लिए बैंकों को निम्नलिखित उपाय करने चाहिए :

1. आयोजना प्रक्रिया

1.1 अग्रणी बैंक योजना के अन्तर्गत गठित जिला स्तरीय परामर्शदात्री समितियों को बैंकों और विकास एजेंसियों के बीच समन्वय का प्रधान तंत्र बने रहना चाहिए।

1.2 अग्रणी बैंकों द्वारा तैयार की गई जिला ऋण योजनाएँ विस्तृत होनी चाहिए ताकि उनसे रोजगार और विकास योजनाओं की ऋण के साथ सहलग्नता स्पष्ट हो सके।

1.3 बैंकों को स्वरोजगार सृजन के लिए विभिन्न जिलों में गठित जिला उद्योग केन्द्रों से निकट संपर्क स्थापित करना चाहिए।

1.4 ब्लाक स्तर पर आयोजना प्रक्रिया में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति को कुछ अधिक महत्व दिया जाए। तदनुसार ऋण आयोजना में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के पक्ष में अधिक महत्व दिया जाए तथा ऐसी विश्वसनीय विशेष योजनाएँ बनाई जाएँ जिससे इन समुदायों के सदस्य तालमेल बिठा सकें ताकि इन योजनाओं में उनकी भागीदारी तथा स्वरोजगार हेतु उन्हें अधिक ऋण उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जा सके। बैंकों के लिए यह आवश्यक है कि वे इन समुदायों के ऋण प्रस्तावों पर अत्यधिक सहानुभूतिपूर्वक और सूझबूझ से विचार करें।

1.5 बैंकों को अपनी ऋण प्रक्रिया और नीतियों की आवधिक समीक्षा करनी चाहिए जिनसे यह देखा जा सके कि ऋण समय पर स्वीकृत किए गए तथा पर्याप्त मात्रा में होने के साथ-साथ उत्पादन उन्मुख हैं तथा साथ ही इससे उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए उत्तरोत्तर आय सृजित होती है।

1.6 ऋण देने के गहन कार्यक्रमों के अन्तर्गत गाँवों को "अभिस्वीकृत" करते समय इन समुदायों की अधिक संख्या वाले गाँवों को विशेष रूप से चयनित किया जाना चाहिए; वैकल्पिक रूप से गाँवों में इन समुदायों की बहुलता वाली बस्तियों को अभिस्वीकृत करने पर भी विचार किया जा सकता है।

2. बैंकों की भूमिका

2.1 बैंक स्टाफ को गरीब उधारकर्ताओं की मदद फार्म भरने तथा अन्य औपचारिकताएँ पूरी करने में करनी चाहिए ताकि वे आवेदनपत्र प्राप्त करने की तारीख से नियत अवधि में ऋण सुविधा प्राप्त कर सकें।

2.2 अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति उधारकर्ताओं को ऋण सुविधाओं के लाभ लेने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से उनमें बैंक द्वारा बनाई गई विभिन्न योजनाओं के प्रति जागरुकता उत्पन्न करनी चाहिए। चूंकि पात्र उधारकर्ताओं में से अधिकांश अशिक्षित व्यक्ति होंगे, अतः ब्रोशरों और अन्य साहित्य, इत्यादि के माध्यम से किया गया प्रचार बहुत उपयोगी नहीं होगा। यह वांछनीय होगा कि बैंक का "फील्ड स्टाफ" ऐसे उधारकर्ताओं से सम्पर्क करके योजनाओं की विशेषताओं के साथ-साथ उनसे मिलने वाले लाभों के बारे में बताएँ। बैंकों को चाहिए कि वे केवल अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति हिताधिकारियों के लिए बैठकें थोड़े-थोड़े अन्तराल में आयोजित करें ताकि वे उनकी ऋण आवश्यकताओं को समझ सकें और उन्हें ऋण योजना में सम्मिलित कर सकें।

2.3 भारतीय रिज़र्व बैंक/नाबार्ड द्वारा जारी किए गए परिपत्रों को अनुपालन करने हेतु संबंधित स्टाफ के बीच परिचालित किया जाए।

2.4 बैंकों को सरकार द्वारा प्रायोजित गरीबी उन्मूलन योजनाओं/स्वरोजगार कार्यक्रमों के अन्तर्गत ऋण आवेदनपत्रों पर विचार करते समय अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के उधारकर्ताओं से जमाराशि की मांग नहीं करनी चाहिए। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि ऋण घटक जारी करते समय, बैंक-देय राशि की पूरी चुकौती होने तक, सब्सिडी राशि को रोक कर नहीं रखा जाता है। प्रारंभिक सब्सिडी न देने से कम वित्तपोषण होगा जिससे आस्ति सृजन/आय सृजन में बाधा आएगी।

2.5 जनजातीय कार्य मंत्रालय और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में क्रमश: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त और विकास निगम तथा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त और विकास निगम की स्थापना की गई है। बैंक अपनी शाखाओं/नियंत्रक कार्यालयों को सूचित करें कि वे अपेक्षित लक्ष्य प्राप्ति के लिए संस्था को सभी आवश्यक संस्थागत सहायता प्रदान करें।

2.6 अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के राज्‍य द्वारा प्रायोजित संगठनों को सामग्री की खरीद और आपूर्ति के विशिष्ट प्रयोजन के लिए तथा/अथवा हिताधिकारियों यथा कारीगरों, इन संगठनों के ग्राम और कुटीर उद्योगों के सामान के विपणन को प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र अग्रिम के रूप में माना जाए; बशर्ते संबंधित अग्रिम पूर्णतया इन संगठनों के हिताधिकारियों के लिए सामग्री की खरीद तथा आपूर्ति तथा/अथवा उनकी सामग्री के विपणन हेतु दिया गया हो।

2.7 अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के संबंध में आवेदनपत्रों को शाखा स्तर की बजाय अगले उच्चतर स्तर पर अस्वीकृत किया जाना चाहिए तथा आवेदन अस्वीकृत करने के कारणों का स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिए।

3. अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति विकास निगमों की भूमिका

भारत सरकार ने सभी राज्य सरकारों को सूचित किया है कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति विकास निगम विश्वसनीय योजनाओं/प्रस्तावों पर बैंक वित्त के लिए विचार कर सकते हैं। ऋणों के लिए संपार्श्विक प्रतिभूति तथा/अथवा तृतीय पक्ष गारंटी के संबंध में बैंकों को प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के संबंध में जारी दिशानिर्देश लागू होंगे।

4. केन्द्र द्वारा प्रायोजित प्रमुख योजनाओं के अन्तर्गत अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति लाभार्थियों के लिए आरक्षण

केन्द्र द्वारा प्रायोजित कई प्रमुख योजनाएँ हैं जिनके अन्तर्गत बैंकों द्वारा ऋण प्रदान किया जाता है तथा सरकारी अभिकरणों (एजेंसियों) के माध्यम से सब्सिडी प्राप्त की जाती है। इन योजनाओं के अन्तर्गत ऋण उपलब्ध कराने संबंधी निगरानी भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा की जाती है। इनमें से प्रत्येक के अन्तर्गत अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदायों के सदस्यों के लिए पर्याप्त आरक्षण/ छूट है।

(i) दीनदयाल अंत्‍योदय योजना - राष्‍ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन

ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने वर्तमान स्‍वर्णजयंती ग्राम स्‍वरोजगार योजना को पुनर्संरचित करके 1 अप्रैल 2013 से दीनदयाल अंत्‍योदय योजना - राष्‍ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई - एनआरएलएम) आरंभ किया है। डीएवाई - एनआरएलएम समाज के असुरक्षित वर्गों (vulnerable sections) का पर्याप्‍त कवरेज सुनिश्चित करेगा ताकि इन लाभार्थियों का 50 प्रतिशत अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति का होगा। डीएवाई – एनआरएलएम योजना संबंधी विवरण दिनांक 1 जुलाई 2017 के मास्टर परिपत्र विसविवि.केंका.जीएसएसडी.बीसी.सं.04/09.01.01/2017-18 में दिए गए हैं।

(ii) दीनदयाल अंत्‍योदय योजना - राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन

आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय (एमओएचयूपीए), भारत सरकार ने वर्तमान स्‍वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाई) की पुनर्संरचना करते हुए दीनदयाल अंत्‍योदय योजना - राष्‍ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई - एनयूएलएम) शुरू किया है जो 24 सितंबर 2013 से लागू हो गया है। डीएवाई - एनयूएलएम के अन्तर्गत अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति को स्थानीय जनसंख्या में उनके प्रतिशत के अनुपात में अग्रिम दिए जाने चाहिए। डीएवाई – एनयूएलएम संबंधी विवरण दिनांक 1 जुलाई 2017 के मास्टर परिपत्र विसविवि.केंका.जीएसएसडी.बीसी.सं.03/09.16.03/2017-18 में दिए गए हैं।

(iii) विभेदक ब्याज दर योजना

विभेदक ब्याज दर योजना के अंतर्गत बैंक कमज़ोर वर्ग के समुदायों को उत्पादक और लाभकारी कार्यकलापों हेतु 4 प्रतिशत वार्षिक के रियायती ब्याज दर पर रु. 15,000/- तक वित्त प्रदान कर सकते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति व्यक्ति भी विभेदक ब्याज दर योजना (डीआरआई) का पर्याप्त लाभ उठाते हैं, बैंकों को सूचित किया गया है कि अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के पात्र उधारकर्ताओं को स्वीकृत किए जाने वाले अग्रिम कुल डीआरआई अग्रिमों के 2/5 (40 प्रतिशत) से कम न हो। साथ ही विभेदक ब्याज दर योजना के अंतर्गत जोत का आकार सिंचित भूमि का एक एकड़ और असिंचित भूमि का 2.5 एकड़ से अधिक न हो, का पात्रता मानदंड अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति पर लागू नहीं है। योजना के अन्तर्गत आय मानदंड पूरा करनेवाले अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति सदस्य, प्रति हिताधिकारी रु.20,000/- तक का आवास ऋण भी ले सकते हैं जो योजना के अंतर्गत उपलब्ध रु.15,000/- के वैयक्तिक ऋण के अतिरिक्त होगा।

5. निगरानी और समीक्षा

5.1 अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति हिताधिकारियों को उपलब्ध कराए गए ऋण पर निगरानी रखने के लिए प्रधान कार्यालय में एक विशेष कक्ष की स्थापना की जाए। भारतीय रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देशों का कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के अतिरिक्त, कक्ष शाखाओं से संबंधित जानकारी/ आंकड़ों का संग्रहण, उनका समेकन और भारतीय रिज़र्व बैंक तथा सरकार को अपेक्षित विवरणियों के प्रस्तुतीकरण के लिए भी उत्तरदायी होगा।

5.2 संयोजक बैंक (राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के) को अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के लिए राष्ट्रीय आयोग के प्रतिनिधि को राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठकों में आमंत्रित करना चाहिए। साथ ही, संयोजक बैंक राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठकों में भाग लेने के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वित्त और विकास निगम (एनएसएफडीसी) तथा राज्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वित्त और विकास निगम (एससीडीसी) के प्रतिनिधियों को भी बुला सकते हैं।

5.3 बैंकों के प्रधान कार्यालयों द्वारा शाखाओं से प्राप्त विवरणियां और अन्य आंकड़ों के आधार पर अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति को दिये गये ऋण की आवधिक समीक्षा की जानी चाहिए।

5.4 अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति को अधिक ऋण उपलब्ध कराने संबंधी उपायों की तिमाही आधार पर समीक्षा की जानी चाहिए। समीक्षा में अन्य बातों के साथ-साथ प्रधान कार्यालय/नियंत्रक कार्यालयों के वरिष्ठ अधिकारियों के क्षेत्र दौरों के समय इन समुदायों को प्रत्यक्षतः अथवा राज्य स्तरीय अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति निगमों के माध्यम से उधार देने में हुई प्रगति पर भी विचार किया जाना चाहिए। दिनांक 14 मई 2015 के परिपत्र बैंपवि.सं.बीसी.93/29.67.001/2014-15 के अनुसार ”वित्‍तीय समावेशन” की संकल्‍पनाओं के अंतर्गत समीक्षा के लिए बैंक के बोर्ड को अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति को दिए गए ऋण में वर्ष दर वर्ष आधार पर किसी मुख्‍य कमी या अंतराल की सूचना दी जानी चाहिए।

6. रिपोर्ट करने संबंधी अपेक्षाएँ

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को ऋण पर दिनांक 07 जुलाई 2016 और 22 दिसम्‍बर 2016 को अद्यतन मास्टर निदेश विसविवि.केंका.प्‍लान.01/04.09.01/2016-17 के अंतर्गत यथा निर्धारित रूप में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को दिये गये बैंक अग्रिमों के आंकड़े दिए जाने जाहिए। बैंकों को सूचित किया गया है कि वे ऐसे आंकड़े समयबद्ध रूप में प्रस्‍तुत करें।


अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति को ऋण सुविधाएँ

मास्टर परिपत्र में समेकित परिपत्रों की सूची

सं. परिपत्र सं. तारीख विषय वस्तु
1. डीबीओडी सं.बीपी.बीसी.172/सी.464 (आर) - 78 12.12.78 रोजगार सृजन में बैंकों की भूमिका
2. डीबीओडी सं.बीपी.बीसी.8/सी.453 (के) जन. 9.01.79 छोटे और सीमान्त किसानों को कृषि ऋण
3. डीबीओडी सं.बीपी.बीसी.45/सी.469 (86)-81 14.04.81 अजा/अजजा को ऋण सुविधाएँ
4. डीबीओडी.सं.बीपी.बीसी.132/सी.594-81 22.10.81 अजा के विकास पर कार्यकारी दल की सिफारिशें
5. ग्राआऋवि.सं.पीएस.बीसी.2/सी.594-82 10.09.82 अजा/अजजा को ऋण सुविधाएँ
6. ग्राआऋवि.सं.पीएस.बीसी.9/सी.594-82 05.11.82 अजा/अजजा विकास निगमों को रियायती बैंक वित्त
7. ग्राआऋवि.सं.पीएस.बीसी.4/सी.594-83 22.08.83 अजा/अजजा को ऋण सुविधाएँ
8. ग्राआऋवि.सं.पीएस.1777/सी.594-83 21.11.83 अजा/अजजा को ऋण सुविधाएँ
9. ग्राआऋवि.सं.पीएस.1814/सी.594-83 23.11.83 अजा/अजजा को ऋण सुविधाएँ
10. ग्राआऋवि.सं.पीएस.बीसी.20/सी.568(ए)-84 24.01.84 अजा/अजजा को ऋण सुविधाएँ - ऋण आवेदनपत्रों का निरसन
11. ग्राआऋवि.सं.सीओएनएफएस/274/पीबी- 1-84/85 15.04.85 अजा/अजजा को उधार देने में निजी क्षेत्र के बैंकों की भूमिका
12. ग्राआऋवि.सं.सीओएनएफएस 62/पीबी-1-85/86 24.07.85 अजा/अजजा को उधार देने में निजी क्षेत्र के बैंकों की भूमिका
13. ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.22/सी.453(यू)-85 09.10.85 डीआरआई योजना के अन्तर्गत अजजा को ऋण सुविधाएँ
14. ग्राआऋवि.सं.एसपी.376/सी.594-87/88 31.07.87 अजा/अजजा को ऋण सुविधाएँ
15. ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.129/सी.594 (स्पे.)88-89 28.06.89 राष्ट्रीय अजा/अजजा वित्त और विकास निगम
16. ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.50/सी.594-89/90 25.10.89 अजा विकास निगम - इकाई लागत पर अनुदेश
17. ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.107/सी.594-89/90 16.05.90 अजा/अजजा को ऋण सुविधाएँ
18. ग्राआऋवि.सं.एसपी.1005/सी.594/90-91 04.12.90 अजा/अजजा को ऋण सुविधाएँ - मूल्यांकन अध्ययन
19. ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.93/सी.594. एमएमएस.-90/91 13.03.91 अजा विकास निगम (एससीडीसी) - इकाई लागत पर अनुदेश
20. ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.122/सी.453 (यू)90-91 14.05.91 अजा/अजजा को आवास वित्त-डीआरआई योजना के अन्तर्गत सम्मिलित करना (एसएलबीसी)
21. ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.118/सी.453 (यू)-92/93 27.05.93 प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को अग्रिम-आवास वित्त
22. ग्राआऋवि.सं.एलबीएस.बीसी.86/ 02.01.01/96-97 16.12.96 अजा/अजजा हेतु राष्ट्रीय आयोग को राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति में सम्मिलित करना
23. ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.124/09.09.01/96-97 15.04.97 अजा/अजजा के कल्याण हेतु संसदीय समिति - बैंकों द्वारा अजा/अजजा से जमाराशि की मांग करना
24. ग्राआऋवि.सं.एसएए.बीसी.67/08.01.00/98-99 11.02.99 अजा/अजजा को ऋण सुविधाएँ
25. ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.51/09.09.01/ 2002-03 04.12.02 अजा/अजजा के विकास में वित्तीय संस्थानों की भूमिका पर कार्यशाला
26. ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.84/09.09.01/2002-03 09.04.03 मास्टर परिपत्र में आशोधन
27. ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.100/09.09.01/2002-03 04.06.03 रिपोर्टिंग प्रणाली में परिवर्तन
28. ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.102/09.09.01/2002-03 23.06.03 अजा/अजजा को ऋण उपलब्ध कराने की समीक्षा हेतु नमूना अध्ययन – प्रमुख निष्‍कर्स
29. ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.49/09.09.01/2007-08 19.02.08 अजा/अजजा को ऋण सुविधाएं - संशोधित अनुबंध
30. ग्राआऋवि.जीएसएसडी.बीसी.सं.81/09.01.03/2012-13 27.06.13 राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के रुप में एसजीएसवाई की पुनर्संरचना
31. ग्राआऋवि.केंका.जीएसएसडी.बीसी.सं.26/09.16.03/2014-15 14.08.14 राष्‍ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम) के रूप में स्‍वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाई) की पुनर्संरचना
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