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शहरी बैंकिंग

शायद यह भूमिका हमारे कार्यकलापों का सबसे अधिक अघोषित पहलू है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत सुविधा के निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए संस्थानों की स्थापना करना, वहनीय वित्तीय सेवाओं की पहुंच में विस्तार करना और वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना शामिल है।

अधिसूचनाएं


शहरी सहकारी बैंक द्वारा पूर्वदत्‍त भुगतान लि‍खत (प्री-पेड पेमेंट इंस्‍ट्रूमेंटस) जारी करने के लिए विनियामक आवश्कताएँ

आरबीआई/2016-17/311
डीसीबीआर.केंका.एलएस.(पीसीबी/आरसीबी).परि.सं.5/07.01.000/2016-17

25 मई, 2017

मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक
राज्य सहकारी बैंक
जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक

महोदय/महोदया,

शहरी सहकारी बैंक द्वारा पूर्वदत्‍त भुगतान लि‍खत (प्री-पेड पेमेंट इंस्‍ट्रूमेंटस) जारी करने के लिए विनियामक आवश्कताएँ

कृपया 27 मई 2014 का हमारा परिपत्र शबैंवि.केंका.पीसीबी.परि.सं: 65/09.69.000/2013-14 का अवलोकन करें जिसमें ऐसे शहरी सहकारी बैंकों को, जिन्होंने एटीएम की स्थापना की है तथा एटीएम -सह-डेबिट कार्ड जारी किया है, उन्हें घरेलू बिलों (यूटिलिटी बिलों) के भुगतान /महत्वपूर्ण सेवाओं के लिए रू 10,000/- की सीमा तक के लिए अर्ध -सीमित (सेमि-क्लोस्ड) प्री-पेड भुगतान इंस्ट्रूमेंट (पीपीआई) की शुरूआत करने की अनुमति दी गई है।

2. मामले पर विचार किया गया है तथा यह निर्णय लिया गया है कि अपने एटीएम नेटवर्क रखने वाले सभी लाइसेंस प्राप्त सहकारी बैंकों को अर्ध -सीमित (सेमि-क्लोस्ड) पीपीआई जारी करने की अनुमति है, बशर्ते कि बैंक को जमा लेने की स्वीकृति या पुनर्भुगतान पर कोई प्रतिबंध नहीं हो। यह भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग (डीपीएसएस), भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा समय -समय पर निर्धारित पात्रता मानदंड तथा अन्य दिशानिदेशों के अनुपालन के अधीन है।

3. इसके अतिरिक्त यह भी निर्णय लिया गया है कि उपरोक्त मानदंडों को पूरा करने वाले सहकारी बैंकों को ओपन सिस्टम पीपीआई जारी करने की अनुमति होगी। बैंकों को इसके लिए निम्नलिखित अतिरिक्त विनियामक आवश्यकताओं को पूरा करना होगा:

a) बैंक सीबीएस के अनुरूप होना चाहिए;

b) वर्तमान और पूर्ववर्ती वित्तीय वर्ष में सीआरएआर 10% से कम नहीं होना चाहिए;

c) वर्तमान और पूर्ववर्ती वित्तीय वर्ष में सकल एनपीए 7% से कम तथा निवल एनपीए 3% से अधिक नहीं होना चाहिए;

d) भारतीय रिजर्व बैंक के पिछले निरीक्षण के अनुसार निर्धारित निवल मालियत रू 25 करोड से अधिक होनी चाहिए।

e) वर्तमान और पूर्ववर्ती वित्तीय वर्ष के दौरान सीआरआर/एसएलआर को बनाए रखने में कोई चूक नहीं होनी चाहिए;

f) बैंक को पूर्ववर्ती वित्तीय वर्ष में निवल लाभ होना चाहिए;

g) बैंक के बोर्ड में दो वृत्तिक निदेशक होने चाहिए तथा प्रणाली और नियंत्रण का प्रसार निम्नानुसार होना चाहिए :

  1. सभी शाखाओं तथा प्रधान कार्यालय में आंतरिक निरीक्षण/लेखा परीक्षा प्रणाली

  2. सभी प्रमुख शाखाओं में समवर्ती लेखा परीक्षा प्रणाली

h) केवाईसी/एएमएल/ आतंकवाद के वित्तपोषण की रोकथाम के लिए भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा समय समय पर जारी दिशानिदेश का संतोषजनक अनुपालन;

i) पिछले दो वित्तीय वर्षों में तथा आवेदन जमा करने के वर्ष के दौरान बैंक पर कोई मौद्रिक दंड नहीं लगा हो;

j) बैंकों को ग्राहक शिकायत निवारण प्रणाली पर बोर्ड से अनुमोदित एक व्यापक नीति का कार्यान्वयन संतोषजनक रूप से होना चाहिए जिसमें ग्राहकों की शिकायतों का समाधान जल्द किया जाता हो।

4. प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट को जारी करना तथा उसका परिचालन इस संबंध में डीपीएसएस, आरबीआई द्वारा समय समय पर जारी निर्देशों द्वारा भी निर्देशित होंगे। पीपीआई जारी करने के इच्छुक एवं उपर्युक्त पैरा 2 और 3 में दर्शाये अनुसार पात्रता रखने वाले सहकारी बैंकों को इस हेतु डीपीएसएस, केंद्रीय कार्यालय मुंबई में अनुमोदन हेतु आवेदन करने से पूर्व संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय के सहकारी बैंक पर्यवेक्षण विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा।

भवदीय,

(नीरज निगम)
मुख्य महाप्रबंधक

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