Click here to Visit the RBI’s new website

प्रेस प्रकाशनी

रिजर्व बैंक केन्द्रीय बोर्ड ने बिमल जालान समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया और अधिशेष की राशि सरकार को अंतरित करने के लिए अनुमति दी

26 अगस्त 2019

रिजर्व बैंक केन्द्रीय बोर्ड ने बिमल जालान समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया और
अधिशेष की राशि सरकार को अंतरित करने के लिए अनुमति दी

भारतीय रिजर्व बैंक (रिजर्व बैंक) केन्द्रीय बोर्ड ने आज भारत सरकार को 1,76,051 करोड़ की राशि अंतरित करने का निर्णय किया है, जिसमें वर्ष 2018-19 के लिए 1,23,414 करोड़ राशि का अधिशेष और केंद्रीय बोर्ड की आज की बैठक में स्वीकृत संशोधित आर्थिक पूंजी ढांचे (ईसीएफ) के अनुसार अतिरिक्त प्रावधान के रूप में निर्धारित 52,637 करोड़ की राशि शामिल हैं।

2. यह उल्लेखनीय है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने, भारत सरकार के परामर्श से भारतीय रिजर्व बैंक के मौजूदा आर्थिक पूंजी ढांचे की समीक्षा के लिए एक विशेषज्ञ समिति (अध्यक्ष: डा.बिमल जालान) का गठन किया था। समिति ने अब अपनी रिपोर्ट रिज़र्व बैंक के गवर्नर को सौंप दी है। समिति की सिफारिशें केंद्रीय बैंकों के वित्तीय लचीलेपन,सीमा-पार प्रथाओं, संवैधानिक प्रावधानों और रिज़र्व बैंक के सार्वजनिक नीति जनादेश के प्रभाव और बैंक की बैलेंस शीट पर परिचालनरत परिवेश और उसमें शामिल जोखिमों के विचार पर आधारित रही हैं ।

3. समिति की सिफारिशें इस तथ्य से निर्देशित थी कि रिज़र्व बैंक मौद्रिक, वित्तीय और बाहरी स्थिरता के लिए प्राथमिक सुरक्षा के उपाय करता है। इसलिए, रिज़र्व बैंक के लचीलेपन को अपने सार्वजनिक नीति उद्देश्यों के अनुरूप होना चाहिए और अन्य केंद्रीय बैंकों के स्तर से उसे अपने आप को ऊपर बनाए रखना चाहिए, क्योंकि दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक केंद्रीय बैंक होने के कारण उससे यही उम्मीद की जाती है।

4. जोखिम प्रावधानीकरण और अधिशेष वितरण के संबंध में समिति की प्रमुख सिफारिशें

(i) रिज़र्व बैंक की आर्थिक पूंजी: समिति ने रिज़र्व बैंक द्वारा रखे गए विभिन्न भंडारों, जोखिम प्रावधानों और जोखिम बफ़रों की स्थिति, आवश्यकता और औचित्य की समीक्षा की और उसे जारी रखने की सिफारिश की। आर्थिक पूंजी के दो घटकों (प्राप्त इक्विटी और पुनर्मूल्यांकन शेष) के बीच एक स्पष्ट अंतर की समिति द्वारा अनुशंसा की गई क्योंकि प्राप्त की गई इक्विटी का उपयोग सभी जोखिमों/नुकसानों को पूरा करने के लिए किया जा सकता है क्योंकि वे मुख्य रूप से प्रतिधारित आय से निर्मित होती हैं, जबकि पुनर्मूल्यांकित शेष को बाजार जोखिमों के विरुद्ध केवल जोखिम बफ़र्स के रूप में गिना जाता हैं क्योंकि वे प्राप्त न किए गए मूल्यांकन लाभ का प्रतिनिधित्व करते हैं और इसलिए वितरण योग्य नहीं होते हैं। इसके अलावा, उनके बीच केवल एक-तरफ़ा प्रतिमोच्यता रहती है, जिसका तात्पर्य यह है कि पुनर्मूल्यांकन बैलेंस के साथ साथ बाजार जोखिम प्रावधानीकरण आवश्यकताओं में कमी, यदि कोई हो, तो शुद्ध आय से बढ़े हुए जोखिम प्रावधानीकरण से उसकी पूर्ति की जा सकती है, इसके विपरीत, अर्थात बाजार जोखिम प्रावधानीकरण आवश्यकताओं पर अधिशेष पुनर्मूल्यांकन शेष राशि का उपयोग अन्य जोखिमों के प्रावधानीकरण में कमी को कवर करने के लिए करने की अनुमति नहीं होगी। समिति ने इस अंतर को दर्शाने के लिए रिज़र्व बैंक की बैलेंस शीट में देयताओं की प्रस्तुति को संशोधित करने की सिफारिश की।

(ii) बाजार जोखिम के लिए जोखिम प्रावधानीकरण: समिति ने रिज़र्व बैंक के बाजार जोखिम को मापने के लिए दबावग्रस्त परिस्थितियों (वर्तमान के दबावग्रस्त जोखिम मूल्य (स्ट्रेस्ड-वैल्यू) के स्थान पर) के तहत अपेक्षित कमी (ईएस) पद्धति को अपनाने की अनुशंसा की है, जिस पर हाल के वर्षों में केंद्रीय बैंकों के साथ-साथ वाणिज्यिक बैंकों के बीच आम सहमति बढ़ती जा रही थी। । जबकि केंद्रीय बैंकों को 99 प्रतिशत विश्वास स्तर (सीएल) पर ईएस को अपनाते हुए देखा जाता है, समष्टि आर्थिक स्थिरता आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए समिति ने ईएस 99.5 प्रतिशत (सीएल) के लक्ष्य को अपनाने की अनुशंसा की है। रिज़र्व बैंक के पुनर्मूल्यन शेष की चक्रीय अस्थिरता के मद्देनजर, 97.5 प्रतिशत सीएल की निम्न जोखिम सहिष्णुता सीमा (आरटीएल) को भी स्पष्ट किया गया है। समिति द्वारा उनकी पर्याप्तता के लिए दोनों स्तरों पर तनाव का परीक्षण किया गया।

(iii) प्राप्त इक्विटी का आकार: समिति ने माना कि मौद्रिक, वित्तीय और बाह्य स्थिरता जोखिमों के लिए रिज़र्व बैंक का प्रावधानीकरण 'बरसात के दिन' (एक मौद्रिक/वित्तीय स्थिरता संकट) के लिए देश की बचत है, जिसे मौद्रिक प्राधिकरण और अंतिम ऋणदाता के रूप में रिज़र्व बैंक की भूमिका को देखते हुए सचेत रूप से बनाए रखा जाता है। ऋण जोखिम और परिचालन जोखिम को कवर करने के लिए प्राप्त इक्विटी की भी आवश्यकता होती है। मुख्य रूप से धारित आय से किए गए इस जोखिम प्रावधानीकरण को संचयी रूप से आकस्मिक जोखिम बफर (सीआरबी) के रूप में संदर्भित किया जाता है और इसे रिज़र्व बैंक के तुलन-पत्र के 6.5 प्रतिशत से 5.5 प्रतिशत के बीच बनाए रखने की सिफारिश की गई है, जिसमें 5.5 से 4.5 प्रतिशत मौद्रिक और वित्तीय स्थिरता जोखिमों के लिए और क्रेडिट और परिचालन जोखिम के लिए 1.0 प्रतिशत रखा जाता है। इसके अलावा, बाजार के जोखिम आरटीएल के साथ-साथ पुनर्मूल्यन शेष में कोई भी कमी प्राप्त इक्विटी की आवश्यकता को बढ़ाएगी। समिति ने फॉरेक्स पोर्टफोलियो के सकेन्द्रण जोखिम के आकलन के साथ-साथ रिज़र्व बैंक के बाजार-क्रेडिट जोखिम का संयुक्त रूप से आकलन करने के लिए कार्यप्रणाली के विकास की भी अनुशंसा की।

(iv) अधिशेष वितरण नीति : समिति ने अधिशेष वितरण नीति की अनुशंसा की है जो कि रिज़र्व बैंक द्वारा अपने सम्पूर्ण आर्थिक पूंजी स्तर के तहत बनाए रखी जानेवाली प्राप्त इक्विटी के स्तर को लक्षित करती है जबकि पहले की नीति में केवल कुल आर्थिक पूंजी स्तर को लक्षित किया गया था।समूची निवल आय सरकार को तभी अंतरित की जाएगी जब प्राप्त इक्विटी अपनी आवश्यकता से अधिक होगी।यदि यह आवश्यकता की निचली सीमा से कम होगी, तो आवश्यक सीमा तक जोखिम प्रावधानीकरण किया जाएगा और सरकार को केवल अवशिष्ट निवल आय (यदि कोई हो) अंतरित की जाएगी । सीआरबी की सीमा, अर्थात् तुलन-पत्र के 6.5 से 5.5 प्रतिशत, के भीतर होनेपर केंद्रीय बोर्ड जोखिम प्रावधानीकरण के स्तर का निर्णय करेगा।

5. समिति की सिफारिशों को लागू करना

केंद्रीय बोर्ड ने समिति की सभी सिफारिशों को स्वीकार कर लिया और जोखिम प्रावधानीकरण और अधिशेष अंतरण को निर्धारित करने के लिए संशोधित ढांचे का उपयोग करके 2018-19 के लिए रिज़र्व बैंक लेखा को अंतिम रूप दिया। इस निर्णय के निहितार्थ नीचे दिए गए हैं:

(i) प्राप्त इक्विटी: यह देखते हुए कि उपलब्ध प्राप्त इक्विटी तुलन-पत्र के 6.8 प्रतिशत रहीं, जबकि समिति द्वारा अनुशंसित अपेक्षाएँ तुलन-पत्र के 6.5 प्रतिशत से 5.5 प्रतिशत थी, सीआरबी की उच्चतम सीमा 11,608 करोड़ और न्यूनतम सीमा 52,637 करोड़ तक के जोखिम प्रावधानीकरण को अतिरिक्त पाया गया। केंद्रीय बोर्ड ने प्राप्त इक्विटी स्तर को तुलन-पत्र के 5.5 प्रतिशत पर बनाए रखने का निर्णय किया और जिसके परिणामस्वरूप 52.537 करोड़ का जोखिम प्रावधानीकरण वापस लिया गया।

(ii) आर्थिक पूंजी स्तर: जबकि संशोधित रूपरेखा 30 जून, 2019 तक रिज़र्व बैंक की आर्थिक पूंजी के स्तर को तुलन-पत्र (प्राप्त इक्विटी के स्तर और उपलब्ध पुनर्मूल्यन शेष राशि के आधार पर) के 24.5 प्रतिशत से 20.0 प्रतिशत के बीच रहने की तकनीकी रूप से अनुमति देता है 30 जून 2019 को आर्थिक पूंजी तुलन-पत्र के 23.3 प्रतिशत रहीं। चूंकि वित्तीय लचीलापन वांछित सीमा के भीतर था, वर्ष 2018-19 के लिए 1,23,414 करोड़ की पूरी शुद्ध आय, जिसमें से 28,000 करोड़ की राशि पहले ही अंतरिम लाभांश के रूप में भुगतान की जा चुकी है, भारत सरकार को अंतरित कर दी जाएगी। यह राशि 52,637 करोड़ के अतिरिक्त जोखिम प्रावधान,जिसे वापिस लिया जा रहा है, के अलावा होगी और परिणामस्वरूप सरकार को अंतरित की जाएगी।

6. रिज़र्व बैंक एक केंद्रीय बैंक के रूप में 30 जून, 2019 को, वैश्विक स्तर पर वित्तीय लचीलेपन के उच्चतम स्तर पर है।

7. बोर्ड ने वर्तमान आर्थिक स्थिति, वैश्विक और घरेलू चुनौतियों और रिजर्व बैंक के परिचालन के विभिन्न क्षेत्रों की भी समीक्षा की। इसके अलावा बोर्ड ने वर्ष 2018-19 के लिए रिज़र्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट को मंजूरी दे दी।

8. श्री शक्तिकान्त दास, गवर्नर ने केंद्रीय बोर्ड की 578 वीं बैठक की अध्यक्षता की। भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर श्री एन.एस. विश्वनाथन एवं श्री महेश कुमार जैन और रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड के अन्य निदेशक- डॉ. प्रसन्न कुमार मोहंती, श्री दिलीप एस. संघवी, श्री नटराजन चंद्रशेकरन, श्री भरत दोशी, श्री सुधीर मांकड़, श्री मनीष सभरवाल, श्री स्वामीनाथन गुरुमूर्ति, सुश्री रेवती अय्यर और प्रो. सचिन चतुर्वेदी ने बैठक में भाग लिया। सरकार के निदेशक श्री राजीव कुमार, वित्त सचिव और सचिव, वित्तीय सेवा विभाग और आर्थिक कार्य विभाग के सचिव श्री अतनु चक्रवर्ती भी उपस्थित थे।

योगेश दयाल  
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2019-2020/531


2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
पुरालेख
Server 214
शीर्ष