4 सितंबर 2019
रिज़र्व बैंक ने ऋणों की कुछ श्रेणियों के लिए 1 अक्टूबर 2019 से
बाह्य बेंचमार्क आधारित ब्याज दर अनिवार्य किया
भारतीय रिज़र्व बैंक अस्थायी दर वाले ऋण संबंधी ब्याज दर को निर्धारित करने के लिए बाह्य बेंचमार्क के उपयोग को अनिवार्य करने की व्यवहार्यता की जांच कर रहा है। रिज़र्व बैंक ने अप्रैल 2016 से लागू निधियों की सीमांत लागत आधारित उधार दर (एमसीएलआर) प्रणाली के कामकाज की जांच करने के लिए अगस्त 2017 में एक आंतरिक अध्ययन समूह (आईएसजी) का गठन किया था। आईएसजी की रिपोर्ट में बाह्य बेंचमार्क आधारित ऋण दर प्रणाली की सिफारिश की गई, जिसे अक्टूबर 2017 में सार्वजनिक रूप से जारी किया गया था। रिपोर्ट पर अध्ययन समूह की टिप्पणियों को भी फरवरी 2018 में एक परिशिष्ट के रूप में सार्वजनिक रूप से जारी किया गया था।
2 भारतीय रिजर्व बैंक ने दिनांक 5 दिसंबर 2018 के विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य में बैंकों के लिए सभी नए अस्थिर दर वाले व्यक्तिगत और खुदरा ऋणों और एमएसएमई को दिए जाने वाले अस्थिर दर वाले ऋणों को बाह्य बेंचमार्क से जोड़ने के कार्य को अनिवार्य बनाने के अपने इरादे की घोषणा की थी। चूंकि यह महसूस किया गया कि इस मामले में हितधारकों के परामर्श की आवश्यकता है, दिनांक 4 अप्रैल 2019 को विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य में यह घोषणा की गई कि भारतीय रिजर्व बैंक इस मामले में अंतिम निर्णय लेने से पहले और विचार-विमर्श करेगा।
3. यह देखा गया है कि विभिन्न कारणों से वर्तमान एमसीएलआर ढांचे के अंतर्गत बैंकों के उधार दर में नीतिगत दर परिवर्तन का संचरण संतोषजनक नहीं रहा है। इसलिए रिज़र्व बैंक ने आज एक परिपत्र जारी कर बैंकों के लिए सभी नए अस्थिर दर वाले व्यक्तिगत और खुदरा ऋणों और एमएसएमई को दिए जाने वाले अस्थिर दर वाले ऋणों को बाह्य बेंचमार्क से जोड़ने के कार्य को 1 अक्टूबर 2019 से अनिवार्य किया है। बैंक परिपत्र में दर्शाए गए कई बेंचमार्कों में से एक का चयन करने के लिए स्वतंत्र हैं। बैंक बेंचमार्क दर पर अपने स्प्रेड का चयन करने के लिए भी इस शर्त के अधीन स्वतंत्र हैं कि ऋण जोखिम प्रीमियम में परिवर्तन तभी हो सकता है जब उधारकर्ता के ऋण मूल्यांकन में वस्तुगत परिवर्तन हुआ हो, जैसा कि ऋण अनुबंध में स्वीकृत किया गया है।
योगेश दयाल
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2019-2020/618
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