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प्रेस प्रकाशनी

मार्च 2018 का मासिक बुलेटिन

10 मार्च 2018

मार्च 2018 का मासिक बुलेटिन

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपने मासिक बुलेटिन का मार्च 2018 अंक जारी किया। इसमें दो लेख और वर्तमान सांख्यिकी है। ‘कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवाओं का निर्यातः 2016-17 पर सर्वेक्षण’ तथा ‘परिवारों की वित्तीय आस्तियों और देयताओं का तिमाही अनुमान’ पर लेख दिए गए हैं।

I. कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवाओं का निर्यातः 2016-17 पर सर्वेक्षण

यह लेख गतिविधि के स्वरूप, सेवाओं के प्रकार (ऑन-साइट/ऑफ-साइट), निर्यात के देशों और आपूर्ति के मोड (सीमापार आपूर्ति, विदेश में उपभोग, वाणिज्यिक उपस्थिति और प्राकृतिक व्यक्ति की उपस्थिति) के अनुसार कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवाओं (आईटीईएस) के निर्यात पर सूचना उपलब्ध कराता है। इस सर्वेक्षण के 2016-17 दौर में 1.362 कंपनियों को कवर किया गया है जिसमें अधिकांश बड़ी कंपनियां हैं जो कुल मिलाकर इस के दौरान कुल अनुमानित सॉफ्टवेयर निर्यात के 80 प्रतिशत से अधिक हैं।

लेख की मुख्य-मुख्य बातें निम्नानुसार हैं:

  • वर्ष 2016-17 के दौरान कंप्यूटर सेवाओं और आईटीईएस/कारोबारी प्रक्रिया आउटसोर्सिंग (बीपीओ) सेवाओं (वाणिज्यिक उपस्थिति को छोड़कर) के लिए भारत का कुल निर्यात अमेरिकी डॉलर में 10.3 प्रतिशत तक बढ़ा।

  • कंप्यूटर सेवाएं भारत के सॉफ्टवेयर सेवा निर्यात का प्रमुख घटक बना रहा तथा समग्र आईटीईएस निर्यात में अभियांत्रिकी सेवाओं का योगदान पिछले दशक से धीरे-धीरे बढ़ा है।

  • ऑफ-साइट मोड डिलीवरी का पसंदीदा मोड रहा।

  • सीमापार आपूर्ति सॉफ्टवेयर सेवाओं का प्रधान घटक रहा, हालांकि भारतीय कंपनियां विदेशी सहयोगी संस्थाओं के माध्यम से अधिक सॉफ्टवेयर सेवाएं मुहैया करा रही हैं।

  • सॉफ्टवेयर सेवाओं के निर्यात में गंतव्य देशों और बीजक मुद्रा के मामले में विविधीकरण देखा गया।

कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवाओं का निर्यातः 2016-17 पर सर्वेक्षण के परिणामों से संबंधित आंकड़े पहले भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर 8 दिसंबर 2017 को जारी किए गए थे।

II. परिवारों की वित्तीय आस्तियों और देयताओं का तिमाही अनुमान

अर्थव्यवस्था में उत्पादन कारकों, उपभोक्ताओं के रूप में और बचत के माध्यम से निवेश के लिए वित्तपोषण के स्रोत के रूप में परिवार मुख्य भूमिका निभाते हैं। इस प्रकार, इस क्षेत्र पर उच्चतर बारंबारता वित्तीय सूचना की उपलब्धता समष्टि-आर्थिक स्थिति के बेहतर आकलन के लिए वांछनीय है। यह लेख वर्ष 2015-16 से 2017-18 की अवधि के लिए निधि प्रवाह दृष्टिकोण का अनुसरण करते हुए तिमाही आधार पर परिवार क्षेत्र की वित्तीय आस्तियों और देयताओं की मैपिंग प्रस्तुत करता है।

लेख की मुख्य-मुख्य बातें निम्नानुसार हैं:

  • भारतीय परिवारों की वित्तीय आस्तियां मुख्य रूप से बैंक जमाराशियों के रूप में हैं जिनके बाद जीवन बीमा निधियां हैं।

  • देयता पक्ष पर भी, वाणिज्यिक बैंक परिवारों के उधार का सबसे बड़ा स्रोत रहे हैं।

  • विमुद्रीकरण के बाद वर्ष 2016-17 की तीसरी तिमाही में इस क्षेत्र के वित्तीय पोर्टफोलियो में मुद्रा से जमाराशियों में परिवर्तन देखा गया जो बाद की तिमाहियों में सामान्य स्तरों पर वापस आ गया।

  • सेवानिवृत्ति निधियों और म्यूच्युअल फंडों में निवेश वर्ष 2017-18 में अब तक अर्थात 2017-18 की दूसरी तिमाही तक बढ़ा है।

जोस जे. कट्टूर
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2017-2018/2414


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