कोर्रिजेंडम
कोर्रिजेंडम
श्री रत्नेश्वरी कंटेनर मूवर्स के प्रोपराइटर द्वारा उठाए गए प्रश्न
यद्यपि 17 जनवरी, 2019 को प्री-बिड मीटिंग के दौरान विभिन्न मुद्दों को स्पष्ट किया गया है, कुछ अतिरिक्त प्रश्न निम्नलिखित तालिका में स्पष्ट किए गए हैं। यह ध्यान दिया जाए कि बैंक द्वारा कोई और स्पष्टीकरण नहीं दिया जाएगा और संभावित बोलीकर्ता निविदा दस्तावेजों और बैंक की वेबसाइट और MSTC ई-पोर्टल पर 24 जनवरी, 2019 को अपलोड किए गए स्पष्टीकरण द्वारा मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते है।
क्र.सं. |
स्पष्टीकरणों / प्रश्नो का विवरण |
आर बी आई, बेलापुर द्वारा जारी किए गए स्पष्टीकरण |
1. |
पात्रता मानदंड
(i) निम्नलिखित खंड निविदाओं की पात्रता मानदंडों को सूचीबद्ध करते हैं:
प्रथम अनुबंध की अनुसूची II (बोलीकर्ताओं को निर्देश) के खंड 3 (i) इस तरह के कार्य करने के लिए न्यूनतम पांच वर्ष का अनुभव निर्धारित करता है;
द्वितीय निविदा के अनुसूची II (बोलीकर्ताओं को निर्देश) के खंड 3 (i) इस तरह के कार्य करने के लिए न्यूनतम तीन वर्ष का अनुभव निर्धारित करता है;
तीसरे अनुबंध के अनुसूची II (बोलीकर्ताओं को निर्देश) के खंड 3 (i) इस तरह के कार्य करने के लिए न्यूनतम पांच वर्ष का अनुभव निर्धारित करता है।
(ii) प्रश्नकर्ता को यह आशंका है कि तीन / पांच साल का अनुभव देने की आवश्यकता से यह निर्धारित नहीं हो पायेगा कि क्या प्रस्तावित बोलीदाता के पास वास्तव में अपेक्षित अनुभव है या नहीं। इसका परिणाम यह होगा/हो सकता है कि गैर-पात्र बोलीदाता, केवल वचन पत्र देकर, उसी के लिए कोई दस्तावेज प्रदान किए बिना निविदाओं के लिए बोली लगाने के लिए पात्र बन जाएंगे।
(iii) अनुभव की ऐसी गणना का आधार भी निविदा दस्तावेजों में प्रदान नहीं किया गया है। इससे ऐसा बोली लगाने वाला बोली के लिए हकदार बन सकता है, जिसने 'कभी-कभार' कुछ काम किया हो । प्रश्नकर्ता के अनुसार, रिज़र्व बैंक को 'अपेक्षित अनुभव' की गणना के लिए उनके संबंधित संगठनों के साथ तीन / पांच साल के अनुबंध करार की भी आवश्यकता होगी।
(iv) इसलिए, अपेक्षित अनुभव की गणना के लिए पर्याप्त दस्तावेज उपलब्ध कराने की आवश्यकता को माना नहीं जा सकता है। |
इस तरह के कार्य करने के लिए निविदा दस्तावेज में अनुभव सहित पात्रता मानदंड के संबंध में स्पष्ट मार्गदर्शन निहित है । विशेष रूप से ध्यान खंड IV (तकनीकी बोली प्रपत्र-क्रमांक संख्या 9) और खंड V [तकनीकी बोली के साथ प्रस्तुत करने के लिए दस्तावेजों की सूची -क्रम संख्या (i)] की ओर आमंत्रित किया जाता है। खंड V में उल्लिखित किसी भी दस्तावेज के प्रस्तुत नहीं करने की स्थिति में, बैंक के एकमेव विवेकानुसार निविदा के भाग I में अयोग्य माना जाएगा। इस प्रकार, इस संबंध में और स्पष्टीकरण की आवश्यकता नहीं है। |
2. |
बेस रेट
(i) निविदा दस्तावेजों के अनुसूची II (बोलीकर्ताओं को निर्देश) के खंड 20 में इस प्रकार उपलब्ध है:
“20.1 फाइनेंशियल बिड (Par-II) में निविदाकर्ताओं द्वारा उद्धृत दरों की तुलना उन मौजूदा दरों से की जाएगी, जिस पर वर्तमान ठेकेदार आरबीआई, बेलापुर द्वारा नियोजित किया गया है। वर्ष 2018-19 के लिए वर्तमान अनुबंधित दर को बेस रेट के रूप में माना जाएगा और सीवीसी के दिशानिर्देशों के अनुसार (+/- 25%) से ऊपर के विचलन को फ्रेक दर माना जाएगा। बेस रेट यानी मौजूदा दरें निर्गम विभाग, आरबीआई, सीबीडी बेलापुर में उपलब्ध हैं और जो भी निविदाकर्ता मौजूदा दरों को ब्राउज़ करना चाहते हैं, वे निर्गम विभाग, आरबीआई, सीबीडी बेलापुर से संपर्क कर सकते हैं।”
(ii) प्रश्नकर्ता सीवीसी के दिशानिर्देशों के अनुसार ‘फ्रेक दर’ का स्पष्टीकरण चाहेंगे। पिछले वर्ष के लिए बेस रेट की +/- 25% तक ऊपरी और निचली सीमा को कैप करके, प्रश्नकर्ता के अनुमान के अनुसार उस की बोली लगाने की क्षमता बाधित है।
(iii) भारतीय रिज़र्व बैंक, लखनऊ या भारतीय रिज़र्व बैंक नोएडा द्वारा समान कार्यक्षेत्र के बारे में जारी किए गए किसी भी निविदा में उपरोक्त प्रक्रिया के लिए कोई स्पष्टीकरण प्राप्त करने में प्रश्नकर्ता विफल है।
(iv) इसके अलावा, यदि प्रश्नकर्ता को उक्त टेंडर प्रदान किया जाता है, तो बोली लगाने वालों को बेस रेट का खुलासा (मौजूदा टेंडर के लिए) जैसा कि प्रश्नकर्ता द्वारा प्रस्तुत किया गया है, रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए जाने वाले अगले टेंडर के लिए, जैसा कि वर्तमान में किया गया है, अत्यधिक आपत्तिजनक होगा। प्रश्नकर्ता इस प्रथा को रुकवा देंगे कि यदि मौजूदा निविदा के लिए उनके द्वारा उद्धृत दरों को बाद में किसी तीसरे पक्ष को बिना इसकी सहमति के प्रकट कर दिया जाए। |
17 जनवरी, 2019 को आयोजित प्री-बिड मीटिंग के दौरान, संभावित बोलीदाताओं को बेस रेट / अनुमानित दर के बारे में जानकारी प्रदान की गई थी और इस संबंध में कोई और स्पष्टीकरण की आवश्यकता नहीं है। |
3. |
रोके रखने का प्रभार
(i) प्रश्नकर्ता ने प्री-बिड मीटिंग में रोके रखने के प्रभार के सम्बन्ध में बैंक के जवाब को देखा है, जो इस प्रकार पठित है:
“आरबीआई, बेलापुर से सीसी के लिए बाह्य प्रेषण, और सीसी से भारतीय रिजर्व बैंक, बेलापुर के लिए आवक प्रेषण हेतु ट्रांजिट अवधि के दौरान वाहन के लिए रोके रखने का प्रभार का भुगतान नहीं किया जाएगा।.”
(ii) खंड VII के पैर III में यह भी उल्लेख है कि निविदाकर्ता से अपेक्षित है कि “बैंक के प्रबंधन के नियंत्रण से परे कारणों के लिए कार्यालय के घंटे के बाद, यदि अपेक्षित हो, तो वाहनों को रोके रखने का प्रभार” को कोट करे ।
(iii) प्रश्नकर्ता इस भेद को समझने में असमर्थ है कि बैंक किन परिस्थितियों में रोके रखने के प्रभार को प्रदान करेगा और प्रदान नहीं करेगा। ऊपर उल्लिखित दो खंडों के मद्देनजर प्रश्नकर्ता ने स्पष्टीकरण के लिए अनुरोध किया है। |
रोके रखने के प्रभार के संबंध में स्पष्टीकरण 24 जनवरी, 2019 को बैंक की वेबसाइट और एमएसटीसी ई-पोर्टल पर अपलोड किया गया है। इस संबंध में और स्पष्टीकरण की आवश्यकता नहीं है। |
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