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अधिसूचनाएं

भारत में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र में राष्ट्रिक हरित बॉण्ड के व्यापार और निपटान के लिए योजना

आरबीआई/2024-25/72
सीओ.एफएमआरडी.एफएमआईए.एस242/11-01-051/2024-2025

29 अगस्त 2024

सभी पात्र बाजार प्रतिभागी

महोदया/महोदय

भारत में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र में राष्ट्रिक हरित बॉण्ड के व्यापार और निपटान के लिए योजना

कृपया भारत में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) में पात्र विदेशी निवेशकों द्वारा राष्ट्रिक हरित बॉण्ड (एसजीआरबी) में निवेश और व्यापार के लिए एक योजना जारी करने के संबंध में 05 अप्रैल, 2024 को दिये गए 2024-25 के द्वि-मासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य के एक भाग के रूप में घोषित विकासात्मक और विनियामकीय नीतियों पर वक्तव्य का पैराग्राफ 1 देखें।

2. भारत में आईएफएससी में एसजीआरबी के व्यापार और निपटान के लिए योजना ("योजना") अनुबंध में संलग्न है। विदेशी मुद्रा प्रबंध (ऋण लिखत) विनियमावली, 2019 (दिनांक 17 अक्टूबर, 2019 की अधिसूचना सं.फेमा 396/2019-आरबी) में आवश्यक संशोधनों को दिनांक 07 अगस्त, 2024 को भारत के राजपत्र में प्रकाशित विदेशी मुद्रा प्रबंध (ऋण लिखत) (तृतीय संशोधन) विनियमावली, 2024 (दिनांक 02 अगस्त, 2024 की अधिसूचना सं. फेमा.396(3)/2024-आरबी) के माध्यम से अधिसूचित किया गया है।

3. यह योजना तत्काल प्रभाव से लागू होगी। आईएफएससी में संस्थाओं द्वारा योजना में भागीदारी के लिए परिचालन दिशानिर्देश आईएफएससी प्राधिकरण द्वारा जारी किए जाएंगे।

भवदीया,

(डिम्पल भांडिया)
मुख्य महाप्रबंधक


[दिनांक 29 अगस्त 2024 की अधिसूचना सीओ.एफएमआरडी.एफएमआईए.सं.एस242/11-01-051/2024-2025 के लिए अनुबंध]

भारत में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र में राष्ट्रिक हरित बॉण्ड के व्यापार और निपटान के लिए योजना

भारतीय रिज़र्व बैंक (जिसे इसके बाद 'रिज़र्व बैंक' कहा जाएगा), एतद्द्वारा, अधिनियम की धारा 45यू के साथ पठित भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (जिसे इसके बाद 'अधिनियम' कहा जाएगा) की धारा 45डबल्यू के तहत प्रदत्त शक्तियों और इस संबंध में इसे सक्षम करने वाली सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए, 'भारत में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) में राष्ट्रिक हरित बॉण्ड के व्यापार और निपटान के लिए योजना' (इसके बाद 'योजना' के रूप में संदर्भित) आरंभ करता है। यहाँ विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42), सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006, दिनांक 17 अक्टूबर, 2019 की समय-समय पर यथासंशोधित अधिसूचना सं. फेमा.396/2019-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (ऋण लिखत) विनियमावाली, 2019 का संदर्भ भी आमंत्रित किया जाता है। योजना के विवरण निम्नानुसार हैं:

1. दायरा

यह योजना भारत में आईएफएससी में पात्र निवेशकों द्वारा भारत सरकार द्वारा जारी राष्ट्रिक हरित बॉण्ड में निवेश पर लागू होगी।

2. परिभाषाएँ

ए) इस योजना के प्रयोजन के लिए, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो:

i) अधिकृत डिपॉजिटरी का अर्थ आईएफएससी में परिचालन करने वाली किसी भी डिपॉजिटरी से होगा जो योजना में भाग लेने के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (आईएफएससीए) द्वारा अधिकृत है।

ii) अधिकृत समाशोधन निगम का अर्थ आईएफएससी में कार्यरत किसी भी समाशोधन निगम से है जो आईएफएससीए द्वारा योजना में भाग लेने के लिए अधिकृत है।

iii) बैक-टू-बैक व्यवस्था का अर्थ एक ऐसी व्यवस्था होगी जिसके तहत एक पात्र आईएफएससी बैंकिंग इकाई (आईबीयू) एक पात्र निवेशक के साथ इस योजना के तहत पात्र प्रतिभूतियों में लेनदेन करती है और बदले में, किसी भारतीय बैंक की आईबीयू के मामले में भारत में अपने मूल बैंक के साथ या किसी विदेशी बैंक की आईबीयू के मामले में अपने मूल बैंक की भारत में शाखा / सहायक के साथ ऑफ-सेटिंग लेनदेन में भागीदारी करती है।

iv) लाभार्थी स्वामी का अर्थ समय-समय पर यथासंशोधित धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की धारा 2 (एफए) में निर्दिष्ट होगा।

v) संघटक अनुषंगी सामान्य लेजर (सीएसजीएल) खाते का अर्थ समय-समय पर यथासंशोधित सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006 की धारा 2 (डी) में निर्दिष्ट होगा।

vi) आईएफएससी बैंकिंग इकाई (आईबीयू) का अर्थ आईएफएससी में स्थापित बैंकिंग इकाई से होगा।

vii) कार्रवाई की मांग (कॉल फॉर एक्शन) के अधीन उच्च जोखिम वाले क्षेत्राधिकारों का अर्थ वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) द्वारा पहचाने गए देशों या क्षेत्राधिकारों से होगा।

viii) ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) बाजारों का अर्थ ऐसे बाजार होंगे जहां लेनदेन स्टॉक एक्सचेंजों के अलावा किसी अन्य तरीके से किया जाता है और इसमें आईएफएससीए द्वारा अधिकृत इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर किए गए लेनदेन शामिल होंगे।

ix) अनुषंगी सामान्य लेजर (एसजीएल) खाते का अर्थ सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006 की धारा 4 के अनुसार सरकारी प्रतिभूतियों को धारित करने या/और लेन-देन करने के लिए रिज़र्व बैंक के पास खोला गया और धारित खाता होगा।

x) सरकारी प्रतिभूतियों के मूल्य मुक्त अंतरण (वीएफटी) का अर्थ वही होगा जो समय-समय पर यथासंशोधित 'सरकारी प्रतिभूतियों के मूल्य मुक्त अंतरण (वीएफटी)-दिशानिर्देशों' पर रिज़र्व बैंक अधिसूचना संख्या 108 दिनांकित 5 अक्टूबर 2021 में दिया गया है।

बी) योजना में प्रयुक्त लेकिन परिभाषित नहीं किए गए शब्दों और अभिव्यक्तियों का वही अर्थ होगा जो उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 और सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006 या उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों और विनियमों में दिया गया है।

3. पात्र निवेशक

ए) निम्नलिखित व्यक्ति पैरा 6 (ए) में निर्दिष्ट योजना (इसके बाद 'निवेशक' के रूप में संदर्भित) में भाग लेने के लिए पात्र होंगे:

i) फेमा, 1999 की धारा 2(डब्ल्यू) में परिभाषित भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति, जो आईएफएससीए द्वारा निर्दिष्ट आईएफएससी में निवेश करने के पात्र हैं और एफएटीएफ द्वारा पहचान किए गए कार्रवाई की मांग के अधीन उच्च जोखिम वाले क्षेत्राधिकार में शामिल नहीं हैं; और

ii) किसी विदेशी बैंक की आईबीयू जिसकी भारत में बैंकिंग व्यवसाय करने के लिए लाइसेंसीकृत कोई शाखा या अनुषंगी नहीं है।

iii) विदेशी मुद्रा प्रबंध (अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र) विनियम, 2015 के तहत भारत के बाहर रहने वाले व्यक्ति, जो आईएफएससीए द्वारा निर्दिष्ट आईएफएससी में निवेश करने के पात्र हैं, और एफएटीएफ द्वारा पहचाने गए कॉल फॉर एक्शन के अधीन उच्च जोखिम वाले क्षेत्राधिकारों में शामिल नहीं हैं, बशर्ते कि ऐसे व्यक्ति भारत में निगमित किसी इकाई की शाखा, संयुक्त उद्यम, सहायक या ट्रस्ट नहीं हैं।

हालांकि, आईएफएससीए (निधि प्रबंधन) विनियम, 2022 के तहत आईएफएससीए द्वारा विनियमित भारत में निगमित संस्थाओं द्वारा स्थापित निधि/योजनाओं सहित योजनाओं को योजना के तहत पात्र निवेशक माना जाएगा।

4. पात्र आईबीयू की भागीदारी

भारत में किसी बैंक की आईबीयू और विदेशी बैंक की आईबीयू, बशर्ते कि विदेशी बैंक की भारत में बैंकिंग कारोबार करने के लिए लाइसेंस प्राप्त शाखा या सहायक कंपनी हो, पैरा 6(बी) में विनिर्दिष्ट योजना (इसके बाद 'पात्र आईबीयू' के रूप में संदर्भित) में भाग लेने के लिए पात्र होगी।

5. पात्र प्रतिभूतियां

भारत सरकार द्वारा जारी राष्ट्रिक हरित बॉण्ड (इसके बाद 'प्रतिभूतियों' के रूप में संदर्भित) निम्नलिखित शर्तों के अधीन योजना के तहत निवेश के लिए पात्र होंगे:

i) राष्ट्रिक हरित बॉण्ड में निवेश जिन्हें ‘पूर्णतया अभिगमयोगय मार्ग’ (एफएआर) के तहत 'विनिर्दिष्ट प्रतिभूतियों' के रूप में नामित किया गया है, समय-समय पर यथासंशोधित निर्देश एपी (डीआईआर श्रृंखला) परिपत्र संख्या 25 दिनांकित 30 मार्च, 2020 के प्रावधानों द्वारा शासित होंगे; और

ii) एफएआर के तहत 'विनिर्दिष्ट प्रतिभूतियों' के रूप में नामित प्रतिभूतियों' के अलावा राष्ट्रिक हरित बॉण्ड में निवेश की गणना विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए निर्धारित निवेश सीमाओं के तहत समय-समय पर यथासंशोधित एपी (डीआईआर सीरीज) परिपत्र संख्या 03 दिनांकित 26 अप्रैल 2024 के अनुसार और समय-समय पर यथासंशोधित एपी (डीआईआर श्रृंखला) परिपत्र संख्या 31 दिनांकित 15 जून 2018 में एफपीआई द्वारा निवेश के लिए निर्धारित शर्तों के अधीन की जाएगी।

6. योजना का विवरण

(ए) योजना में परिभाषित निबंधन एवं शर्तों के अनुसार, निवेशक रिज़र्व बैंक द्वारा की जाने वाली प्रतिभूतियों की प्राथमिक नीलामी में भाग ले सकते हैं और आईएफएससी में प्रतिभूतियों के लिए द्वितीयक बाजार में लेन-देन कर सकते हैं।

(बी) पात्र आईबीयू को योजना के अंतर्गत प्राथमिक नीलामियों में भाग लेने की अनुमति नहीं है। पात्र आईबीयू योजना में परिभाषित नियमों और शर्तों के अनुसार द्वितीयक बाजार में लेनदेन कर सकते हैं।

(सी) योजना के प्रचालन के लिए,

i) प्राधिकृत डिपॉजिटरी और प्राधिकृत समाशोधन निगम प्रत्येक को रिज़र्व बैंक में एक सीएसजीएल खाता और चालू खाता खोलना होगा; और

ii) अधिकृत डिपॉजिटरी और प्राधिकृत समाशोधन निगम भारत में एक वाणिज्यिक बैंक के साथ एक आईएनआर खाता खोल सकते हैं।

iii) प्राधिकृत डिपॉजिटरी और प्राधिकृत समाशोधन निगम रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर यथासंशोधित 'संघटक अनुषंगी सामान्य लेजर खाता : पात्रता मानदंड और परिचालन दिशानिर्देश' दिनांकित 22 सितंबर 2021, का पालन करेंगे। ऐसा करने में किसी भी विफलता पर रिज़र्व बैंक द्वारा उचित कार्रवाई की जाएगी जिसमें सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006 की धारा 30 के अंतर्गत जुर्माना लगाना भी शामिल है।

iv) प्राधिकृत डिपॉजिटरी और प्राधिकृत समाशोधन निगम चालू खाता खोलने के लिए लागू नियमों और शर्तों का भी पालन करेंगे, जैसा कि रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट किया जा सकता है।

7. प्राथमिक बाजार में भागीदारी

रिज़र्व बैंक द्वारा आयोजित प्रतिभूतियों की प्राथमिक नीलामी में निवेशकों द्वारा भागीदारी निम्नलिखित के अनुसार होगी:

i) रिज़र्व बैंक द्वारा आयोजित प्रतिभूतियों की नीलामी में भाग लेने के इच्छुक निवेशक प्राधिकृत समाशोधन निगम के माध्यम से प्राथमिक नीलामी में प्रतिस्पर्धी बोलियां प्रस्तुत करेंगे।

ii) इस प्रयोजन के लिए, प्राधिकृत समाशोधन निगम एक समुच्चयक/सुविधा प्रदाता के रूप में कार्य करेंगे और रिज़र्व बैंक की कोर बैंकिंग समाधान (ई-कुबेर) प्रणाली या इस संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित किसी अन्य प्लेटफार्म/प्रणाली पर निवेशकों से प्राप्त ठोस ऑर्डर के आधार पर बोलियां प्रस्तुत करेंगे।

iii) ऐसी बोलियां नीलामी के दिन भारत सरकार द्वारा जारी विशिष्ट अधिसूचना में अधिसूचित समय अंतराल के दौरान प्रस्तुत की जाएंगी।

iv) प्राधिकृत समाशोधन निगम यह सुनिश्चित करेंगे कि रिज़र्व बैंक में उनके चालू खाते का वित्तपोषण प्राथमिक नीलामी की निपटान तिथि को दिन के आरंभ में किया जाए ताकि निवेशकों द्वारा प्राथमिक नीलामी में अभिदानों से उत्पन्न निपटान दायित्वों को पूरा किया जा सके। निपटान दायित्वों को पूरा करने में किसी भी विफलता को समय-समय पर यथासंशोधित आरबीआई परिपत्र "सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006, धारा 27 और 30 - एसजीएल प्रपत्रों के बाउंस होने पर दंड का अधिरोपण" दिनांकित 14 जुलाई 2010 के संदर्भ में 'एसजीएल बाउंसिंग' के उदाहरण के रूप में माना जाएगा, और उसमें निर्दिष्ट लागू दंड प्रावधानों के अधीन होगा।

v) निपटान पर, निवेशकों को आवंटित प्रतिभूतियों को निपटान तिथि पर प्राधिकृत समाशोधन निगम के सीएसजीएल खाते में जमा किया जाएगा। प्राधिकृत समाशोधन निगम उसी दिन प्राधिकृत डिपॉजिटरी के सीएसजीएल खाते में आवंटित प्रतिभूतियों को जमा करने के लिए वीएफटी का कार्य करेंगे। अधिकृत डिपॉजिटरी यह सुनिश्चित करेगी कि प्रतिभूतियां उसी दिन निवेशकों के डीमैट/प्रतिभूति खाते में जमा की जाएं। वीएफटी समय-समय पर यथासंशोधित 'सरकारी प्रतिभूतियों के मूल्य मुक्त अंतरण (वीएफटी)- दिशानिर्देश' पर 5 अक्टूबर, 2021 की रिज़र्व बैंक अधिसूचना संख्या 108 में निहित नियमों और शर्तों के अधीन होंगे।

vi) प्राथमिक नीलामी में निवेशकों की भागीदारी समय-समय पर यथासंशोधित सामान्य अधिसूचना एफ.नं.4(2)-डब् ल् यू/2018 दिनांकित 27 मार्च 2018 में निहित नियमों और शर्तों तथा भारत सरकार द्वारा जारी विशिष्ट अधिसूचनाओं के अधीन होगी।

8. द्वितीयक बाजार में भागीदारी

आईएफएससी में किए गए प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेनदेन निम्नलिखित के अधीन होंगे:

ए. योग्य लेनदेन

निवेशक आईएफएससी में द्वितीयक बाजार में अन्य निवेशकों के साथ और पात्र आईबीयू के साथ व्यापार कर सकते हैं। दो पात्र आईबीयू के बीच लेनदेन नहीं किया जाएगा।

बी. ट्रेडिंग प्रक्रिया

i) अधिकृत डिपॉजिटरी के साथ निवेशकों द्वारा रखी गई प्रतिभूतियां आईएफएससी में ओटीसी बाजारों में व्यापार के लिए उपलब्ध होंगी।

ii) प्रतिभूतियों के लिए ट्रेडिंग घंटे 09:00 बजे से 17:00 बजे आईएसटी तक होंगे, या जैसा कि रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट किया गया हो।

iii) प्रतिभूतियों में ट्रेडों के लिए निपटान चक्र टी +1 या टी+2 होगा जहां टी व्यापार तिथि का प्रतिनिधित्व करता है।

iv) पात्र आईबीयू इस योजना के तहत निवेशकों के साथ निम्नलिखित के अधीन व्यापार कर सकते हैं:

I. इस तरह के लेनदेन 'बैक-टू-बैक' व्यवस्था पर किए जाएंगे। पात्र आईबीयू और भारत में इसके मूल बैंक/ मूल बैंक की शाखा या सहायक कंपनी के बीच लेनदेन नियत प्रतिफल (मूल्य अंतरण के लिए) के लिए होगा।

II. बैक-टू-बैक लेनदेन के दो चरण एक ही तारीख को किए जाएंगे और पात्र आईबीयू एकदिवसीय खुली प्रतिभूति स्थिति बनाए नहीं रखेंगे। निपटान विफलता या निवेशकों के साथ ट्रेडों के अनवाइंडिंग सहित किसी भी खाते पर उत्पन्न होने वाली किसी भी खुली प्रतिभूति स्थिति के मामले में, पात्र आईबीयू अपने मूल बैंक या भारत में मूल बैंक की शाखा/सहायक कंपनी के साथ व्यापार को टी+0 निपटान आधार पर उलट देगी ताकि किसी भी खुली प्रतिभूति स्थिति को बंद किया जा सके।

सी. निपटान प्रक्रिया

(i) दो निवेशकों के बीच या एक निवेशक और एक पात्र आईबीयू के बीच लेनदेन

I. दो निवेशकों के बीच या एक निवेशक और एक पात्र आईबीयू के बीच लेनदेन आईएफएससीए द्वारा अनुमोदित समाशोधन व्यवस्था के अनुसार तय किए जाएंगे, जो आईएफएससीए द्वारा यथानिर्दिष्ट नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार होंगे।

II. उपर्युक्त लेनदेनों के मामले में प्रतिभूतियों का निपटान प्राधिकृत डिपॉजिटरी की बहियों में किया जाएगा। ऐसे लेनदेनों के निधि चरण का निपटान विदेशी मुद्रा में किया जाएगा।

(ii) पात्र आईबीयू और उसके मूल बैंक/ भारत में उसके मूल बैंक की शाखा या सहायक कंपनी के बीच लेनदेन

I. किसी भारतीय बैंक की आईबीयू और उसके मूल बैंक तथा किसी विदेशी बैंक की आईबीयू और भारत में उसके मूल बैंक की शाखा या सहायक कंपनी के बीच लेनदेनों का निपटान द्विपक्षीय आधार पर किया जाएगा।

II. उपर्युक्त लेनदेनों के मामले में प्रतिभूतियों का अंतरण, मूल बैंक या भारत में मूल बैंक की शाखा/सहायक कंपनी के एसजीएल खाते से/में प्राधिकृत डिपॉजिटरी के सीएसजीएल खाते में/से क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सीसीआईएल) द्वारा किया जाएगा।

III. ऐसे लेनदेनों के मामले में निधि चरण का निपटान विदेशी मुद्रा में किया जाएगा।

9. कूपन भुगतान और मोचन

(ए) प्राधिकृत डिपॉजिटरी के सीएसजीएल खाते में धारित प्रतिभूतियों के संबंध में सभी कूपन भुगतान और मोचन प्राप्तियां नियत तारीख को रिज़र्व बैंक में रखे गए प्राधिकृत डिपॉजिटरी के चालू खाते में जमा की जाएंगी। बदले में, प्राधिकृत डिपॉजिटरी लागू करों की कटौती के बाद, कूपन और मोचन आय को उसी दिन/उसी मूल्य तिथि के लिए निवेशकों के खातों में जमा करेगा।

(बी) असाधारण परिस्थितियों में, जैसा कि आईएफएससीए द्वारा निर्धारित किया गया हो, अधिकृत डिपॉजिटरी अगले कार्य दिवस पर निवेशकों के खातों में कूपन और मोचन प्राप्तियां जमा कर सकता है। नियत तारीख के बाद की तारीख को कूपन और मोचन प्राप्तियों का निवेशकों के खातों में क्रेडिट, निवेशकों के साथ अधिकृत डिपॉजिटरी द्वारा इस संबंध में किए गए एक विशिष्ट समझौते के अधीन होगा और भारत सरकार या रिज़र्व बैंक के अवलंब के बिना होगा।

10. अन्य शर्तें

(ए) निवेशकों को योजना के तहत उनके द्वारा धारित अंतर्निहित प्रतिभूतियों पर किसी भी व्युत्पन्नी लिखत को फिर से पैकेज करने या लिखने की अनुमति नहीं दी जाएगी। निवेशकों को ऐसी प्रतिभूतियों में रेपो लेनदेन करने की अनुमति भी नहीं दी जाएगी।

(बी) जो निवेशक घरेलू बाजार में भाग लेने के लिए भी पात्र हैं, उन्हें अपने ऑनशोर गिल्ट/डीमैट खाते से/में आईएफएससी में अपने डीमैट/प्रतिभूति खाते में/से अपनी प्रतिभूतियों को स्थानांतरित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

11. अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)/धन शोधन निवारण (एएमएल) के लिए दिशानिर्देश

निवेशकों का केवाईसी सत्यापन/समुचित जांच-उद्यम आईएफएससीए द्वारा निर्धारित नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार किया जाएगा।

12. डेटा प्रबंधन

(ए) इस योजना के तहत गतिविधियों/लेनदेन से संबंधित सभी डेटा, लेनदेन की तारीख से कम से कम दस वर्षों के लिए, आसानी से पुनर्प्राप्त करने योग्य मीडिया में अधिकृत डिपॉजिटरी और अधिकृत समाशोधन निगम द्वारा बनाए रखें जाएंगे। आंकड़ों के भंडारण की न्यूनतम आवश्यकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, भारतीय कानूनों या विनियमों के अंतर्गत यथाअपेक्षित रिज़र्व बैंक या किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा किसी जांच के लिए मांगे गए आंकड़े, जांच पूरी होने की तारीख से तीन वर्ष तक रखे जाएंगे।

(बी) अधिकृत डिपॉजिटरी और अधिकृत समाशोधन निगम सभी डेटा की सख्त गोपनीयता, निजता और सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।

(सी) अधिकृत डिपॉजिटरी और अधिकृत समाशोधन निगम डेटा के संरक्षण और संरक्षण के संबंध में समय-समय पर अधिसूचित किसी अन्य कानून या नियमों का पालन सुनिश्चित करेंगे।

13. रिपोर्टिंग आवश्यकताएं

(ए) आईएफएससी में पात्र प्रतिभागियों के बीच सभी द्वितीयक बाजार लेनदेनों की रिपोर्टिंग, प्राधिकृत डिपॉजिटरी और/या प्राधिकृत समाशोधन निगम द्वारा सीसीआईएल या रिज़र्व बैंक द्वारा निर्दिष्ट अन्य किसी एजेंसी को, रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट रीति और प्रारूप में की जाएगी। अधिकृत डिपॉजिटरी और/या अधिकृत समाशोधन निगम को जल्द से जल्द और प्रतिभूतियों के लिए ट्रेडिंग घंटों के बंद होने के तीन घंटे के भीतर ऐसे लेनदेन की रिपोर्टिंग करनी चाहिए।

(बी) किसी भारतीय बैंक की आईबीयू और उसके मूल बैंक के बीच और किसी विदेशी बैंक की आईबीयू और भारत में उसके मूल बैंक की शाखा या सहायक कंपनी के बीच लेनदेनों की सूचना भारतीय बैंक या विदेशी बैंक की भारत में शाखा या सहायक कंपनी द्वारा सीसीआईएल को अथवा रिज़र्व बैंक द्वारा निर्दिष्ट अन्य किसी एजेंसी को, रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट रीति और प्रारूप में की जाएगी। ऐसे लेनदेन की रिपोर्टिंग जल्द से जल्द और प्रतिभूतियों के लिए ट्रेडिंग घंटों के बंद होने के तीन घंटे के भीतर करनी चाहिए।

(सी) प्राधिकृत डिपॉजिटरी द्वारा रिज़र्व बैंक या रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट अन्य किसी एजेंसी को रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट रीति और प्रारूप में दिनांत में होल्डिंग विवरण प्रस्तुत किया जाएगा।

(डी) प्राधिकृत डिपॉजिटरी, निवेशकों द्वारा उनकी होल्डिंग से संबंधित मांगी गई और प्रदान की गई सूचना के आधार पर लाभार्थी स्वामियों के ब्योरे, रिज़र्व बैंक द्वारा यथाविनिर्दिष्ट रीति, प्रारूप और अंतराल में रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करेगा।

(ई) प्राधिकृत डिपॉजिटरी और प्राधिकृत समाशोधन निगम, उनके पास उपलब्ध लेनदेनों से संबंधित या उनके ग्राहकों द्वारा प्रदान की गई कोई अन्य सूचना, रिज़र्व बैंक द्वारा अपेक्षित प्रारूप और निर्धारित समय सीमा के भीतर, रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करेंगे।

(एफ) रिज़र्व बैंक को ऐसी किसी भी महत्वपूर्ण घटना के बारे में, किसी अनुचित देरी के बिना सूचित किया जाएगा जिसके परिणामस्वरूप प्रतिभूतियों के निपटान में व्यवधान होता है या जिसमें बाजार के दुरुपयोग किया जा रहा है।

14. प्रसार

(ए) योजना के तहत निवेशकों द्वारा निवेश की गणना अधिकृत डिपॉजिटरी के सीएसजीएल खातों में दिन के अंत में शेष राशि के आधार पर की जाएगी। यह सूचना रिज़र्व बैंक, सीसीआईएल या रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत अन्य किसी एजेंसी द्वारा प्रकाशित की जा सकती है।

(बी) रिज़र्व बैंक या इसके द्वारा प्राधिकृत अन्य कोई एजेंसी इस योजना के अंतर्गत लेनदेनों से संबंधित किसी भी अनाम व्यापार आंकड़े को प्रकाशित कर सकती है। रिज़र्व बैंक ऐसे लेनदेनों से संबंधित सूचना को आवश्यकतानुसार भारत सरकार/विधि प्रवर्तन एजेंसियों/विनियामकों के साथ भी साझा कर सकता है।

15. कराधान

लागू कर, भारत सरकार द्वारा समय-समय पर तय किए गए अनुसार होंगे।

16. अन्य कानूनों, निर्देशों, विनियमों या दिशानिर्देशों की प्रयोज्यता

इस योजना के अंतर्गत पात्र प्रतिभागी सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के अन्य सभी लागू प्रावधानों तथा रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर योजना के अंतर्गत जारी नियमों, विनियमों और निदेशों द्वारा, जब तक अन्यथा विनिर्दिष्ट न हों, द्वारा शासित होंगे।


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