16 अक्तूबर 2020
रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 12/2020: “भारत में बैंक पूंजी और मौद्रिक नीति संचरण”
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला के तहत " भारत में बैंक पूंजी और मौद्रिक नीति संचरण " शीर्षक से एक वर्किंग पेपर रखा*। पेपर का लेखन सिलु मुदुली और हरेंद्र बेहरा ने किया है।
यह पेपर वैश्विक वित्तीय संकट अवधि के पश्चात भारत में मौद्रिक नीति संचरण में बैंक पूंजी की भूमिका की जांच करता है। बैंक पूंजी चैनल बताता है कि मौद्रिक नीति कैसे किसी बैंक की समग्र पूंजी स्थिति को प्रभावित करके बैंक ऋण देने को प्रभावित कर सकती है। इस प्रकार, बैंकों के ऋण देने और उधार लेने की गतिविधि में पूंजी की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
पेपर के प्रमुख निष्कर्ष हैं:
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उच्चत्तम जोखिम-भारित आस्तियों की तुलना में पूंजी अनुपात(सीआरएआर) वाले बैंक कम लागत पर धन जुटाते हैं।
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उच्च सीआरएआर वाले बैंक मौद्रिक नीति का सुचारू संचरण करते हैं, जबकि बैंकिंग क्षेत्र में दबाव वाली आस्तियां संचरण को बाधित करती हैं।
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सीआरएआर को बढ़ाने के लिए पुनर्पूंजीकरण करने से, मौद्रिक नीति के संचरण में मदद मिलती है, तथापि, एक निश्चित सीमा स्तर के ऊपर सीआरएआर मददगार साबित नहीं होगी क्योंकि सीमा के ऊपर सीआरएआर वाले बैंकों के लिए मौद्रिक नीति दर में ऋण वृद्धि की संवेदनशीलता कम हो जाती है।
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इस प्रकार, मौद्रिक नीति, बैंकों की पूंजी की स्थिति के आधार पर अर्थव्यवस्था में ऋण प्रवाह को प्रभावित कर सकती है।
(योगेश दयाल)
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2020-2021/502
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