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प्रेस प्रकाशनी

अप्रैल 2018 के लिए मासिक बुलेटिन

10 अप्रैल 2018

अप्रैल 2018 के लिए मासिक बुलेटिन

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपने मासिक बुलेटिन का अप्रैल 2018 अंक जारी किया। बुलेटिन में वर्ष 2018-19 के लिए पहला द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य, मौद्रिक नीति रिपोर्ट-अप्रैल 2018, शीर्ष प्रबंध-तंत्र का एक भाषण, दो लेख, वर्किंग पेपर और डीआरजी अध्ययन की प्रेस प्रकाशनी तथा वर्तमान सांख्यिकी शामिल है।

‘केंद्रीय बज़ट 2018-19: एक आकलन’ तथा ‘भारतीय प्रत्यक्ष निवेश कंपनियों की विदेशी देयताओं और आस्तियों की गणनाः 2016-17’ पर दो लेख हैं।

1. केंद्रीय बज़ट 2018-19: एक आकलन

इस लेख में केंद्रीय बज़ट 2018-19 की मुख्य विशेषताओं का विश्लेषण किया गया है जिसमें कुछ देखने योग्य और अंतर्निहित प्रवृत्तियों और आगे के निहितार्थों को उजागर किया गया है।

प्रमुख विशेषताएं:

  • वर्ष 2017-18 में, संशोधित अनुमानों में जीडीपी के 3.2 प्रतिशत के बज़टीय सकल राजकोषीय घाटे से 0.3 प्रतिशत की कमी देखी गई है।

  • सकल राजकोषीय घाटा और राजस्व घाटा (आरडी) का वर्ष 2018-19 में जीडीपी के क्रमशः 3.3 प्रतिशत और 2.2 प्रतिशत से 0.2 और 0.4 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया गया है। संशोधित एफआरबीएम पथ से विचलन में, जीएफडी-जीडीपी के 3.0 प्रतिशत के लक्ष्य की उपलब्धि को अब 2020-21 तक टाल दिया गया है।

  • मध्यावधि समायोजन पथ के स्थगन के साथ वर्ष 2017-18 में राजकोषीय कमी के व्यापक समष्टि-वित्तीय निहितार्थ हैं जिनमें उधार की अर्थव्यवस्था पर व्यापक लागत शामिल है।

  • प्राप्ति पक्ष पर, सकल कर राजस्व वर्ष 2018-19 (बीई) में जीडीपी के मजबूत 16.7 प्रतिशत से 12.1 प्रतिशत होने का अनुमान है। वर्ष 2017-18 (आरई) में विनिवेश का लक्ष्य ज्यादा होने से, वर्ष 2018-19 के लिए लक्ष्य 800 बिलियन का अनुमान लगाया गया है।

  • व्यय पक्ष पर, राजस्व व्यय पूंजीगत व्यय की तुलना में उच्चतर दर से बढ़ने का अनुमान है जिसके परिणामस्वरूप, राजस्व-पूंजी अनुपात वर्ष 2016-17 के 6:1 प्रतिशत के मुकाबले वर्ष 2018-19 (बीई) में 7:1 प्रतिशत हो गया।

  • कुल मिलाकर, बज़ट में ग्रामीण अर्थव्यवस्था और कृषि, सामाजिक क्षेत्र (शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक संरक्षण), वरिष्ठ नागरिक, इंफ्रास्ट्रक्चर और वित्तीय क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया गया है। डिजिटलीकरण, आधार समर्थित सार्वजनिक सेवाओं पर जोर और रोजगार पर ध्यान केंद्रित करने से वृद्धि का पुनरुत्थान समावेशी और न्यायोचित होगा।

2. भारतीय प्रत्यक्ष निवेश कंपनियों की विदेशी देयताओं और आस्तियों की गणनाः 2016-17

यह लेख भारतीय कंपनियों की भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई), उनके समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश (ओडीआई) और अन्य निवेशों से उत्पन्न समुद्रपारीय देयताओं और आस्तियों पर सूचना उपलब्ध कराता है। गणना के 2016-17 के दौर में 18,667 कंपनियों को कवर किया गया जिनमें से 17,020 कंपनियों के तुलन पत्र में मार्च 2017 में एफडीआई/ओडीआई था।

प्रमुख विशेषताएं:

  • प्रतिक्रिया देने वाली उन अधिकांश कंपनियों को असूचीबद्ध कर दिया गया जिनका मार्च 2017 में सूचीबद्ध कंपनियो की तुलना में एफडीआई इक्विटी पूंजी की बड़ी हिस्सेदारी थी।

  • विनिर्माण क्षेत्र में बाजार मूल्यों पर कुल एफडीआई के लगभग आधी हिस्सेदारी रही, ‘सूचना और संचार सेवाएं’ तथा ‘वित्तीय और बीमा गतिविधियां’ अन्य प्रमुख क्षेत्र रहे जिनमें एफडीआई आया।

  • आवक प्रत्यक्ष निवेश का भारतीय स्टॉक बाजार मूल्य पर इसके जावक प्रत्यक्ष निवेश का लगभग चार गुणा रहा।

  • इक्विटी मूल्यनिर्धारण अभिलाभ, हालांकि आर्थिक क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न रहे, लेकिन उनकी हिस्सेदारी काफी बड़ी थी।

  • भारतीय और विदेशी सीमापार सहायक संस्थाओं ने मजबूत सीमापार ट्रेड लिंकेज बनाए रखे और वर्ष 2016-17 के दौरान अच्छी कारोबारी वृद्धि दर्ज की।

  • सूचना और संचार भारत में विदेशी सहायक संस्थाओं में सबसे बड़ा निर्यातोन्मुखी क्षेत्र रहा।

इस गणना से संबंधित विस्तृत आंकड़े भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर 19 जनवरी 2018 को प्रेस प्रकाशनी सं. 2017-2018/1981 के तहत पहले ही जारी कर दिए थे।

जोस जे. कट्टूर
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2017-2018/2689


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