भारिबैंक/2011-12/225
ए.पी.(डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं.36
19 अक्तूबर 2011
विदेशी मुद्रा का व्यापार करने के लिए प्राधिकृत सभी बैंक
महोदया/महोदय,
विदेशी मुद्रा (अनिवासी) खाता (बैंक) योजना के तहत
किसी मुक्त परिवर्तनीय मुद्रा में खाता खोलना – उदारीकरण
प्राधिकृत व्यापारी बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथा संशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना फेमा-14/2000-आरबी अर्थात् विदेशी मुद्रा प्रबंध (प्राप्ति और भुगतान का तरीका ) विनियमावली, 2000 के साथ पठित समय समय पर यथा संशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा 5/2000-आरबी अर्थात विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियमावली, 2000 की अनुसूची 2 के पैराग्राफ 2 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर नामित अनुमत मुद्राओं (करेंसी) में निधियां विदेशी मुद्रा (अनिवासी) खाता (बैंक) योजना के तहत खाते में जमा के रूप में स्वीकार की जा सकती हैं । संप्रति पौंड स्टर्लिंग, अमरीकी डालर, जापानी येन, यूरो, कनाडा के डालर और आस्ट्रेलिया के डालर रिज़र्व बैंक द्वारा एतदर्थ नामित मुद्राएं हैं ।
2. विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के अंतर्गत व्यक्तियों को उपलब्ध सुविधाओं की समीक्षा करने के लिए गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि विदेशी मुद्रा (अनिवासी) खाता (बैंक) योजना के तहत किसी भी मुक्त परिवर्तनीय मुद्रा में खाता खोलने की अनुमति दी जा सकती है ।
3. समीक्षा करने पर यह निर्णय लिया गया है कि भारत में प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को एफसीएनआर (बी) खाते में किसी भी अनुमत मुद्रा में जमाराशियां स्वीकार करने की अनुमति दी जाए । इस संबंध में यह नोट किया जाए कि इस प्रयोजन के लिए 'अनुमत मुद्रा' का अर्थ उस विदेशी मुद्रा से है जो मुक्त रूप में परिवर्तनीय है जैसाकि समय समय पर यथा संशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना फेमा सं. 14/2000-आरबी के विनियम 2 (v) में परिभाषित है ।
4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने ग्राहकों/घटकों को अवगत कराने का कष्ट करें।
5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा),1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं ।
भवदीया,
(मीना हेमचंद्र)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक |