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गैर-बैंकिंग वित्‍तीय कंपनियां

यद्यपि यह भूमिका हमारी गतिविधियों का एक ऐसा पहलू है, जिसके संबंध में स्‍पष्‍ट रूप से कहीं उल्‍लेख तो नहीं है, किंतु अति महत्‍वपूर्ण गतिविधियों की श्रेणी में इसकी गिनती की जाती है। इसके अंतर्गत अर्थव्‍यवस्‍था के उत्‍पादक क्षेत्रों को ऋण उपलब्‍धता सुनिश्चित करना, देश की वित्‍तीय मूलभूत संरचना के निर्माण हेतु संस्‍थाओं की स्‍थापना करना, किफायती वित्‍तीय सेवाओं की सुलभता बढ़ाना तथा वित्‍तीय शिक्षण एवं साक्षरता को बढ़ावा देना आदि शामिल हैं।

अधिसूचनाएं


वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम, 2002- धारा 3 (1) (बी) - आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (एआरसी) के लिए निवल स्वाधिकृत निधि (एनओएफ) की आवश्यकता

आरबीआई/2016-17/295
डीएनबीआर.पीडी(एआरसी) सीसी.सं.03/एआरसी/26.03.001/2016-17

28 अप्रैल 2017

अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यकारी अधिकारी
सभी पंजीकृत आस्ति पुनर्निर्माण कंपनिया

प्रिय महोदय,

वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम, 2002- धारा 3 (1) (बी) - आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (एआरसी) के लिए निवल स्वाधिकृत निधि (एनओएफ) की आवश्यकता

दिनांक 06 अप्रैल 2017 के विकासात्मक और नियामक नीतियों पर बैंक के मौद्रिक नीति वक्तव्य के पैरा 9 (उद्धरण अनुलग्नक के रूप में संलग्न) का संदर्भ देखिए।

2. वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम, 2002 (इसके बाद इसे “सरफेसी अधिनियम, 2002” कहा जाएगा) की धारा 3 की उप धारा (1) के खंड (बी) को प्रतिस्थापित करने वाले प्रतिभूति हित का प्रवर्तन और ऋण वसूली विधि एवं विविध प्रावधान (संशोधन) अधिनियम, 2016 (2016 का 44वां) की धारा 5 का संदर्भ ग्रहण करें।

3. उक्त संशोधन की शर्तों के अधीन दो करोड़ रूपए अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक की अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट इससे अन्य उच्चतर राशि से कम निवल स्वाधिकृत निधि वाली कोई भी आस्ति पुनर्निर्माण कंपनी (इसके बाद इसे “एआरसी” कहा जाएगा) प्रतिभूतिकरण अथवा आस्ति पुनर्निर्माण कारोबार नहीं करेगी।

4. तदनुसार, दवाबग्रस्त आस्तियों का समाधान करने में एआरसी के लिए परिकलित बड़ी भूमिका तथा बैंकों द्वारा एआरसी को दवाबग्रस्त आस्तियों की बिक्री को शासित करने के संबंध में हाल ही के विनियामकीय परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए, यह निर्णय लिया गया है कि संलग्न अधिसूचना की तारीख से एआरसी के लिए न्यूनतम निवल स्वाधिकृत निधि निरंतर आधार पर 100 करोड़ निर्धारित किया गया है।

5. निवल स्वाधिकृत निधि की गणना 01 जुलाई 2015 की अधिसूचना डीएनबीआर (पीडी).सीसी.सं.03/एससीआरसी/26.03.001/2015-16 में दी गई परिभाषा के अनुसार स्वाधिकृत निधि (ओएफ) में निम्नलिखित राशि को घटाकर की जाएगी-

i. एआरसी द्वारा निम्न शेयरों में निवेश

  1. जो उसकी सहायक संस्था हो;

  2. उसी समूह की अन्य कंपनियों में;

  3. अन्य सभी एआरसी; तथा

ii. ऐसे डिबेंचर, बंध पत्रों, बकाया उधारों और अग्रिमों के उसी मूल्य के समान, जो -

  1. ऐसी कंपनियों के सहायक संस्थाओं में; और

  2. उसी समूह की कंपनियों में,

उस सीमा तक जिस तक ऐसा बही मूल्य स्वाधिकृत निधि के दस प्रतिशत से अधिक हो।

6. ऐसे सभी एआरसी जो अधिसूचना की तारीख पर भारतीय रिज़र्व बैंक के साथ पहले से पंजीकृत हैं और जिनके पास इस तारीख को संशोधित न्यूनतम एनओएफ नहीं है, उन्हें 100 करोड़ का न्यूनतम एनओएफ 31 मार्च 2019 तक प्राप्त करना होगा। इसके अनुपालन के साक्ष्य के रूप में एआरसी अपने सांविधिक लेखा-परीक्षकों से आवधिक प्रमाण पत्र प्रस्तुत करें।

7. दिनांक 28 अप्रैल 2017 की अधिसूचना डीएनबीआर (पीडी-एआरसी).संख्या 05/ईडी(एसएस)-2017 की प्रतिलिपि संलग्न है।

भवदीय,

(सी डी श्रीनिवासन)
मुख्य महाप्रबंधक

संलग्न : 1. अधिसूचना डीएनबीआर (पीडी-एआरसी) सं. 05/ईडी (एसएस) – 2017 दिनांक 28 अप्रैल 2017;

2. अनुलग्नक


भारतीय रिज़र्व बैंक
गैर-बैंकिंग विनियमन विभाग
केंद्रीय कार्यालय, सेंटर 1
विश्व व्यापार केंद्र
मुंबई 400 005

अधिसूचना

अधिसूचना डीएनबीआर (पीडी-एआरसी) संख्या 05//इडी(एसएस)-2017 दिनांक 28 अप्रैल 2017

वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम, 2002 की धारा 3 की उप धारा (1) के खंड (बी) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक एतद द्वारा यह निर्दिष्ट करता है कि इस अधिसूचना की तारीख से आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (एआरसी) के लिए निवल स्वाधिकृत निधि (एनओएफ) निरंतर आधार पर न्यूनतम एक सौ करोड़ रूपए होगी।

2. भारतीय रिज़र्व बैंक के साथ पहले से पंजीकृत ऐसे सभी एआरसी, जिनका एनओएफ एक सौ करोड़ रूपए से कम हो, उन्हें निर्धारित न्यूनतम एनओएफ स्तर 31 मार्च 2019 तक प्राप्त करना होगा और यह सांविधिक लेखा परीक्षक द्वारा विधिवत प्रमाणित होना चाहिए।

(सुदर्शन सेन)
कार्यपालक निदेशक


अनुबंध

विकासात्‍मक और विनियामकीय नीतियों से संबंधि‍त वक्‍तव्‍य - अप्रैल 06, 2017

भारतीय रिज़र्व बैंक

II. बैंकिंग विनियमन और पर्यवेक्षण

9. आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियां (एआरसी) : निवल स्वाधिकृत निधियों (एनओएफ) के न्यूनतम स्तर को बढ़ाना - वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्रचना एवं प्रतिभूति हित का प्रवर्तन (सरफेसी) अधिनियम, 2002 में पूर्व न्‍यूनतम प्रावधान 'स्वाधिकृत निधियों का 2 करोड़', को वर्ष 2016 में संशोधित 'निवल स्वाधिकृत निधियों का 2 करोड़ (एनओएफ)' कर दिया गया था, साथ ही वित्तीय आस्तियों के 15 प्रतिशत की स्वाधिकृत निधि की उच्‍चतम सीमा को हटा दिया गया था। एआरसी की बढ़ती भूमिका और अधिक-से-अधिक नकदी आधारित लेनदेनों के मद्देनज़र यह प्रस्ताव किया गया है कि एआरसी के लिए न्यूनतम 100 करोड़ का एनओएफ निर्धारित किया जाए। इस संबंध में आवश्यक अनुदेश अप्रैल 2017 के अंत तक जारी किए जाएंगे।

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