7 जुलाई 2022
रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 09/2022: बैंकों के ऋण और निवेश की गतिकी:
पोर्टफोलियो पुनर्संतुलन और क्राउडिंग-आउट की जांच
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला* के अंतर्गत “बैंकों के ऋण और निवेश की गतिकी: पोर्टफोलियो पुनर्संतुलन और क्राउडिंग-आउट की जांच” शीर्षक से एक वर्किंग पेपर रखा। पेपर का लेखन संजय सिंह, गरिमा वाही और मुनीश कपूर ने किया है।
यह पेपर भारतीय बैंकों के आस्ति पोर्टफोलियो की गतिकी और सरकारी प्रतिभूतियों में उनके निवेश का उनकी लाभप्रदता पर प्रभाव का विश्लेषण करता है। अनुभवमूलक विश्लेषण इंगित करता है कि कमजोर आर्थिक स्थिति और दबावग्रस्त आस्ति गुणवत्ता, बैंकों को एक पोर्टफोलियो पुनर्संतुलन चैनल का सुझाव देते हुए सरकारी प्रतिभूतियों में अपने निवेश को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करती है। उच्च सरकारी ऋण की स्थिति में सरकारी प्रतिभूतियों में बैंकों द्वारा अधिक निवेश एक क्राउडिंग-आउट चैनल के संचालन को इंगित करता है, और इसके प्रभाव को केंद्रीय बैंक के बाजार संचालन द्वारा एक हद तक कम किया जा सकता है। बेहतर आस्ति गुणवत्ता और उच्च पूंजी पर्याप्तता वाले बैंकों के लिए क्राउडिंग-आउट न्यूनतर है। बैंकों के आस्ति पोर्टफोलियो में सरकारी प्रतिभूतियों की हिस्सेदारी में वृद्धि का सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की लाभप्रदता पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है, जो ऋण के सापेक्ष सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश से बेहतर जोखिम-समायोजित प्रतिलाभ की ओर इशारा करता है। कुल मिलाकर, बैंकों की आस्ति गुणवत्ता और पूंजी की स्थिति को मजबूत करने के उद्देश्य से नीतियों द्वारा उत्पादक क्षेत्रों में बैंक ऋण का प्रवाह बढ़ सकता है।
(योगेश दयाल)
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/493
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