11 दिसंबर 2017
दिसंबर 2017 के लिए मासिक बुलेटिन
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपने मासिक बुलेटिन का दिसंबर 2017 अंक जारी किया। इस बुलेटिन में वर्ष 2017-18 के लिए पांचवां द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य, मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी), भारतीय रिज़र्व बैंक का सकल्प, शीर्ष प्रबंध-तंत्र के भाषण, दो आलेख, वर्तमान सांख्यिकी और बुलेटिन आलेख, 2018 के लिए सांकेतिक कैलेंडर है। दो आलेख हैं - I. भारत के बाह्य ऋण की संरचनाः मुख्य प्रवृत्तियों का आकलन, और II. अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग सेवा व्यापार, 2016-17 पर सर्वेक्षण।
I. भारत के बाह्य ऋण की संरचनाः मुख्य प्रवृत्तियों का आकलन
यह आलेख वर्ष 2016-17 में भारत के बाह्य ऋण से संबंधित गतिविधियों की झलक प्रस्तुत करता है और 1990 के प्रारंभिक से इसके बदलते प्रोफाइल का आकलन करता है।
आलेख के प्रमुख अंश निम्नानुसार है:
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भारत के बाह्य ऋण का स्टॉक मार्च 2017 की समाप्ति पर 471 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा जिसमें वर्ष 2001-02 के बाद पहली बार वार्षिक गिरावट दर्ज की गई।
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अवशिष्ट परिपक्वता वाले लघुकालिक ऋण में मार्च 2016 की समाप्ति पर 206 बिलियन अमेरिकी डॉलर (कुल बाह्य ऋण का 42.7 प्रतिशत और विदेशी मुद्रा भंडारों का 57.4 प्रतिशत) से घटकर मार्च 2017 की समाप्ति पर 195.9 डॉलर हो गया (कुल बाह्य ऋण का 41.5 प्रतिशत और विदेशी मुद्रा भंडारों का 52.9 प्रतिशत), ऐसा सितंबर से नवंबर 2013 के दौरान विशेष स्वैप योजना के अंतर्गत बैंकों द्वारा जुटाई गई एफसीएनआर(बी) जमाराशियों की बड़े पैमाने पर अदायगी करने से हुआ।
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आर्थिक सुधारों की अवधि के बाद में, भारत की बाह्य ऋणग्रस्तता ने सरकारी से गैर-सरकारी ऋण, रियायत से गैर-रियायत ऋण में संरचनात्मक परिवर्तन दर्शाया, व्यापार क्रेडिट ऋण के सबसे ज्यादा बढ़ने वाले घटक के साथ लघुकालिक ऋण (मूल परिपक्वता द्वारा) में 2000 के माध्यम से तेज वृद्धि हुई।
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भारत का बाह्य ऋण भुगतान अनुपात 1990 की तुलना में काफी उधार रहा है।
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जीडीपी अनुपात की तुलना में बाह्य ऋण के संबंध में भारत की स्थिति अपने जैसी उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) जैसे ब्राजील, रूस, दक्षिण अफ्रीका, मेक्सिको, मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड से बेहतर है।
II. अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग सेवा व्यापार, 2016-17 पर सर्वेक्षण
यह आलेख भारतीय बैंकों की समुद्रापारीय शाखाओं/सहायक संस्थाओं और भारत में परिचालनरत विदेशी बैंकों के संबंध में अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग सेवा व्यापार (आईटीबीएस) पर सूचना उपलब्ध कराता है। यह वार्षिक आईटीबीएस सर्वेक्षण के 2016-17 दौर पर आधारित है जिसमें भारतीय बैंकों की 192 समुद्रापारीय शाखाओं, 325 समुद्रपारीय सहायक संस्थाओं और भारत में परिचालनरत विदेशी बैंकों की 286 शाखाओं को कवर किया गया। यह सर्वेक्षण उनके निधि/गैर-निधि आधारित कारोबार प्रोफाइल और आय, व्यय तथा लाभप्रदता पर सूचना एकत्र करता है।
आलेख के मुख्य अंश निम्नानुसार है:
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भारत में विदेशी बैंकों की शाखाओं और कर्मचारियों की संख्या में वर्ष 2016-17 के दौरान कमी आई जबकि भारतीय बैंकों की समुद्रपारीय शाखाओं में थोड़ी सी बढ़ोतरी हुई।
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सीमापार उपस्थिति (अर्थात भारतीय बैंकों की समुद्रपारीय शाखाएं और सहायक संस्थाएं तथा भारत में परिचालनरत विदेशी बैंक) वर्ष 2016-17 में कम हुई जो वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में नरमी का स्तर दर्शाती है।
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सभी बैंक समूहों द्वारा प्रदान किए गए क्रेडिट में वर्ष 2016-17 के दौरान कमी आई जबकि भारत में परिचालनरत विदेशी बैंकों के लिए जमाराशियां जुटाने के कार्य में थोड़ी सी वृद्धि हुई किंतु बैंकों की अन्य दो श्रेणियों में गिरावट आई।
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वर्ष 2016-17 में शुल्क आय के बढ़ने के बावजूद भारतीय बैंकों की समुद्रपारीय शाखाओं के कम ब्याज आय के परिणामस्वरूप इनकी कुल आय में कमी आई और वर्ष के दौरान उनका व्यय आय से अधिक हो गया।
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गैर-ब्याज आय में उच्चतर वृद्धि के चलते भारत में परिचालनरत विदेशी बैंकों के लाभप्रदता अनुपात में सुधार हुआ जबकि भारतीय बैंकों की समुद्रपारीय शाखाओं और सहायक संस्थाओं के लिए इसमें कमी हुई।
अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग सेवा व्यापार, 2016-17 पर सर्वेक्षण के परिणामों से संबंधित आंकड़े भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर 1 नवंबर 2017 की प्रेस प्रकाशनी सं.1207/2017-18 के माध्यम से पहले जारी किए गए थे।
जोस जे. कट्टूर
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2017-2018/1589 |