आरबीआई/2015-16/417
गैबैंविवि.कंपरि.नीप्र.सं.082/03.10.001/2015-16
02 जून, 2016
सेवा में
सभी गैर –बैंकिंग वित्तीय कंपनियां
महोदय,
परियोजना ऋणों का पुनर्वित्तीयन
कृपया गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग द्वारा वित्तीय संकटग्रस्तता की शुरू में ही पहचान, समाधान हेतु तत्काल उपाय और उधारदाताओं हेतु उचित वसूलीअर्थ व्यवस्था में संकटग्रस्त : परिसंपत्तियों को पुनर्जाग्रित करने के लिए संरचना से संबंधित 21 मार्च 2014 को जारी परिपत्र संख्या गैबैंपवि.सं.कंपरि(नीप्) 371/03.05.02/2013-14 देखें।
2. गैर -बैंकिंग वित्तीय कंपनियों से प्राप्त संदर्भों तथा बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग द्वारा क्रमशः अर्थव्यवस्था में दबावग्रस्त आस्तियों को सशक्त करने के लिए
ढांचा – परियोजना ऋणों को पुनर्वित्त प्रदान करना, एनपीए का विक्रय तथा अन्य विनियामक उपाय और परियोजना ऋणों का पुनर्वित्तीयन से संबंधित दिनांक 26 फरवरी 2014 को जारी परिपत्र संख्या डीबीओडी.बीपी.बीसी.संख्या 98/21.04.132/2013-14 और दिनांक 07 अगस्त 2014 को जारी परिपत्र संख्या डीबीओडी.बीपी.बीसी.संख्या 31/21.04.132/2014-15 में जारी दिशा निर्देशों के अनुसरण में यह निर्णय लिया गया है कि परियोजनागत ऋणों के पुनर्वित्तीयन के लिए समान दिशानिर्देश गैर बैंकिंग-वित्तीय कंपनियों पर भी लागू होंगे।
3. तदनुसार, एनबीएफसी पूर्व-निर्धारित व्यवस्था के बिना ही, किसी मौजूदा बुनियादी संरचना या किसी अन्य परियोजना ऋण को अंतरण वित्तपोषण के जरिए पुनर्वित्त प्रदान करते हैं तथा दीर्घतर चुकौती अवधि निर्धारित करते हैं तो उसे पुनर्रचना नहीं माना जाएगा बशर्ते:
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ऐसे ऋण मौजूदा उधारदाताओं की बहियों में 'मानक' होने चाहिए तथा अतीत में उनकी पुनर्रचना न हुई हो।
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ऐसे ऋण मुख्यतया (मूल्य के आधार पर बकाया ऋण के 50% से अधिक) मौजूदा वित्तीय उधारदाताओं से अधिग्रहीत होने चाहिए।
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चुकौती की अवधि का निर्धारण परियोजना के जीवन चक्र और परियोजना से नकदी प्रवाह को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए।
4. मौजूदा परियोजनागत ऋण, जिनमें सभी संस्थागत उधारदाताओं का कुल ऋण न्यूनतम ₹ 1,000 करोड़ है, ऐसे ऋणों को एनबीएफसी पूर्ण अथवा आंशिक पुनर्वित्तयन कर सकती है, यद्यपि अन्य उधारदाताओं के साथ कोई पूर्व निर्धारित समझौता न भी हो, और चुकौती अवधि बढा सकती है और निम्नलिखित शर्तों को पुरा करने की स्थिति में इसे मौजूदा और नए उधारदाताओं के खातों में रिस्ट्रक्चरिंग नहीं माना जाएगा:
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वाणिज्यिक प्रचालन आरंभ करने की तिथि (डीसीसीओ) प्राप्त होने के बाद परियोजना द्वारा वाणिज्यिक संचालन शुरू कर दिया गया हो;
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पुनर्भुगतान की अवधि परियोजना की अवधि और परियोजना से नकदी प्रवाह को ध्यान में रखते हुए तय किया गया हो और मौजूदा और नए उधारदाताओं के बोर्ड परियोजना की व्यवहार्यता से संतुष्ट हों। साथ ही, पुनर्भुगतान की कुल अवधि परियोजना की आरंभिक आर्थिक अवधि/ पीपीपी परियोजनाओं के मामले में रियायत अवधि के 85% से अधिक नहीं होना चाहिए;
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ऐसा ऋण पुनर्वित्तीयन के समय मौजूदा उधारदाताओं की बहियों में 'मानक' होना चाहिए;
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आंशिक वित्तपोषण की स्थिति में ऋण का एक बड़ा हिस्सा (बकाया ऋण के 25% से अधिक की राशि) मौजूदा वित्तपोषण उधारदाताओं से नए उधारदाताओं के एक समूह द्वारा ले लिया जाना चाहिए; और
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परियोजनागत ऋण के मौजूदा ऋण-इक्विटी अनुपात और कर्ज चुकौती कवरेज अनुपात (डीएससीआर) को एनबीएफसी के लिए स्वीकार्य बनाने हेतु, आवश्यकता पड़ने पर, ऋण को कम करने के लिए संस्थापकों द्वारा अतिरिक्त इक्विटी लाया जाना चाहिए।
5. किसी ऋणदाता द्वारा परियोजना के लिए केवल कार्यशील पूंजी का वित्त पोषण किए जाने की स्थिति में मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार उसे परियोजना मीयादी ऋण के एक हिस्से को लिए जाने के लिए ‘नया ऋणदाता' माना जा सकता है।
6. उपर्युक्त सुविधा मौजूदा परियोजना ऋणों के संपूर्ण जीवन काल के दौरान केवल एक बार के लिए उपलब्ध की जा सकेगी।
भवदीय
(सी. डी. श्रीनिवासन)
मुख्य महाप्रबंधक |