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विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम

विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियमावली, 2000 - अनिवासी (बाह्य) रुपया खाता/ विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक) जमाराशियों की जमानत पर अनिवासियों/तीसरेपक्षकोऋणप्रदानकरना

आरबीआइ/2006-07/244
ए पी(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.29

31 जनवरी,  2007

सेवा में

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक

महोदया/महोदय,

विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियमावली, 2000 - अनिवासी (बाह्य)
रुपया खाता/ विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक) जमाराशियों की
जमानत पर अनिवासियों/ तीसरे पक्ष को ऋण प्रदान करना

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों और प्राधिकृत बैंकों (बैंकों) का ध्यान समय-समय पर यथासंशोधित मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 5/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियमावली, 2000 की अनुसूची 1 के पैरा 6(क), (ख) और (ग) तथा अनुसूची 2 के पैरा 9 की ओर आकर्षित किया जाता है, जिसके अनुसार अनिवासी (बाह्य) रुपया खाता और विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक) जमाराशियां रखनेवाले बैंकों को उपर्युक्त शर्तों के तहत ऐसी जमाराशियों की जमानत पर भारत और विदेश में रहनेवाले जमाकर्ताओं साथ ही तीसरे पक्षों को भी ऋण प्रदान करने की अनुमति है।

2.         वर्ष 2006-07 की मौद्रिक नीति के संबंध में वार्षिक वक्तव्य की तीसरी तिमाही समीक्षा (पैरा 86) ने यह पाया कि अनिवासी भारतीयों को ये सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए और प्रचलित मौद्रिक परिस्थितियों पर विचार करते हुए इस सुविधा के उपयोग के माध्यम से संवेदनशील क्षेत्रों में परिसंपत्ति मूल्यों पर पड़ते हुए दबाव को अनदेखा करना बेहतर है। अतः बैंकों को अनिवासी (बाह्य) रुपया खाता और विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक) जमाराशियों की जमानत पर जमाकर्ताओं अथवा तीसरे पक्षों को 20 लाख रुपये से अधिक के नये ऋण अथवा वर्तमान ऋणों के नवीकरण करने की मनाही है।

3.         तदनुसार, बैंक तत्काल प्रभाव से जमाकर्ताओं अथवा तीसरे पक्षों को अनिवासी (बाह्य) रुपया खाता और विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक) जमाराशियों की जमानत पर 20 लाख रुपये से अधिक का न तो नया ऋण दें न वर्तमान ऋणों का नवीकरण करें। बैंकों को यह भी सूचित किया जाता है कि वे सीमा को बेअसर करने के लिए ऋण राशि के कृत्रिम हिस्से न करें।

4.         विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं।

5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने निर्यातक ग्राहकों को अवगत करा दें।

6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।

भवदीय

(सलीम गंगाधरन)
 प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


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