3 फरवरी 2021
एनबीएफसी / यूसीबी में जोखिम आधारित आंतरिक लेखा-परीक्षा (आरबीआईए)
रिज़र्व बैंक ने दिनांक 4 दिसंबर 2020 को मौद्रिक नीति वक्तव्य के भाग के रूप में जारी ‘विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य’ में घोषणा की थी कि आंतरिक लेखा परीक्षा कार्य, जो रक्षा की तीसरी पंक्ति के रूप में काम करता है, को मजबूत करने के उद्देश्य से जोखिम आधारित आंतरिक लेखा-परीक्षा (आरबीआईए) को अपनाने के लिए बृहद यूसीबी और एनबीएफ़सी के लिए उपयुक्त दिशानिर्देश जारी करेगा।
तदनुसार, जमा स्वीकार करने वाले सभी गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफ़सी), ₹5,000 करोड़ और उससे अधिक के आस्ति आकार वाले जमा स्वीकार न करने वाले सभी एनबीएफ़सी (कोर निवेश कंपनियों सहित), ₹500 करोड़ और उससे अधिक के आस्ति आकार वाले सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) को शामिल करते हुए आरबीआईए संबंधी एक परिपत्र आज जारी किया गया है।
परिपत्र का उद्देश्य, अन्य बातों के साथ-साथ, एक मजबूत आंतरिक लेखा-परीक्षा कार्य के लिए आवश्यक अपेक्षाओं को उपलब्ध कराना है, जिसमें पर्याप्त प्राधिकार, महता, स्वतंत्रता, संसाधन और पेशेवर क्षमता शामिल हैं, ताकि इन अपेक्षाओं को बृहद एनबीएफ़सी/यूसीबी में संरेखित किया जा सके, जो अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के लिए भी निर्धारित है। यह उम्मीद की जाती है कि ऐसी संस्थाओं द्वारा आरबीआईए को अपनाने से उनकी आंतरिक लेखापरीक्षा प्रणाली की गुणवत्ता और प्रभावशीलता को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
(योगेश दयाल)
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2020-2021/1036 |