भारिबैं/बैंविवि/2015-16/18
डीबीआर.एएमएल.बीसी.सं.81/14.01.001/2015-16
25 फरवरी 2016
(18 दिसंबर 2020 तक संशोधित)
(20 अप्रैल 2020 तक संशोधित)
(01 अप्रैल 2020 तक संशोधित)
(09 जनवरी 2020 तक संशोधित)
(09 अगस्त 2019 तक संशोधित)
(29 मई 2019 तक संशोधित)
मास्टर निदेश - अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) निदेश, 2016
भारत सरकार द्वारा भारत सरकार की अधिसूचना के अनुसार समय-समय पर अद्यतित धनशोधन निवारण अधिनियम, 2002 और धनशोधन निवारण (अभिलेखों का रखरखाव) नियम, 2005 के प्रावधानों के अनुसार विनियमित संस्थाओं (आरई) से अपेक्षित है कि वे खाता आधारित या किसी अन्य प्रकार का लेनदेन करते समय कतिपय ग्राहक पहचान प्रक्रियाओं का पालन करें। 1उक्त अधिनियम और नियम के प्रावधानों तथा ऐसे संशोधन के अनुसार जारी किए गए परिचालन निर्देश को लागू करने के लिए आरई कदम उठाएंगे।
2. तदनुसार, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (जैसा कि सहकारी समितियों पर लागू है), 1949 की धारा 56 के साथ पठित 35क, धनशोधन निवारण (अभिलेखों का रखरखाव) नियम, 2005 के नियम 9(14) के और इस संबंध में रिज़र्व बैंक को सक्षम करने वाले अन्य सभी कानूनों के अधीन प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक, इस बात से संतुष्ट होने पर कि ऐसा करना जनहित में आवश्यक और समीचीन है, नीचे दिए गए निदेश जारी करता है।
अध्याय - I
प्रस्तावना
1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ
(क) इन निदेशों को भारतीय रिज़र्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) निदेश, 2016 कहा जाएगा।
(ख) ये निदेश उसी दिन से लागू होंगे, जिस दिन इन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर रखा जाएगा।
2. प्रयोज्यता
(क) इन निदेशों के प्रावधान, जब तक कि अन्यथा विनिर्दिष्ट न किया गया हो, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित सभी संस्थाओं, खासतौर से नीचे मद सं. 3(ख)(xiii) में पारिभाषित संस्थाओं पर लागू होंगे।
(ख) ये निदेश विनियमित संस्थाओं (आरई) की सभी विदेश स्थित शाखाओं और बहुलांश धारित अनुषंगियों पर भी उस सीमा तक लागू होंगे, जहां तक वे मेजबान देश के स्थानीय क़ानूनों से विसंगत न हों, बशर्ते कि :
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जहां लागू कानून और विनियम इन निदेशों के कार्यान्वयन का निषेध करते हों, वहाँ इसकी सूचना भारतीय रिज़र्व बैंक को दी जाए।
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यदि भारतीय रिज़र्व बैंक और मेजबान देश के विनियामकों द्वारा निर्दिष्ट केवाईसी/ एएमएल मानकों में कोई अंतर हो तो विनियमित संस्थाओं की शाखाओं/ विदेशी अनुषंगियों को दोनों में से ज्यादा सख्त विनियम अपनाने होंगे।
-
विदेश में निगमित बैंकों की शाखाओं/ अनुषंगियों को दोनों, यानि कि, भारतीय रिज़र्व बैंक और उनके गृह देश के विनियामकों द्वारा विनिर्दिष्ट मानकों में से ज्यादा सख्त विनियम अपनाने होंगे।
बशर्ते कि यह नियम अध्याय VI की धारा 23 में बताए गए ‘छोटे खातों’ पर लागू नहीं होगा।
3. परिभाषाएं
जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, इन निदेशों में दिए गए शब्दों के अर्थ वही होंगे, जो नीचे दिए गए हैं :
(क) धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 और धनशोधन निवारण (अभिलेखों का रखरखाव) नियम, 2005 में सम्मिलित शब्दों के दिए गए अर्थ:
i. 2’’आधार संख्या", का आशय है आधार (वित्तीय और अन्य सहायिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) अधिनियम, 2016 (2016 का 18) की धारा (2) के खंड (क) में दिया गया अर्थ।
ii. क्रमशः ‘अधिनियम और नियम का आशय है धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 और धनशोधन निवारण (अभिलेखों का रखरखाव) नियम, 2005 और उनमें किए गए संशोधन।
iii. 3”अधिप्रमाणन”, आधार प्रमाणीकरण के संदर्भ में, आधार की धारा 2 की उपधारा (सी) के तहत परिभाषित प्रक्रिया का अर्थ है आधार (वित्तीय और अन्य सहायिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) अधिनियम, 2016
iv. हिताधिकारी स्वामी (बीओ)
क. जहां ग्राहक कोई कंपनी है, वहां हिताधिकारी स्वामी वह नैसर्गिक व्यक्ति है, जो अकेले या किसी के साथ मिलकर, या एक अथवा एकाधिक विधिक संस्था के जरिए कार्य करता है एवं जिसके पास नियंत्रक स्वामित्व हैं या जो किसी और माध्यम से नियंत्रण रखता है।
स्पष्टीकरण - इस उपखंड के प्रयोजन के लिए
1. “नियंत्रणकारी स्वामित्व हित’’ का अर्थ है कंपनी के 25 प्रतिशत से अधिक शेयर या पूंजी या लाभ का स्वामित्व या हकदारी।
2. “नियंत्रण’’ शब्द में शेयरधारिता या प्रबंधन अधिकार या शेयरहोल्डर समझौते या वोटिंग समझौते के कारण प्राप्त अधिकार के तहत अधिकांश निदेशकों की नियुक्ति या प्रबंधन का नियंत्रण या नीति निर्णय लेना सम्मिलित है।
ख. जहां ग्राहक कोई भागीदारी फ़र्म है, वहां हिताधिकारी स्वामी वह/वे नैसर्गिक व्यक्ति है/हैं, जो अकेले या किसी के साथ मिलकर, या एक अथवा एकाधिक विधिक संस्था के जरिए, भागीदारी फार्म की पूंजी या लाभ में से 15 प्रतिशत से ज्यादा का स्वामित्व या हकदारी रखते हों।
ग. जहां ग्राहक कोई अनिगमित संस्था या व्यक्तियों का निकाय है, वहां हिताधिकारी स्वामी वह/ वे नैसर्गिक व्यक्ति है/हैं, जो अकेले या किसी के साथ मिलकर, या एक अथवा एकाधिक विधिक संस्था के जरिए, अनिगमित संस्था या व्यक्तियों के निकाय की संपत्ति या पूंजी या लाभ में से 15 प्रतिशत से ज्यादा का स्वामित्व या हकदारी रखते हों।
स्पष्टीकरण: ‘व्यक्तियों के निकाय’ में सोसाइटी शामिल हैं। जब उपर्युक्त मद (क), (ख) या (ग) के अंतर्गत किसी नैसर्गिक व्यक्ति की पहचान न की जा सकती हो, तब हिताधिकारी स्वामी वह नैसर्गिक व्यक्ति होगा जो वरिष्ठ प्रबंधन अधिकारी के पद को धारण किए हो।
घ. जहां ग्राहक कोई न्यास है, वहां हिताधिकारी स्वामी/स्वामियों की पहचान में ट्रस्ट निर्माता, ट्रस्टी, न्यास में 15% या उससे अधिक के लाभार्थी और कोई अन्य नैसर्गिक व्यक्ति जो किसी नियंत्रण शृंखला या स्वामित्व द्वारा न्यास पर अंतिम प्रभावी नियंत्रण रखता है, की पहचान को शामिल किया जाएगा।
v. 4”ओवीडी की प्रमाणित प्रति”- विनियमित इकाई द्वारा प्रमाणित प्रति प्राप्त करने का अर्थ होगा कि ग्राहक द्वारा प्रस्तुत आधार होने का प्रमाण, जहां ऑफलाइन सत्यापन नहीं किया जा सकता है या आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज़ की प्रतिलिपि की तुलना मूल के साथ की गई हो और इसे प्रतिलिपि पर विनियमित संस्था के प्राधिकृत अधिकारी द्वारा अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार दर्ज किया गया हो।
बशर्ते कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन (जमा) विनियम, 2016 {फेमा 5 (आर)} में गैर-निवासी भारतीयों (एनआरआई) और भारतीय मूल के व्यक्तियों (पीआईओ) के मामले में, वैकल्पिक रूप से, मूल सत्यापित प्रति, निम्नलिखित में से किसी एक द्वारा प्रमाणित किया गया हो, प्राप्त किया जा सकता है:
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भारत में पंजीकृत अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की विदेशी शाखाओं के अधिकृत अधिकारी,
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विदेशी बैंकों की शाखाएं जिनके साथ भारतीय बैंक संबंध रखते हैं,
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विदेश में नोटरी पब्लिक,
-
कोर्ट मजिस्ट्रेट,
-
न्यायाधीश,
-
जिस देश में गैर-निवासी ग्राहक रहता है, वहां भारतीय दूतावास/ कांसुलेट जनरल
vi. सेंट्रल केवाईसी रिकॉर्ड्स रजिस्ट्री (सीकेवाईसीआर) का आशय उक्त नियम के नियम 2(1) (अअ) के अंतर्गत यथा पारिभाषित (सीकेवाईसीआर) संस्था से है, जो किसी ग्राहक से केवाईसी रिकॉर्ड्स को डिजिटल रूप में प्राप्त, भंडारित तथा सुरक्षित रखती है और उपलब्ध कराती है।
vii. “पदनामित निदेशक’’ का आशय विनियमित संस्था द्वारा पीएमएल अधिनियम के अध्याय 4 और नियम के अधीन अपेक्षित समस्त प्रतिबद्धताओं का समग्र अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए नामित व्यक्ति से है और इनमें निम्नलिखित सम्मिलित हैं
-
यदि विनियमित संस्था कोई कंपनी है तो प्रबंध निदेशक या निदेशक बोर्ड द्वारा सम्यक रूप से प्राधिकृत पूर्णकालिक निदेशक;
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प्रबंध भागीदार यदि रिपोर्ट करने वाली विनियमित संस्था भागीदारी फर्म है;
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यदि रिपोर्ट करने वाली विनियमित संस्था कोई स्वत्वधारित प्रतिष्ठान है तो स्वत्वधारी;
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यदि रिपोर्ट करने वाली विनियमित संस्था कोई न्यास है तो प्रबंध न्यासी;
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यदि विनियमित संस्था अनिगमित संगठन अथवा व्यक्तियों का निकाय हो तो यथास्थिति कोई व्यक्ति या व्यष्टि (Individual) जो विनियमित संस्था का नियंत्रण और कार्यों का प्रबंधन करता हो, और
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सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के संबंध में ऐसा व्यक्ति जो वरिष्ठ प्रबंधन या समतुल्य रूप में ‘पदनामित निदेशक’ के रूप में पदनामित हों।
स्पष्टीकरण - इस खंड के प्रयोजन के लिए 'प्रबंध निदेशक' और 'पूर्णकालिक निदेशक' शब्दों के वही अर्थ होंगे जो कंपनी अधिनियम, 2013 में दिया गया है।
viii. 5"डिजिटल केवाईसी" का अभिप्राय है ग्राहक की लाइव फोटो कैप्चर करना और आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज या आधार संख्या होने का प्रमाण, जहां ऑफ़लाइन सत्यापन नहीं किया जा सकता है, साथ ही उस स्थान का अक्षांश और देशांतर भी होना चाहिए जहां उक्त लाइव फोटो अधिनियम में दिए गए प्रावधानों के अनुसार रिपोर्टिंग संस्था (आरई) के किसी प्राधिकृत अधिकारी द्वारा ली जा रही हो।
ix. 6"डिजिटल हस्ताक्षर" का अर्थ वही होगा जो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (2000 का 21) की धारा (2) की उपधारा (1) के खंड (पी) में इसे दिया गया है।
x. 7"समतुल्य ई-अभिलेख" का अभिप्राय है किसी अभिलेख का इलेक्ट्रॉनिक समतुल्य, जिसे ऐसे अभिलेख जारी करने वाले प्राधिकारी द्वारा वैध डिजिटल हस्ताक्षर सहित जारी किया गया हो और जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी (डिजिटल लॉकर सुविधाएं देने वाले मध्यस्थों द्वारा सूचना का संरक्षण और प्रतिधारण) नियम, 2016 के नियम 9 के अनुसार ग्राहक के डिजिटल लॉकर खाते में जारी अभिलेख शामिल हैं।
xi. 8"अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) आइडेंटिफायर" का अभिप्राय है किसी ग्राहक को केंद्रीय केवाईसी अभिलेख रजिस्ट्री द्वारा दी गई अद्वितीय संख्या या कोड।
xii. 'गैर लाभ अर्जक संगठन' (एनपीओ) का अभिप्राय उस संस्था अथवा संगठन से है जो समितियां पंजीयन अधिनियम, 1860 अथवा उसी प्रकार के राज्य विधि के अंतर्गत ट्रस्ट अथवा समिति के रूप में पंजीकृत हो अथवा कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 अंतर्गत पंजीकृत कोई कंपनी हो।
xiii. 'आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज़' (ओवीडी) का अभिप्राय पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, 9आधार संख्या होने का प्रमाण, भारत के चुनाव आयोग द्वारा जारी मतदाता पहचान पत्र, राज्य सरकार के किसी अधिकारी द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित नरेगा के तहत जारी जॉब कार्ड और एनपीआर द्वारा जारी पत्र जिसमें नाम और पता दिया गया हो।
बशर्ते कि,
क. जहां ग्राहक ओवीडी के रूप में आधार संख्या होने का अपना प्रमाण प्रस्तुत करता है, वह इसे ऐसे रूप में प्रस्तुत कर सकता है जैसे कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा जारी किया जाता है।
ख. 10जहां ग्राहक द्वारा प्रस्तुत ओवीडी में अद्यतन पता नहीं है, निम्नलिखित दस्तावेजों को पते के प्रमाण के सीमित उद्देश्य के लिए ओवीडी माना जाएगा: -
i. किसी भी सेवा प्रदाता का यूटिलिटी बिल (बिजली, टेलीफोन, पोस्ट-पेड मोबाइल फोन, पाइप्ड गैस, पानी का बिल) जो दो महीने से अधिक पुराना नहीं है;
ii. संपत्ति या नगरपालिका कर रसीद;
iii. पेंशन या परिवार पेंशन भुगतान आदेश (पीपीओ) जो सरकारी विभागों या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा सेवानिवृत्त कर्मचारियों को जारी किए जाते हैं, यदि उसमें पता दिया गया है;
iv. राज्य सरकार या केंद्र सरकार के विभागों, सांविधिक या विनियामक निकायों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, वित्तीय संस्थानों और सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा जारी किए गए नियोक्ता से आवास के आवंटन का पत्र और ऐसे नियोक्ताओं को आधिकारिक आवास आवंटित करने के साथ अनुमति और अनुज्ञप्ति समझौते;
ग. ग्राहक ऊपर दिए गए दस्तावेजों को जमा करने के तीन महीने की अवधि के भीतर वर्तमान पते के साथ ओवीडी प्रस्तुत करेगा
घ. जहां विदेशी नागरिक द्वारा प्रस्तुत ओवीडी में पते का विवरण नहीं होता है, ऐसे मामले में विदेशी न्याय क्षेत्र के सरकारी विभागों द्वारा जारी दस्तावेज और भारत में विदेशी दूतावास या मिशन द्वारा जारी पत्र को पते के प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाएगा।
स्पष्टीकरण: इस खंड के प्रयोजन के लिए, एक दस्तावेज जारी होने के बाद नाम में कोई बदलाव होने पर भी उसे ओवीडी माना जाएगा, बशर्ते इसे राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए विवाह प्रमाण पत्र या राजपत्र अधिसूचना द्वारा समर्थित किया गया हो और उसमें नाम में परिवर्तन इंगित हो।
xiv 11ऑफलाइन सत्यापन”, का अभिप्राय वही होगा जो इसे आधार (वित्तीय और अन्य सहायिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) अधिनियम, 2016 (2016 का 18) की धारा (2) के खंड (पीए) में दिया गया है।
xv. व्यक्ति का आशय वही है जो अधिनियम में अभिहित है और इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
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कोई व्यक्ति,
-
अविभक्त हिन्दू परिवार,
-
कोई कंपनी
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फ़र्म
-
व्यक्तियों का संघ या व्यक्तियों का निकाय, चाहे निगमित हो अथवा नही,
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प्रत्येक कृत्रिम विधिक व्यक्ति, जो उपर्युक्त (क से ङ) व्यक्तियों में से कोई नहीं है, और
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कोई एजेंसी, कार्यालय या शाखा जो उपर्युक्त (क से च) में उल्लिखित व्यक्तियों में से किसी के स्वामित्व या नियंत्रण में है।
xvi. “प्रधान अधिकारी से आशय है विनियमित संस्था द्वारा नामित वह अधिकारी जो उक्त नियम के नियम 8 के अंतर्गत सूचना देने के लिए जिम्मेदार है।
xvii. “संदिग्ध लेनदेन का आशय उस लेनदेन से है जिसे नीचे पारिभाषित किया गया है जिसमें ''लेनदेन (संव्यवहार) का प्रयास भी शामिल हैं, भले ही वह किसी सद्भावपूर्वक कार्य कर रहे व्यक्ति के साथ नकद किया गया हो अथवा नहीं;
-
यदि संदेह के लिए पर्याप्त कारण हो कि उसमें ऐसी आगम राशि शामिल है जो उक्त अधिनियम की अनुसूची में विनिर्दिष्ट अपराधों से अर्जित हुई हो, चाहे उसका मूल्य (राशि) कुछ भी क्यों न हो; या
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असामान्य या अनुचित रूप से जटिल परिस्थितियों में किए गए प्रतीत होते हों; या
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जिनका कोई सुस्पष्ट आर्थिक प्रयोजन या वास्तविक कारण न प्रतीत होता हो;
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जहां यह संदेह करने का कारण हो कि इसमें आतंकवाद का वित्तपोषण करने वाले क्रियाकलाप शामिल हैं।
स्पष्टीकरण: आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों के वित्तपोषण से जुड़े लेनदेन जिनमें वे लेनदेन शामिल हैं जिनकी निधियों का संबंध आतंकवाद या आतंकी गतिविधियों से होने का संदेह हो या किसी आतंकी अथवा आतंकी संगठन या आतंकवाद को वित्तपोषित करने या वित्तपोषण का प्रयास कर रहे व्यक्तियों द्वारा प्रयुक्त होने का संदेह हो।
xviii. लघु खाते का मतलब एक ऐसा बचत खाता जो पीएमएल नियम, 2005 के उप-नियम (5) के अनुसार खोला गया है। एक लघु खाते के संचालन का विवरण और ऐसे खाते के लिए प्रयोग किए जाने वाले नियंत्रण के बारे में धारा 23 में विनिर्दिष्ट हैं।
xix. “लेनदेन का आशय है कोई खरीद, बिक्री, ऋण, गिरवी रखना, उपहार देना, अंतरण करना या सुपुर्दगी करना अथवा इससे संबन्धित व्यस्थाएँ करना और इसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
-
खाता खोलना;
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किसी भी मुद्रा में नकद या चेक द्वारा, पेमेंट ऑर्डर या किसी अन्य लिखत द्वारा या इलेक्ट्रोनिक या अन्य अमूर्त साधन द्वारा निधियों को जमा करना, आहरण, विनिमय या अंतरित करना;
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सुरक्षित जमा बॉक्स या सुरक्षित जमा के किसी भी रूप का प्रयोग करना;
-
कोई भी प्रत्ययी संबंध आरंभ करना;
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किसी संविधानात्मक या वैधानिक (विधिक) दायित्व के लिए आंशिक या पूर्ण रूप में कोई भुगतान करना या भुगतान प्राप्त करना;
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कोई विधिक व्यक्ति (संस्था) बनाना या विधिक व्यवस्था स्थापित करना।
xx. 12वीडियो आधारित ग्राहक पहचान प्रक्रिया (वी-सीआईपी): ग्राहक पहचान का एक तरीका जिसमें आरई के अधिकारी द्वारा ग्राहक के साथ सहमति आधारित अबाधित, वास्तविक समय में, सुरक्षित दृश्य-श्रव्य इंटरएक्शन है, जिसके द्वारा सीडीडी प्रक्रिया के लिए प्राप्त किए गए दस्तावेजों सहित, ग्राहक द्वारा दी गई सूचना की सत्यता सुनिश्चित की जाती है। इस मास्टर निदेश के प्रयोजन से ऐसी प्रक्रिया को आमने-सामने की प्रक्रिया के रूप में माना जाएगा।
(ख) इन निदेशों में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, शब्दों का अर्थ वही होगा, जो नीचे दिया गया है:
i. “सामान्य रिपोर्टिंग मानक’’ (सीआरएस) से तात्पर्य है कर मामलों में आपसी प्रशासनिक सहयोग कन्वेंशन में हस्ताक्षरित बहुपक्षीय करार के अनुच्छेद 6 के आधार पर स्वतः सूचना के विनिमय के कार्यान्वयन के लिए निर्धारित रिपोर्टिंग मानक।
ii. ‘ग्राहक' से तात्पर्य किसी ऐसे व्यक्ति से है जो किसी विनियमित संस्था के साथ किसी वित्तीय लेनदेन या गतिविधि में शामिल है तथा इसमें ऐसा व्यक्ति भी शामिल है जिसकी ओर से ऐसे लेनदेन अथवा गतिविधि में कोई व्यक्ति भाग ले रहा है।
iii. “वॉक इन ग्राहक” अर्थात नवागंतुक ग्राहक से तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से है, जिसका विनियमित संस्था से खाता आधारित संबंध नहीं है लेकिन वह विनियमित संस्था से लेनदेन करता है।
iv. 13'ग्राहक संबंधी समुचित सावधानी' (सीडीडी) का अभिप्राय ग्राहक और हिताधिकारी स्वामी की पहचान और पुष्टि करने से है।
v. ग्राहक पहचान का अभिप्राय 'ग्राहक संबंधी समुचित सावधानी' (सीडीडी) प्रक्रिया को पूरा करना।
vi. 'एफ़एटीसीए' का अभिप्राय संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) के विदेशी खाता कर अनुपालन अधिनियम से है जो अन्य बातों के साथ साथ यह अपेक्षा करता है कि विदेशी वित्तीय संस्थाएं अमेरिकी करदाताओं द्वारा रखे गए वित्तीय खातों अथवा ऐसी विदेशी संस्थाओं जिनमें अमेरिकी करदाताओं के भारी स्वामित्व हित हों, को रिपोर्ट करें।
vii. 'आईजीए' का अभिप्राय भारत सरकार और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच के अंतरसरकारी करार से है जो अंतरराष्ट्रीय कर अनुपालन और अमेरिका के 'एफ़एटीसीए' 'को लागू करने में सुधार लाने से है।
viii. 'केवाईसी टेंपलेट्स' का अभिप्राय उन टेंपलेट्स से है जो व्यक्तियों और विधिक संस्थाओं के लिए सीकेवाईसीआर को केवाईसी डेटा समेकन और प्रस्तुतीकरण से संबंधित हैं।
ix. अप्रत्यक्ष (गैर एफ़एसीई से एफ़एसीई) ग्राहक का अभिप्राय ऐसे ग्राहक से है जो विनियमित संस्था की शाखा/कार्यालयों पर आए बिना और विनियमित संस्थाओं के अधिकारियों से मिले बिना खाते खोलता है।
x. 'सतत समुचित सावधानी' का अभिप्राय उसके खातों में होने वाले लेनदेनों की नियमित निगरानी करने से है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे ग्राहक की प्रोफाइल और निधियों के स्रोतों के अनुरूप हैं।
xi. 'आवधिक अद्यतनीकरण' का अभिप्राय ग्राहक संबंधी समुचित सावधानी (सीडीडी) प्रक्रिया के अंतर्गत जुटाए गए दस्तावेज़, आंकड़े अथवा सूचना को अद्यतन रखने और रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट अवधि अंतरालों पर मौजूदा अभिलेखो की समीक्षा करने से है ।
xii. 'राजनैतिक रूप से जोखिम वाले व्यक्ति' (पीईपी) ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें किसी दूसरे देश में प्रमुख लोक कार्य का दायित्व सौंपा गया है जैसे राज्यों/सरकारों के प्रमुख, वरिष्ठ राजनयिक, वरिष्ठ सरकारी/न्यायिक/सैनिक अधिकारी, राज्य स्वाधिकृत निगमों के वरिष्ठ कार्यपालक, महत्वपूर्ण राजनैतिक पार्टी के पदाधिकारी, आदि।
xiii. 'विनियमित संस्था'(आरई) का अभिप्राय
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सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक/ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक/ लोकल एरिया बैंक/ सभी प्राथमिक(शहरी) सहकारी बैंक/ राज्य और मध्यवर्ती सहकारी बैंक तथा कोई अन्य संस्था जिसने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 22 के अंतर्गत लाइसेंस प्राप्त किया हो, जिन्हें एक ग्रुप के रूप में बैंक कहा गया है
-
अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाएं
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सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ, विविध गैर बैंकिंग कंपनियाँ और अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियाँ
-
सभी भुगतान प्रणाली प्रदाता/ सिस्टम सहभागी और प्री-पेड भुगतान लिखत जारी कर्ता
-
विनियामक द्वारा विनियमित सभी प्राधिकृत व्यक्ति जिनमें धन अंतरण सेवा योजना के एजेंट शामिल हैं
xiv. 'शेल बैंक' का अभिप्राय ऐसे बैंक से है जो उस देश में निगमित है जिसमें उसकी भौतिक उपस्थिति नहीं है और किसी विनियमित वित्तीय समूह से संबद्ध नहीं है।
xv. 'वायर ट्रान्सफर' का अभिप्राय किसी बैंक के किसी लाभार्थी के लिए धन उपलब्ध कराने के दृष्टिकोण से इलेक्ट्रानिक माध्यम से किसी बैंक के जरिए जारीकर्ता व्यक्ति (प्राकृतिक एवं विधिक) की ओर से सीधे अथवा ट्रान्सफर शृंखला के जरिए लेन देन पूरा करना ।
xvi. 'घरेलू और सीमा पार वायर ट्रान्सफर': जब आरंभक बैंक और लाभार्थी बैंक दोनों उसी देश में स्थित एक ही व्यक्ति हों अथवा भिन्न व्यक्ति, ऐसे लेनदेन को 'घरेलू वायर ट्रान्सफर' कहा जाता है और यदि आरंभक बैंक और लाभार्थी बैंक भिन्न देश में स्थित हों तो ऐसे लेनदेन को 'सीमापार वायर ट्रान्सफर' कहा जाता है।
(ग) सभी अन्य अभिव्यक्तियाँ जो यहाँ परिभाषित नहीं हैं उनके वही अर्थ होंगे जो उन्हें बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1935, धनशोधन निवारण अधिनियम 2002 और धनशोधन निवारण (अभिलेखों का रखरखाव) नियम 2005, 14आधार (वित्तीय और अन्य सहायिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) अधिनियम, 2016 और उसके तहत बनाए गए विनियम, कोई सांविधिक संशोधन अथवा इनके पुनः अधिनियमन अथवा वाणिज्यिक शब्दों में, जैसा भी मामला हों, में दिए गए हैं।
अध्याय - II
सामान्य
4. विनियमित संस्था की अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) संबंधी एक नीति के होगी जो विनियमित संस्था के निदेशक बोर्ड या बोर्ड की कोई और समिति, जिसे एतदर्थ शक्तियां प्रत्यायोजित की गई हों, द्वारा विधिवत अनुमोदित हो।
5. “केवाईसी नीति में निम्नलिखित चार मुख्य तत्व शामिल होंगे:
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ग्राहक स्वीकरण नीति;
-
जोखिम प्रबंधन;
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ग्राहक पहचान क्रियाविधि (सीआईपी) और
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लेनदेनों की मॉनीटरिंग।
155क. विनियमित संस्थाओं द्वारा धनशोधन और आतंकवादी वित्तपोषण जोखिम आकलन:
(क) विनियमित संस्थाओं द्वारा समय-समय पर 'धनशोधन (एमएल) और आतंकवाद को वित्तपोषण (टीएफ) जोखिम आकलन के अभ्यास करेंगे, ताकि वे ग्राहकों, देशों या भौगोलिक क्षेत्रों, उत्पादों, सेवाओं, लेनदेन या वितरण चैनलों आदि में इसके धन शोधन और आतंकवाद को वित्त पोषण जोखिम की पहचान, आकलन और इसे कम करने के लिए प्रभावी उपाय कर सकें।
मूल्यांकन प्रक्रिया को समग्र जोखिम के स्तर और कमी के लिए लागू किए जाने वाले उचित स्तर और उपाय के प्रकार का निर्धारण करने से पहले सभी प्रासंगिक जोखिम कारकों पर विचार करना चाहिए। एमएल/ टीएफ जोखिम का आकलन करते समय, विनियमित संस्थाओं को समग्र क्षेत्र-विशेष की असुरक्षाओं, यदि कोई हो, का संज्ञान लेना आवश्यक है जिसे विनियामक/पर्यवेक्षक समय-समय पर विनियमित संस्था के साथ साझा कर सकते है।
(ख) विनियमित संस्थाओं द्वारा जोखिम आकलन को समुचित रूप से प्रलेखित किए जाएंगे और विनियमित संस्था की प्रकृति, आकार, भौगोलिक उपस्थिति, गतिविधियों/ संरचना की जटिलता आदि के अनुरूप होगा। इसके अतिरिक्त, जोखिम मूल्यांकन अभ्यास की अवधि का निर्धारण विनियमित संस्था के बोर्ड द्वारा जोखिम मूल्यांकन अभ्यास के परिणाम के साथ संरेखन में की जाएगी । हालांकि इसकी कम से कम वार्षिक समीक्षा की जानी चाहिए।
(ग) इस अभ्यास का परिणाम बोर्ड या बोर्ड की किसी समिति के समक्ष प्रस्तुत जाएगा जिसे इस संबंध में शक्ति प्रत्यायोजित की गई है और सक्षम प्राधिकारियों और स्व-विनियमन निकायों को उपलब्ध किया जाना चाहिए।
(घ) विनियमित संस्थाएं चिन्हित जोखिम को कम करने और प्रबंधन के लिए जोखिम आधारित दृष्टिकोण (आरबीए) लागू करेंगी और इस संबंध में बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीतियां, नियंत्रण और प्रक्रियाएं होनी चाहिए। साथ में, विनियमित संस्थाएं नियंत्रण के कार्यान्वयन को मॉनिटर करेंगे और यदि आवश्यक है तो उन्हें बढ़ाएंगे।
6. पदनामित निदेशक
(क) पदनामित निदेशक से तात्पर्य आरई द्वारा पदनामित व्यक्ति से है जो पीएमएल अधिनियम के अध्याय IV तथा नियम के अधीन दायित्वों के अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी है और जिन्हें बोर्ड द्वारा ‘पदनामित निदेशक’ के रूप में नामित किया जाता है।
(ख) ‘पदनामित निदेशक’ का नाम, पदनाम और पता भारतीय वित्तीय आसूचना एकक (एफआईयू-आईएनडी) को सूचित किया जाएगा।
(ग) किसी भी स्थिति में प्रधान अधिकारी को ‘पदनामित निदेशक’ के रूप में नामित नहीं किया जाएगा।
7. प्रधान अधिकारी
(क) प्रधान अधिकारी कानून/ विनियमों की अपेक्षानुसार अनुपालन सुनिश्चित करने, लेनदेन की निगरानी और सूचना साझा तथा उसकी रिपोर्टिंग करने के लिए जिम्मेदार होगा।
(ख) ‘प्रधान अधिकारी’ का नाम, पदनाम और पता भारतीय वित्तीय आसूचना एकक (एफआईयू-आईएनडी) को सूचित किया जाएगा।
8. केवाईसी नीति का अनुपालन
क) विनियमित संस्थाएं निम्नलिखित के द्वारा केवाईसी के अनुपालन को सुनिश्चित करेंगी:
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केवाईसी के अनुपालन के लिए वरिष्ठ प्रबंध तंत्र में कौन शामिल हैं, इसका विनिर्देशन करना।
-
नीतियों और प्रक्रियाओं के प्रभावी कार्यांवयन के लिए जिम्मेदारी आबंटित/तय करना।
-
अनुपालन कार्य में विनियमित संस्था की अपनी नीतियों तथा क्रियाविधियों का, जिनमें विधिक तथा विनियामक अपेक्षाएं शामिल हैं, स्वतंत्र मूल्यांकन करना।
-
समवर्ती/ आंतरिक लेखा-परीक्षा प्रणाली द्वारा केवाईसी/ एएमएल नीतियों और क्रियाविधियों के अनुपालन की जांच करना/ सत्यापन करना।
-
लेखा-परीक्षा समिति के समक्ष तिमाही लेखापरीक्षा नोट और अनुपालन रिपोर्ट को प्रस्तुत करना।
ख) आरई यह सुनिश्चित करेगा कि केवाईसी मानदंडों के अनुपालन को निर्धारित करने के निर्णय लेने के कार्य को आउटसोर्स नहीं किए जाएंगे।
अध्याय – III
ग्राहक स्वीकरण नीति
9. विनियमित संस्थाएं ग्राहक स्वीकरण नीति बनाएँ।
10. ग्राहक स्वीकरण नीति में समाविष्ट सामान्य आयामों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, विनियमित संस्थाओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि:
(क) छद्मनाम से या फर्जी/ बेनामी नामों से कोई खाता न खोला जाए;
(ख) जिन मामलों में विनियमित संस्था ग्राहकों के संबंध में समुचित सावधानी संबंधी उपाय या तो ग्राहक के असहयोग या ग्राहक द्वारा उपलब्ध कराये गए दस्तावेजों/ सूचना की अविश्वसनीयता के कारण लागू न कर पाए, उन मामलों में खाता न खोला जाए।
(ग) समुचित सावधानी उपायों का पालन किए बिना कोई लेनदेन या खाता आधारित संबंध स्थापित नहीं किया जाएगा।
(घ) खाता खोलने और आवधिक अद्यतनीकरण के दौरान केवाईसी के लिए मांगी गई अनिवार्य सूचना विनिर्दिष्ट की जाएगी।
(ङ) वैकल्पिक/ अतिरिक्त सूचना खाता खोलने के बाद ग्राहक की स्पष्ट अनुमति से प्राप्त की जा सकती है।
(च) आरई द्वारा यूसीआईसी स्तर पर सीडीडी प्रक्रिया लागू करें। इसलिए, आरई के वर्तमानत: केवाईसी अनुपालित एक ग्राहक यदि उसी आरई के अधीन खाता खोलना चाहते हैं तो नए सीडीडी प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं होगी।
(छ) संयुक्त खाता खोलते समय सभी खाताधारियों के लिए समुचित सावधानी उपायों का पालन किया जाएगा।
(ज) जिन परिस्थितियों में किसी ग्राहक को किसी अन्य व्यक्ति/संस्था की ओर से कार्य करने की अनुमति है, उन्हें स्पष्ट रूप से बताया जाएगा।
(झ) यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसी ग्राहक की पहचान किसी ऐसे व्यक्ति या संस्था से न मेल खाती हो जिसका नाम भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा परिचालित किसी प्रतिबंधित सूची में शामिल हो, एक उपयुक्त प्रणाली लागू की जाए।
(ञ) 16जहां स्थायी खाता संख्या (पैन) लिया जाता है, वहाँ उसे जारी करने वाले प्राधिकारी की सत्यापन प्रणाली से सत्यापित किया जाएगा।
(ट) 17जहां ग्राहक से समतुल्य ई-दस्तावेज़ लिया जाता है, आरई डिजिटल हस्ताक्षर को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000के प्रावधानों के (2000 का 21) के अनुसार सत्यापित करेंगे।
11. ग्राहक स्वीकरण नीति के परिणामस्वरूप सामान्य जनता, खासतौर से, सामाजिक और वित्तीय रूप से पिछड़े व्यक्तियों को बैंकिंग/ वित्तीय सुविधाएं उपलब्ध/ प्राप्त होने में अडचन न आएं।
अध्याय – IV
जोखिम प्रबंधन
12. जोखिम प्रबंधन के लिए विनियमित संस्थाएं जोखिम आधारित रुख अपनाएंगी, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
(क) ग्राहकों को विनियमित संस्थाओं के आकलन और जोखिम अनुमान के आधार पर कम, मध्यम और उच्च जोखिम वाले ग्राहकों की श्रेणी में वर्गीकृत किया जाएगा।
(ख) जोखिम वर्गीकरण ग्राहक की पहचान, उसकी सामाजिक/ आर्थिक हैसियत, कारोबारी गतिविधियों के स्वरूप, और ग्राहकों के कारोबार एवं स्थान आदि की जानकारी के आधार पर किया जाएगा। बशर्ते कि अनुमानित जोखिम के आधार पर विभिन्न श्रेणियों के ग्राहकों से एकत्र की गई सूचना दखलंदाजी भरी न हो और केवाईसी नीति में निर्दिष्ट की गई हो।
स्पष्टीकरण: जोखिम आंकलन में एफ़एटीएफ़ सार्वजनिक वक्तव्य, भारतीय बैंक संघ (आईबीए) द्वारा केवाईसी/ एएमएल पर जारी की गईं रिपोर्ट और दिशा-निर्देश नोट, रिज़र्व बैंक द्वारा सभी सहकारी बैंकों को जारी किए गए दिशानिर्देश नोट की सहायता ली जा सकती है।
अध्याय – V
ग्राहक पहचान क्रियाविधि (सीआईपी)
13. विनियमित संस्थाओं को निम्नलिखित स्थितियों में ग्राहकों की पहचान करनी होगी:
(क) ग्राहक के साथ कोई खाता आधारित संबंध शुरू करते समय।
(ख) किसी ऐसे व्यक्ति के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा अंतरण करते समय, जो बैंक का खाताधारक न हो।
(ग) जब बैंक को स्वयं द्वारा प्राप्त किए गए ग्राहक पहचान डेटा की प्रामाणिकता या पर्याप्तता को लेकर कोई संदेह हो।
(घ) किसी तीसरी पार्टी के उत्पाद एजेंट के रूप में बेचते समय, स्वयं अपने उत्पाद बेचते समय, क्रेडिट कार्ड के बकाये का भुगतान करते समय और प्रीपेड/यात्रा कार्ड का विक्रय और रीलोडिंग तथा 50,000/- रूपए से अधिक का कोई भी अन्य उत्पाद बेचते समय।
(ङ) वॉक-इन ग्राहक अर्थात नवागंतुक ग्राहक द्वारा किए जाने वाले 50,000/- रूपए के समतुल्य या उससे अधिक राशि के लेनदेन के समय, जिसमें 50,000/- रूपए के समतुल्य या उससे अधिक राशि शामिल हो, चाहे वह लेनदेन एकल जाए या कई जुड़े हुए प्रतीत होनेवाले लेनदेन करते समय।
(च) जब किसी विनियमित संस्था के पास यह विश्वास करने का कारण मौजूद हो कि कोई ग्राहक (खाताधारी या नवागंतुक) किसी लेनदेन को इरादतन 50,000/- रूपए से कम के लेनदेनों को शृंखला में बदल रहा है।
(छ) आरई यह सुनिश्चित करेगा कि खाता खोलते समय परिचय नहीं मांगा जाए।
14. खाता-आधारित संबंध आरंभ करने से पहले ग्राहकों की पहचान को निर्धारित करने और उसको सत्यापित करने के लिए विनियमित संस्थाएं तृतीय पक्ष द्वा गए ग्राहकों के संबंध में किए गए समुचित सावधानी उपायों का सहारा लेने का विकल्प निम्नलिखित शर्तों के अधीन अपना सकती हैं:
(क) 18तृतीय पक्ष द्वारा ग्राहक के संबंध में समुचित सावधानी के तहत संकलित आवश्यक जानकारी या रेकॉर्ड तृतीय पक्ष से या केंद्रीय केवाईसी रेकॉर्ड रजिस्ट्री से दो दिनों के अंतर्गत प्राप्त की जाए;
(ख) विनियमित संस्था स्वयं को संतुष्ट करने के लिए आवश्यक उपाय करे कि ग्राहक संबंधी पहचान डेटा और समुचित सावधानी से संबंधित/ सुसंगत दस्तावेजों की प्रतियां तृतीय पक्ष से अनुरोध करने पर अविलंब प्राप्त हो जाएंगी;
(ग) तृतीय पक्ष विनियमित, पर्यवेक्षित हो और उसे मानीटर किया जाता है और धनशोधन निवारण अधिनियम की अपेक्षाओं और दायित्वों को पूरा करने के अधीन ग्राहक संबंधी समुचित सावधानी और रिकार्ड-कीपिंग अपेक्षाओं के लिए उसने समुचित उपाए किए हैं;
(घ) तृतीय पक्ष उच्च जोखिम के रूप में वर्गीकृत देश या क्षेत्राधिकार में स्थित नहीं है;
(ङ) अंततः विनियमित संस्था ग्राहक से संबंधित समुचित सावधानी के लिए और यथाप्रयोज्य उच्चतर समुचित सावधानी उपाय करने के लिए उत्तरदायी होगी।
अध्याय VI
ग्राहक के संबंध में समुचित सावधानी प्रक्रिया (सीडीडी)
भाग I – व्यक्तियों के मामले में सीडीडी प्रक्रिया
15. 19हटाया गया
16. 20सीडीडी के लिए, आरई एक व्यक्ति से खाता-आधारित संबंध स्थापित करते समय या किसी ऐसे व्यक्ति के साथ संव्यवहार करते हुए जो एक लाभार्थी स्वामी, अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता या किसी कानूनी इकाई से संबंधित पॉवर अटॉर्नी धारक है, से निम्नलिखित दस्तावेज़ प्राप्त करेगा :
(क) आधार संख्या, जहां
i. वह आधार (वित्तीय और अन्य सहायिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) अधिनियम, 2016 (2016 का 18) की धारा 7 के तहत अधिसूचित किसी भी योजना के तहत कोई लाभ या सब्सिडी प्राप्त करने का इच्छुक है; या
ii. वह अपना आधार संख्या स्वेच्छा से किसी बैंकिंग कंपनी या पीएमएल अधिनियम की धारा 11 ए की उप-धारा (1) के पहले परंतुक के तहत अधिसूचित किसी भी रिपोर्टिंग इकाई को प्रस्तुत करने का निर्णय लेता है; या
(कक) आधार संख्या होने का प्रमाण जहां ऑफ़लाइन सत्यापन किया जा सकता है; या
(कख) आधार संख्या होने का प्रमाण जहां ऑफ़लाइन सत्यापन नहीं किया जा सकता है; या कोई आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज (ओवीडी) या उसकी पहचान और पते के विवरण वाला समतुल्य ई-अभिलेख; तथा
(ख) स्थायी खाता संख्या या उसके समतुल्य ई-अभिलेख या फॉर्म संख्या 60 जैसा कि आयकर नियम, 1962 में परिभाषित है; तथा
(ग) आरई द्वारा अपेक्षित अन्य अभिलेख जिसमें ग्राहक के व्यवसाय या वित्तीय स्थिति की प्रकृति से संबंधित अभिलेख शामिल हैं या उनके समतुल्य ई-अभिलेख।
बशर्ते कि, जहां ग्राहक ने निम्नलिखित जमा किया है:
i. उपर्युक्त खंड (k) के तहत किसी बैंकिंग कंपनी या पीएमएल अधिनियम की धारा 11 ए की उप-धारा (1) के पहले परंतुक के तहत अधिसूचित किसी भी रिपोर्टिंग इकाई तहत आधार संख्या जमा किया है, वहां ऐसे बैंक या आरई भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा दी गई ई-केवाईसी प्रमाणीकरण सुविधा का उपयोग कर ग्राहक की आधार संख्या का प्रमाणीकरण करेंगे। जहां ग्राहक ने पहचान के लिए उपर्युक्त पैरा(ग.I.i) के तहत अपना आधार नंबर दिया है और वह केंद्रीय पहचान डेटा रिपॉजिटरी में उपलब्ध पहचान सूचना में दिए गए पते से अलग वर्तमान पता देना चाहता है, तो विनियमित संस्था को इस आशय की स्व-घोषणा दे सकता है।
ii. उपर्युक्त खंड (कक) के तहत आधार होने का प्रमाण जमा किया है और जहां ऑफ़लाइन सत्यापन किया जा सकता है, आरई ऑफ़लाइन सत्यापन करेंगे।
iii. किसी भी ओवीडी का समतुल्य ई-अभिलेख जमा किया है, आरई सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (2000 का 21) के प्रावधानों और इसके तहत जारी किसी नियम के अनुसार डिजिटल हस्ताक्षर को सत्यापित करेंगे और अनुबंध I में विनिर्दिष्ट किए गए अनुसार लाइव फोटो लेंगे।
iv. उपर्युक्त खंड (कख) के तहत आधार संख्या होने का प्रमाण और जहां ऑफ़लाइन सत्यापन नहीं किया जा सकता है या (ग.I.iv) के तहत कोई ओवीडी, आरई मास्टर निदेश के अनुबंध I के अनुसार विनिर्दिष्ट डिजिटल केवाईसी द्वारा सत्यापन करेंगे।
बशर्ते कि, सरकार द्वारा आरई के किसी वर्ग के लिए अधिसूचित तिथि से भीतर की अवधि के लिए, ऐसे वर्ग में शामिल आरई, डिजिटल केवाईसी करने की बजाय आधार संख्या होने के प्रमाण की सत्यापित प्रति लें या ओवीडी और एक हाल का फोटोग्राफ लें, जहां समतुल्य ई-अभिलेख जमा नहीं किया गया है।
बशर्ते यह भी कि यदि ई-केवाईसी का प्रमाणीकरण, किसी व्यक्ति को जो आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवा का लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016 की धारा 7 के तहत अधिसूचित किसी भी योजना के तहत कोई लाभ या सब्सिडी प्राप्त करने का इच्छुक है और चोट, बीमारी या वृद्धावस्था या अन्य इसी तरह के कारण से अशक्त है, नहीं किया जा सकता वहां, आरई आधार नंबर प्राप्त करने के अलावा, अधिमानतः ग्राहक से किसी अन्य ओवीडी की प्रमाणित प्रति प्राप्त करके ऑफ़लाइन या वैकल्पिक सत्यापन करेंगे। इस तरह से किए गए सीडीडी को हमेशा आरई के एक अधिकारी द्वारा किया जाएगा और इस तरह के अपवाद कार्य भी समवर्ती लेखा परीक्षा का एक हिस्सा होगा जैसा कि खंड 8 में अधिदेशित है। आरई केंद्रीकृत अपवाद डाटाबेस में अपवाद कार्य के मामलों को विधिवत दर्ज करना सुनिश्चित करेगा। डेटाबेस में अपवाद, ग्राहक विवरण, नामित अधिकारी के नाम के अपवाद और अतिरिक्त विवरण, यदि कोई अधिकृत करने के आधार के विवरण होंगे। डेटाबेस आरई द्वारा आवधिक आंतरिक लेखापरीक्षा/ निरीक्षण के अधीन होगा और पर्यवेक्षी समीक्षा के लिए उपलब्ध होगा।
स्पष्टीकरण 1: जहां ग्राहक अपना आधार नंबर होने का प्रमाण आधार नंबर के साथ जमा करता है, वहाँ आरई यह सुनिश्चित करेगा कि ऐसे ग्राहक उचित माध्यम से अपने आधार नंबर को रेडक्ट करें या ब्लैकआउट करें जहां उपर्युक्त परंतुक 1 के तहत आधार संख्या के प्रमाणीकरण की आवश्यकता नहीं है।
स्पष्टीकरण 2: बायोमेट्रिक आधारित ई-केवाईसी प्रमाणीकरण बैंक अधिकारी/ व्यवसाय प्रतिनिधि/ व्यवसाय सुविधा प्रदाता द्वारा किया जा सकता है।
स्पष्टीकरण 3: आधार का उपयोग, आधार होने का प्रमाणन आदि, आधार (वित्तीय और अन्य सहायिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) अधिनियम, 2016 और उसके तहत बनाए गए विनियमों के अनुसार होगा।
17. ओटीपी आधारित ई-केवाईसी का प्रयोग करते हुए अप्रत्यक्ष मोड में खोले गए खाते निम्नलिखित शर्तों के अधीन हैं:
(i) ओटीपी के माध्यम से अधिप्रमाणन करने के लिए ग्राहक से विनिर्दिष्ट सहमति ली जानी चाहिए।
(ii) ग्राहक के सभी जमा खातों का समग्र जमाशेष एक लाख रुपये से अधिक नहीं होगा। यदि शेष राशि सीमा से अधिक है तो उक्त (v) में उल्लिखित अनुसार सीडीडी पूरा होने तक खाते का संचालन बंद रहेगा।
(iii) किसी वित्त वर्ष में सभी जमाओं की समग्र राशि, सभी जमा खातों को मिलाकर, दो लाख रुपये से अधिक नहीं होगी।
(iv) उधार खातों के संबंध में, केवल सावधि ऋणों की मंजूरी दी जाएगी। मंजूर की गई सावधि ऋणों की समग्र राशि एक वर्ष में साठ हजार रुपये से अधिक नहीं होगी।
(v) ओटीपी आधारित ई-केवाईसी के प्रयोग से खोले गए जमा और उधार दोनों खातों को उस एक वर्ष से अधिक समय के लिए अनुमति नहीं दी जाएगी जिसके भीतर धारा 16 के अंतर्गत प्रमाणीकरण की प्रक्रिया पूरी की जानी है।
(vi) यदि उक्त बताए अनुसार सीडीडी प्रक्रिया जमा खातों के संबंध में एक वर्ष के भीतर पूरी नहीं की जाती है तो उसे तुरंत बंद किया जाएगा। उधार खातों के संबंध में, और अधिक नामे की अनुमति नहीं दी जाएगी।
(vii) 21ग्राहक से इस प्रकार की घोषणा प्राप्त की जाएगी कि किसी अन्य विनियमित संस्था में ओटीपी आधारित केवाईसी (अप्रत्यक्ष मोड में) के प्रयोग से कोई अन्य खाता नहीं खोला गया है अथवा खोला जाएगा। इसके अतिरिक्त, सीकेवाईसीआर के लिए केवाईसी सूचना अपलोड करते समय, विनियमित संस्थाएं स्पष्ट रूप से यह बताएंगी कि ऐसे खाते ओटीपी आधारित ई-केवाईसी के प्रयोग से खोले गए हैं और अन्य विनियमित संस्थाएं ओटीपी आधारित ई-केवाईसी से खाले गए खातों की केवाईसी सूचना (अप्रत्यक्ष मोड में) पर आधारित खाते नहीं खोलेंगी।
(viii) विनियमित संस्थाएं उपर्युक्त शर्तों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए किसी गैर-अनुपालन/ उल्लंघन के मामले में चेतावनी (अलर्ट) उत्पन्न करने की प्रणाली सहित सख्त निगरानी क्रियाविधि बनाएंगी।
18. 22किसी वैयक्तिक ग्राहक के साथ खाता आधारित संबंध स्थापित करने के लिए आरई लाइव वी-सीआईपी कर सकते हैं, जिसे आरई के किसी अधिकारी द्वारा ग्राहक को उचित सूचना देकर उनकी सहमति प्राप्त करने के बाद और निम्नलिखित निर्देशों का पालन करते हुए किया जाएगा:
i. वी-सीआईपी करने वाले आरई के अधिकारी पहचान के लिए उपस्थित ग्राहक का वीडियो रिकॉर्ड करेंगे और फोटो भी खींचेंगे और निम्नलिखित पहचान संबंधी सूचना प्राप्त करेंगे:
-
बैंक: पहचान के लिए या तो ओटीपी आधारित आधार ई-केवाईसी प्रमाणीकरण कर सकते हैं या आधार के ऑफ़लाइन सत्यापन का उपयोग कर सकते हैं। साथ ही, बैंकों द्वारा वी-सीआईपी में सहयोग के लिए कारोबार प्रतिनिधि (बीसी) की सेवाओं का उपयोग किया जा सकता है।
-
बैंकों के अतिरिक्त अन्य आरई: पहचान के लिए केवल आधार के ऑफ़लाइन सत्यापन का उपयोग कर सकते हैं।
ii. जिन मामलों में ग्राहक द्वारा ई-पैन दिया गया है, उनके अलावा अन्य ग्राहकों द्वारा दर्शाए जाने वाले पैन कार्ड की स्पष्ट छवि आरई को इस प्रक्रिया के दौरान लेनी होगी। पैन का विवरण जारी करने वाले प्राधिकरण के डेटाबेस से सत्यापित किया जाएगा।
iii. ग्राहक के लाइव स्थान (जियोटैगिंग) को यह सुनिश्चित करने के लिए कैप्चर किया जाए कि ग्राहक शारीरिक रूप से भारत में मौजूद है।
iv. आरई के अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि आधार / पैन विवरण में दी गई ग्राहक की तस्वीर वी-सीआईपी कराने वाले ग्राहक के साथ मेल खाती हो और आधार / पैन में पहचान के विवरण ग्राहक द्वारा उपलब्ध कराए गए विवरण से मेल खाते हैं।
v. आरई के अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि वीडियो इंटरएक्शन के दौरान प्रश्नों के क्रम और / या प्रकार में विविधता हो, ताकि यह निश्चित हो जाए कि इंटरएक्शन वास्तविक समय में हैं और पूर्व रिकॉर्ड नहीं किए गए हैं।
vi. एक्सएमएल फ़ाइल या आधार-सुरक्षित क्यूआर कोड का उपयोग कर आधार के ऑफ़लाइन सत्यापन के मामले में, यह भी सुनिश्चित किया जाए कि एक्सएमएल फ़ाइल या क्यूआर कोड जेनरेशन की तारीख वी-सीआईपी किए जाने की तारीख से 3 दिन से अधिक पुरानी नहीं है।
vii. वी-सीआईपी द्वारा खोले गए सभी खातों को समवर्ती लेखा परीक्षा के बाद ही शुरू किया जाएगा, ताकि इस प्रक्रिया की सत्यनिष्ठा सुनिश्चित की जा सके।
viii. आरई यह सुनिश्चित करेंगे कि यह यह प्रक्रिया ग्राहक के साथ अबाधित, वास्तविक समय में, सुरक्षित, एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड दृश्य-श्रव्य इंटरएक्शन है और संचार की गुणवत्ता निस्संदेह ग्राहक की पहचान करने के लिए पर्याप्त है। आरई स्पूफिंग और ऐसी अन्य धोखाधड़ियों से बचाव के लिए लाइवलीनेस की जांच करेंगे।
ix. सुरक्षा, सुदृढ़ता और एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन सुनिश्चित करने के लिए, आरई वी-सीआईपी एप्लिकेशन शुरू करने से पहले सॉफ़्टवेयर और सुरक्षा ऑडिट तथा उसका प्रमाणीकरण करेंगे।
x. दृश्य-श्रव्य इंटरएक्शन आरई के डोमेन से ही शुरू किया जाएगा, न कि तीसरे पक्ष के सेवा प्रदाता से, यदि कोई हो। वी-सीआईपी प्रक्रिया विशेष रूप से इस उद्देश्य के लिए प्रशिक्षित अधिकारियों द्वारा संचालित की जाएगी। वी-सीआईपी करने वाले अधिकारी के विवरण के साथ-साथ गतिविधि लॉग संरक्षित रखा जाएगा।
xi. आरई यह सुनिश्चित करेंगे कि वीडियो रिकॉर्डिंग सुरक्षित तरीके से रखी गई है और उसपर दिनांक और समय की मुहर लगी हुई है।
xii. आरई को नवीनतम उपलब्ध तकनीक की सहायता लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और चेहरा मिलान करने की तकनीकें शामिल हैं, ताकि प्रक्रिया के साथ-साथ ग्राहक द्वारा दी गई सूचना की सत्यनिष्ठा सुनिश्चित हो सके। तथापि, ग्राहक पहचान की जिम्मेदारी आरई की होगी।
xiii. आरई, धारा 16 के संदर्भ में, आधार संख्या को रेडेक्ट या काला करना सुनिश्चित करेंगे।
xiv. बीसी केवल ग्राहक की ओर से प्रक्रिया को सुविधाजनक बना सकते हैं और जैसा कि पहले ही ऊपर पैरा आ(ख) में कहा गया है, वी-सीआईपी इंटरएक्शन के दूसरे छोर पर निश्चित रूप से बैंक के अधिकारी ही होने चाहिए। जहां बीसी की सेवाओं का उपयोग किया जाता है, बैंक ग्राहक की सहायता करने वाले बीसी के विवरण रखेंगे। ग्राहक उचित सावधानी की अंतिम जिम्मेदारी बैंक की होगी।
19. 23हटाया गया
20. 24हटाया गया
21. 25हटाया गया
22. हटाया गया
23. 26धारा 16 में निहित होने के बावजूद और उसके विकल्प के रूप में , यदि कोई व्यक्ति खाता खोलना चाहता है, तो बैंक ‘लघु खाता’ खोल सकता है, जो निम्नलिखित सीमाओं को पूरा करता है:
i. एक वित्तीय वर्ष में सभी जमाओं का कुल एक लाख रुपये से अधिक नहीं है;
ii. एक महीने में सभी आहरण और अंतरणों का कुल मिलाकर रुपये दस हजार से अधिक नहीं होता है; तथा
iii. किसी भी समय शेष राशि पचास हजार रुपये से अधिक नहीं है।
27बशर्ते, सरकारी अनुदान, कल्याणकारी लाभ और खरीद के लिए भुगतान के माध्यम से जमा करते समय शेष राशि की इस सीमा पर विचार नहीं किया जाएगा।
इसके अलावा, लघु खाते निम्नलिखित शर्तों के अधीन हैं:
(क) बैंक ग्राहक से स्व-प्रमाणित फोटोग्राफ की एक प्रति प्राप्त करें।
(ख) बैंक का पदनामित अधिकारी अपने हस्ताक्षर के तहत यह प्रमाणित करेगा कि उसकी उपस्थिति में खाता खोलने वाले व्यक्ति ने अपने हस्ताक्षर अथवा अंगूठे का निशान लगाया है।
28बशर्ते कि जहां कोई व्यक्ति जेल में बंदी है, वहां जेल के भारसाधक अधिकारी की उपस्थिति में हस्ताक्षर और अंगूठे का निशान लगाया जाएगा और उक्त अधिकारी अपने हस्ताक्षर से उसे प्रमाणित करेगा और खाता, जेल के भारसाधक अधिकारी द्वारा जारी पते के सबूत के प्रमाणपत्र के वार्षिक प्रस्तुतिकरण पर प्रवर्तनशील हो जाएगा।
(ग) ऐसे खाते केवल कोर बैंकिंग सोल्यूशन (सीबीएस) से जुड़ी शाखाओं अथवा ऐसी शाखाओं में खोले जा सकते हैं जहां मैनुवली निगरानी रखना संभव हो तथा यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसे खाते में विदेशी विप्रेषण जमा नहीं किया जाता है।
(घ) बैंक यह सुनिश्चित करें कि लेनदेन संबंधी विनिर्दिष्ट सकल राशि और शेष राशि के लिए निर्धारित मासिक और वार्षिक सीमा का उल्लंघन लेनदेन होने पर न घटित हो।
(ङ) प्रारंभ में बारह महीनों की अवधि के लिए खाता परिचालन में रहेगा, जिसे आगे बारह महीनों की अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता है, बशर्ते कि खाता धारक उक्त खाता खोलने के पहले बारह महीनों के दौरान किसी भी ओवीडी के लिए आवेदन करने के साक्ष्य प्रस्तुत किया हो।
(च) संपूर्ण छूट प्रावधानों की समीक्षा चौबीस महीने बाद की जाएगी।
(छ) 29उक्त खंड (ई) और (एफ़) में किसी बात के होते हुए भी, लघु खाता 1 अप्रैल 2020 से 30 जून 2020 के बीच और ऐसी अन्य अवधियां, जो केंद्रीय सरकार द्वारा अधिसूचित की जाए, प्रचलित रहेगा।
(ज) खाते की निगरानी की जाएगी और जब धन- शोधन या आतंकवाद गतिविधियों के वित्त पोषण या अन्य उच्च जोखिम परिदृश्यों का संदेह होता है, तो ग्राहक की पहचान धारा 16 के अनुसार स्थापित की जाएगी।
(झ) विदेशी धन-प्रेषण को खाते में जमा करने की अनुमति तब तक नहीं दी जाएगी जब तक कि ग्राहक की पहचान धारा 16 के अनुसार नहीं कर ली जाती।
24. 30गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा खाता खोलने के लिए सरलीकृत क्रियाविधि: यदि कोई व्यक्ति धारा 16 में निर्दिष्ट दस्तावेज़ प्रस्तुत करने में सक्षम न हो, तो गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां अपने विवेकानुसार निम्नलिखित शर्तों पर खाता खोल सकती हैं:
(क) एनबीएफसी ग्राहक से एक स्व-प्रमाणित तस्वीर प्राप्त करेगा।
(ख) एनबीएफसी के नामित अधिकारी अपने हस्ताक्षर के द्वारा प्रमाणित करेंगे कि खाता खोलने वाले व्यक्ति ने अपनी उपस्थिति में अपने हस्ताक्षर किया है या अंगूठे की छाप दी है।
(ग) खाता शुरुआत में बारह महीनों की अवधि के लिए परिचालित रहेगा, जिसके अंतर्गत धारा 16 के तहत उल्लिखित सीडीडी करना होगा।
(घ) सभी खातों में कुल मिलाकर शेष राशि किसी भी समय पचास हजार रुपए से अधिक नहीं होगी।
(ङ) सभी खातों में कुल जमा एक वर्ष में एक लाख रुपए से अधिक नहीं होगी।
(च) ग्राहक को जागरुक किया जाए कि यदि निर्देश (घ) और (ङ) का उनके द्वारा उल्लंघन किया जाएगा तो संपूर्ण केवाईसी क्रियाविधि पूरी होने तक उन्हें आगे के लेनदेन के लिए अनुमति नहीं दी जाएगी।
(छ) ग्राहक को यह सूचित किया जाए कि जब शेष राशि चालीस हजार रुपये तक पहुंच जाएगी अथवा जमा एक वर्ष में अस्सी हजार रूपये तक पहुंच जाएगी तब केवाईसी प्रक्रिया पूरी करने के लिए उचित दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे अन्यथा सभी खातों की कुल मिलाकर संपूर्ण शेष राशि उक्त निर्देश (घ) और (ङ) में निर्धारित सीमा को पार करते ही लेनदेन रोक दिए जाएंगे।
25. 31हटाया गया
26. 32किसी भी विनियमित संस्था की एक शाखा/ कार्यालय द्वारा एक बार किया गया केवाईसी सत्यापन उसी विनियमित संस्था की किसी अन्य शाखा/ कार्यालय में खाता अंतरित करने के लिए वैध होगा, बशर्ते कि संबंधित खाते के लिए संपूर्ण केवासी सत्यापन पहले ही किया गया हो और वह आवधिक अपडेशन के लिए नियत न हो ।
भाग II - एकल स्वामित्ववाली फर्मों के लिए सीडीडी उपाय
27. 33एकल स्वामित्ववाली फर्मों के नाम पर खाता खोलने के लिए व्यक्ति (मालिक) के संदर्भ में पहचान की सूचना प्राप्त कर ली जाए।
28. 34उपर्युक्त के अलावा, स्वामित्ववाली फर्म के नाम कारोबार/ गतिविधि के प्रमाण के रूप में निम्नलिखित दस्तावेजों में से कोई भी दो दस्तावेज या उनके समतुल्य ई- दस्तावेज़ प्राप्त कर लिए जाएं:
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पंजीकरण प्रमाणपत्र
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दुकान और संस्थापना अधिनियम के तहत म्युनिसिपल प्राधिकारियों द्वारा जारी
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बिक्री और आयकर विवरणियां
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35सीएसटी/ वैट/ जीएसटी प्रमाणपत्र (अस्थाई/ अंतिम)।
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बिक्री कर/ सेवा कर/ व्यवसाय कर प्राधिकरण द्वारा जारी किया गया प्रमाणपत्र/ पंजीकरण।
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डीजीएफ़टी कार्यालय द्वारा स्वामित्ववाली संस्था के नाम जारी आईईसी या संविधि के तहत निगमित किसी व्यावसायिक निकाय द्वारा स्वामित्ववाली संस्था के नाम व्यवसाय करने के लिए जारी लाइसेंस/ प्रमाणपत्र।
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एकल स्वामी के नाम आयकर प्राधिकरण द्वारा विधिवत प्रमाणित/ स्वीकृत संपूर्ण आयकर विवरणी (केवल प्राप्ति-सूचना नहीं), जिसमें फर्म की आय दर्शाई गई हो।
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उपयोगिता बिल जैसे बिजली, पानी और लैंडलाइन टेलीफोन बिल आदि।
29. ऐसे मामलों में जहां विनियमित संस्था इस बात से संतुष्ट हो कि ऐसे दो दस्तावेज प्रस्तुत करना संभव न हो, कारोबार/ गतिविधि के प्रमाण के रूप में उन दस्तावेजों में से विनियमित संस्था अपने विवेकानुसार केवल एक स्वीकार कर सकती है।
बशर्ते कि, विनियमित संस्था संपर्की का सत्यापन करे और ऐसी अन्य जानकारी तथा स्प्ष्टीकरण जो ऐसी फर्म के अस्तित्व को प्रमाणित करने के लिए आवश्यक हो, इकठ्ठी करे और स्वयं की इस बात के लिए पुष्टि करे और अपनी संतुष्टि कर ले कि स्वामित्ववाली संस्था के पते से कारोबार की गतिविधियों को सत्यापित किया गया है।
भाग III – विधिक संस्थाओं के लिए सीडीडी उपाय
30. 36किसी कंपनी का खाता खोलने के लिए निम्नलिखित दस्तावेजों में से प्रत्येक की प्रमाणित प्रति या उनके समतुल्य ई- दस्तावेज़ प्राप्त किए जाएंगे:
(क) निगमीकरण/ गठन का प्रमाणपत्र।
(ख) संस्था के अंतर्नियम और बहिर्नियम।
(ग) 37कंपनी का पैन
(घ) निदेशक मंडल का इस आशय का संकल्प और अपने प्रबंधकों, अधिकारियों अथवा कर्मचारियों को संस्था की ओर से लेनदेन करने के लिए दिया गया मुख्तारनामा हो।
(ङ) 38संस्था की ओर से लेनदेन करने के लिए मुख्तारनामा प्राप्त हिताधिकारी स्वामी, प्रबंधकों, अधिकारियों अथवा कर्मचारियों के संबंध में धारा 16 में उल्लिखित अनुसार दस्तावेज़।
31. 39भागीदारी फर्म के लिए खाता खोलने हेतु निम्नलिखित दस्तावेजों में से प्रत्येक की प्रमाणित प्रति या उनके समतुल्य ई- दस्तावेज़ प्राप्त कर लिए जाए:
(क) पंजीकरण प्रमाणपत्र।
(ख) भागीदारी विलेख।
(ग) 40भागीदारी फर्म का पीएएन
(घ) 41उसकी ओर से लेनदेन करने के लिए मुख्तारनामा धारण करने वाले हिताधिकारी स्वामी, प्रबंधकों, अधिकारियों अथवा कर्मचारियों, जैसा भी मामला हो, के संबंध में अनुच्छेद 16 में उल्लिखित अनुसार दस्तावेज़
32. 42किसी न्यास का खाता खोलने के लिए निम्नलिखित में से प्रत्येक की प्रमाणित प्रति या उनके समतुल्य ई- दस्तावेज़ प्राप्त कर लिए जाए।
(क) पंजीकरण प्रमाणपत्र।
(ख) न्यास विलेख।
(ग) 43न्यास का पीएएन या फार्म 60
(घ) 44हिताधिकारी स्वामी, प्रबंधकों, अधिकारियों अथवा कर्मचारियों, जैसा भी मामला हो, जो ग्राहक की ओर से लेनदेन करने हेतु मुख्तारनामा धारण करता हो, के संबंध में अनुच्छेद 16 में उल्लिखित अनुसार पहचान दस्तावेज़
33.क 45अनिगमित संघ या व्यक्तियों के निकाय का खाता खोलने के लिए निम्नलिखित दस्तावेजों में से प्रत्येक की प्रमाणित प्रति या उनके समतुल्य ई- दस्तावेज़ प्राप्त किए जाए:
(क) ऐसे अनिगमित संघ या व्यक्तियों के निकाय के प्रबंधन का संकल्प;
(ख) 46अनिगमित संघ या व्यक्तियों के निकाय का पीएएन या फार्म 60
(ग) उसकी ओर से लेनदेन करने के लिए प्रदत्त मुख्तारनामा;
(घ) 47हिताधिकारी स्वामी, प्रबंधकों, अधिकारियों अथवा कर्मचारियों, जैसा भी मामला हो, जो ग्राहक की ओर से लेनदेन करने हेतु मुख्तारनामा धारण करता हो के संबंध में धारा 16 में उल्लिखित दस्तावेज़,; और
(ङ) ऐसी सूचना जो ऐसे अनिगमित संघ या व्यक्तियों के निकाय के विधिक अस्तित्व को सिद्ध करने के लिए समग्र रूप से विनियमित संस्था (आरई) द्वारा अपेक्षित हो।
स्पष्टीकरण: अपंजीकृत न्यास/ भागीदारी फर्मों को ‘’अनिगमित संघ’’ के दायरे में शामिल किया जाएगा।
स्पष्टीकरण: शब्द 'व्यक्तियों का निकाय' में सोसाइटी शामिल हैं।
33.ख 48पूर्ववर्ती भाग में विशिष्टतः कवर नहीं किए गए न्यायिक व्यक्तियों, जैसे कि सोसायटी, विश्वविद्यालयों और ग्राम पंचायत जैसे स्थानीय निकायों के खाते खोलने के लिए, निम्नलिखित दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियां प्राप्त की जाएंगी:
(क) संस्था की ओर से कार्य करने के लिए प्राधिकृत व्यक्ति का नाम दर्शाने वाले दस्तावेज;
(ख) उसकी ओर से लेन-देन करने के मुख्तारनामा धारक व्यक्ति के संबंध में पहचान और पते के प्रमाण के लिए धारा 16 के अधीन निर्धारित दस्तावेज़
(ग) ऐसे दस्तावेज जो ऐसी किसी संस्था/ न्यायिक व्यक्ति का विधिक अस्तित्व स्थापित करने के लिए विनियमित संस्था द्वारा अपेक्षित हो सकते हैं।
भाग – IV हिताधिकारी स्वामी की पहचान
34. विधिक संस्था, जो कि प्राकृतिक व्यक्ति नहीं है, का खाता खोलने के लिए हिताधिकारी स्वामी की पहचान करनी चाहिए और उक्त नियम 9 के उप नियम (3) के अनुसार उसकी पहचान का सत्यापन करने के लिए, नीचे दिये गए दिशा-निर्देशों के अनुसार, सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं:
(क) जहां नियंत्रक हिताधिकारी ग्राहक या स्वामी स्टाक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कोई कंपनी या ऐसी कंपनी की समनुषंगी है वहां ऐसी कंपनियों के किसी शेयर धारक या लाभार्थी स्वामी की पहचान करना और पहचान को सत्यापित करना आवश्यक नहीं है।
(ख) न्यास/ नामिती या प्रत्ययी खातों के मामलों में यह निर्धारित किया जाए कि क्या ग्राहक किसी अन्य की ओर से न्यासी/ नामिती अथवा किसी अन्य मध्यवर्ती के रूप में कार्य कर रहा है। ऐसे मामलों में, मध्यवर्तियों अथवा जिनकी ओर से वे काम कर रहे हैं, ऐसे व्यक्तियों की पहचान का संतोषजनक साक्ष्य तथा न्यास के स्वरूप तथा अन्य व्यवस्थाओं के ब्यौरे भी प्राप्त करने चाहिए।
भाग – V सतत समुचित सावधानी
35. विनियमित संस्था (आरई) को ग्राहकों के संबंध में सतत समुचित सावधानी बरतनी चाहिए ताकि वे यह सुनिश्चित कर सकें कि उनके (ग्राहकों के) लेनदेन, ग्राहकों के कारोबार और जोखिम प्रोफाइल; तथा निधियों के स्रोतों के संबंध में उसकी जानकारी के अनुरूप हैं।
36. सघन निगरानी के लिए आवश्यक तथ्यों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना निम्न प्रकार के लेनदेनों की अवश्य निगरानी की जानी चाहिए:
-
आरटीजीएस सहित बड़े और जटिल लेनदेन जो असामान्य रूप के हैं, संबंधित ग्राहक की सामान्य और अपेक्षित गतिविधि के अनुरूप नहीं हैं और जिनका कोई सुस्पष्ट आर्थिक अथवा वैध (औचित्यपूर्ण) प्रयोजन न हो।
-
किसी विशिष्ट श्रेणी के खातों के लिए निर्धारित (सचेतक) न्यूनतम सीमाओं को लांघने वाले लेनदेन।
-
रखी गयी शेष राशि की मात्रा के अननुरूप बहुत बड़े लेनदेन।
-
विद्यमान और नए खुले खातों में जमा हुए थर्ड पार्टी चेक, ड्राफ्ट आदि के बाद बड़ी राशियों की निकासी।
37. निगरानी किस सीमा तक होगी यह ग्राहक के जोखिम वर्गीकरण पर निर्भर होगा।
स्पष्टीकरण: उच्च जोखिम वाले खातों की सघन निगरानी की जानी चाहिए।
(क) खातों के जोखिम वर्गीकरण की आवधिक समीक्षा जो छह महीने में कम से कम एक बार करनी चाहिए की एक प्रणाली जो कि छह महीने में कम से कम एक बार की जाए और इस संबंध में संवर्धित समुचित सावधानी के और अधिक उपाय लागू करने के लिए एक प्रणाली स्थापित करें की भी आवश्यकता होगी।
(ख) मार्केटिंग कंपनियों, विशेषकर बहु-स्तरीय मार्केटिंग कंपनियों (एमएलएम), के खातों पर सघन निगरानी करनी चाहिए।
स्पष्टीकरण: ऐसे मामलों में जहां कंपनी द्वारा बड़ी संख्या में चेक बुकों की मांग की गई हो, एक ही बैंक खाते में देश भर में बहुत सारी छोटी-छोटी जमाराशियां जमा की गयी हों (सामान्यतः नकद रूप में) और जहां बड़ी संख्या में एक समान राशियों/तिथियों के चेक जारी किए जाते हों तो ऐसे मामले को रिजर्व बैंक और अन्य उचित प्राधिकारियों जैसे कि एफ़आईयू-आईएनडी को तत्काल रिपोर्ट किया जाना चाहिए।
38. आवधिक अद्यतनीकरण
उच्च जोखिम वाले ग्राहकों के लिए कम-से-कम प्रत्येक दो वर्षों में, मध्यम जोखिम वाले ग्राहकों के लिए प्रत्येक आठ वर्ष में तथा कम जोखिम वाले ग्राहकों के लिए प्रत्येक दस वर्षों में केवाईसी की पूरी प्रक्रिया निम्नानुसार दुहराई जानी चाहिए:
(क) विनियामक संस्था से यह अपेक्षित है कि
i. सीडीडी, धारा 16 में निर्धारित अनुसार आवधिक अद्यतन के समय पहचान और पते वाले ओवीडी की प्रमाणित प्रति प्राप्त किया जाएगा। कम जोखिम वाले ग्राहकों के मामले में जब उनकी पहचान और पते के संबंध में स्थिति में कोई बदलाव नहीं होता है, तो उसके लिए एक स्व-प्रमाणीकरण प्राप्त किया जाएगा।
ii. कानूनी संस्थाओं के मामले में, आरई खाता खोलने के समय मांगे गए दस्तावेजों की समीक्षा करेगा और ताजा प्रमाणित प्रतियां प्राप्त करेगा ।
49बशर्ते कि, आरई यह सुनिश्चित करेंगे कि मास्टर निदेश की मौजूदा अपेक्षाओं के अनुसार केवाईसी दस्तावेज़ उनके पास उपलब्ध हैं।
(ख) जब तक कि इस बात का पर्याप्त कारण नहीं हैं कि खाता धारक/ धारकों की भौतिक उपस्थिति सत्यता को जांचने के लिए आवश्यक है, आरई ओवीडी प्रस्तुत करने के उद्देश्य से ग्राहक की भौतिक उपस्थिति या आधार प्रमाणीकरण/ ऑफ लाइन सत्यापन के लिए ज़ोर नहीं दे सकता है। आम तौर पर, मेल/ पोस्ट इत्यादि के माध्यम से ग्राहक द्वारा अग्रेषित ओवीडी/ सहमति स्वीकार्य होगी।
(ग) आरई केवाईसी अद्यतन करने की तारीख के साथ पावती प्रदान करना सुनिश्चित करेगा।
(घ) ऊपर विनर्दिष्ट समय-सीमा, खाता खोलने की तिथि/पिछले केवाईसी के सत्यापन से लागू होगी।
39. 50मौजूदा ग्राहकों के मामले में, आरई ऐसी तिथि जिसे केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया है तक स्थायी खाता संख्या या उनके समतुल्य ई- दस्तावेज़ या फॉर्म नंबर 60 प्राप्त करेंगे, जिसमें असफल रहने पर आरई अस्थायी रूप से खाते में परिचालन बंद कर देंगे जब तक कि ग्राहक द्वारा स्थायी खाता संख्या या उनके समतुल्य ई- दस्तावेज़ या फॉर्म 60 प्रस्तुत नहीं किया जाता है।
बशर्ते कि किसी खाते के लिए अस्थायी रूप से परिचालन बंद करने से पहले, आरई ग्राहक को एक सुगम सूचना और सुनवाई का उचित अवसर देगा। इसके अलावा, आरई अपनी आंतरिक नीति में, उन ग्राहकों के लिए खातों के निरंतर संचालन के लिए उचित छूट (ओं) को शामिल करेगा जो वृद्धावस्था के कारण, चोट, बीमारी या अन्यथा इसी जैसे अन्य कारण से दुर्बलता के कारण स्थायी खाता संख्या या या उनके समतुल्य ई- दस्तावेज़ प्रपत्र संख्या 60 प्रदान करने में असमर्थ हैं, हालांकि, ऐसे खाते बढ़ाए गए निगरानी के अधीन होंगे।
आगे बताया गया है कि यदि आरई के साथ एक मौजूदा खाता-आधारित संबंध रखने वाला ग्राहक आरई को लिखित रूप में देता है कि वह अपना स्थायी खाता संख्या या फॉर्म नंबर 60 जमा नहीं करना चाहता है, तो आरई खाते को बंद कर देगा और इस संबंध में ग्राहक के लिए लागू दस्तावेजों की पहचान करके ग्राहक की पहचान स्थापित करने के बाद खाते को उचित रूप से निपटाया जाएगा।
स्पष्टीकरण - इस खंड के प्रयोजन के लिए, किसी खाते के संबंध में "परिचालन के अस्थायी रूप से जारी" का अर्थ होगा कि उस खाते के संबंध में आरई द्वारा उस समय तक सभी लेनदेन या गतिविधियों का अस्थायी निलंबन, जब तक कि ग्राहक इस धारा के प्रावधानों का अनुपालन नहीं करता है। खाते में संचालन को रोकने के उद्देश्य से ऋण खातों जैसे परिसंपत्ति खातों के मामले में, केवल क्रेडिट की अनुमति होगी।
भाग VI – संवर्धित और सरलीकृत समुचित सावधानी प्रक्रिया
क. संवर्धित समुचित सावधानी
40 51अप्रत्यक्ष ग्राहकों के खाते (आधार ओटीपी आधारित ऑन-बोर्डिंग के अतिरिक्त):
अप्रत्यक्ष ग्राहकों के लिए संवर्धित समुचित सावधानी में किसी दूसरी विनियमित संस्था (आरई) के केवाईसी अनुपालित खाते के माध्यम से पहला भुगतान।
41. राजनैतिक रूप से जोखिम वाले व्यक्तियों के खाते (पीईपी)
ए. विनियमित संस्था (आरई) को राजनैतिक रूप से एक्सपोज्ड व्यक्तियों के साथ कारोबारी संबंध रखने का विकल्प होगा, बशर्ते कि:
(क) राजनैतिक रूप से जोखिम वाले व्यक्तियों के संबंध में उनके परिवार के सदस्यों और नजदीकी संबंधियों के खातों, निधिक स्रोतों की जानकारी सहित पर्याप्त सूचना एकत्रित करनी चाहिए;
(ख) राजनैतिक रूप से जोखिम वाले व्यक्तियों को ग्राहक के रूप में स्वीकार करने से पूर्व उस व्यक्ति की पहचान का सत्यापन किया जाना चाहिए;
(ग) पीईपी का खाता खोलने का निर्णय विनियमित संस्था (आरई) की ग्राहक स्वीकरण नीति के अनुसार वरिष्ठ स्तर पर किया जाना चाहिए;
(घ) ऐसे सभी खातों की सतत आधार पर बढ़ी हुई निगरानी की जानी चाहिए;
(ङ) किसी विद्यमान खाते का लाभार्थी स्वामी अथवा विद्यमान ग्राहक जो बाद में पीईपी हो जाता है तो उक्त ग्राहक के साथ व्यावसायिक संबंध जारी रखने के लिए वरिष्ठ प्रबंध तंत्र का अनुमोदन प्राप्त करना चाहिए;
(च) पीईपी पर सीडीडी उपायों के साथ सतत आधार पर बढे हुए निगरानी उपाय लागू होंगे।
बी. ये अनुदेश उन खातों पर भी लागू होते हैं जहां कोई पीईपी हिताधिकारी स्वामी
42. व्यावसायिक मध्यवर्तियों द्वारा खोले गए ग्राहकों के खाते:
व्यावसायिक मध्यवर्तियों के जरिए ग्राहकों के खाते खुलवाते समय विनियमित संस्था द्वारा निम्नलिखित बातें सुनिश्चित की जानी चाहिए, कि:
-
व्यावसायिक मध्यवर्ती द्वारा खोला गया ग्राहक खाता किसी एकल ग्राहक के लिए होने पर उस ग्राहक की पहचान कर ली जानी चाहिए।
-
म्यूच्युअल निधियों, पेन्शन निधियों अथवा अन्य प्रकार की निधियों जैसी संस्थाओं की ओर से व्यावसायिक मध्यवर्तियों द्वारा प्रबंधित 'सामूहिक' खाते को रखने का विकल्प विनियमित संस्था के पास होगा।
-
विनियमित संस्था (आरई) को ऐसे व्यावसायिक मध्यवर्तियों के खाते नहीं खोलने चाहिए जो ग्राहक गोपनीयता की किसी व्यावसायिक बाध्यता के कारण ग्राहक के ब्योरे प्रकट नहीं कर सकते हैं।
-
ऐसे सभी हिताधिकारी स्वामियों की पहचान की जाएगी जहां मध्यवर्तियों द्वारा धारित निधियां विनियामक संस्था के स्तर पर मिश्रित नहीं की जाती हैं और जहां 'उप खाते' हैं जिनमें से प्रत्येक किसी हिताधिकारी स्वामी का है अथवा जहां ऐसी निधियाँ विनियामक स्तर पर मिश्रित की जाती हैं, विनियामक संस्था ऐसे हिताधिकारी स्वामियों की पहचान करेगी।
-
विनियमित संस्था (आरई) अपने स्वविवेक पर किसी मध्यवर्ती द्वारा की गयी `ग्राहक संबंधी समुचित सावधानी' (सीडीडी) पर भरोसा कर सकते हैं बशर्ते वह मध्यवर्ती विनियमित तथा पर्यवेक्षित संस्था हो और उसके पास ग्राहकों के “अपने ग्राहक को जानिए'' अपेक्षाओं का अनुपालन करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था/प्रणाली हो।
-
ग्राहक को जानने का अंतिम दायित्व विनियमित संस्था (आरई) का है।
बी. सरलीकृत समुचित सावधानी
43. 52स्वयं सेवा समूहों (एसएचजी) के लिए सरलीकृत मानदंड
-
एसएचजी का बचत बैंक खाता खोलते समय एसएचजी के सभी सदस्यों का सीडीडी करना आवश्यक नहीं है।
-
सभी पदधारियों का सीडीडी करना पर्याप्त होगा।
-
मास्टर निदेश के अनुच्छेद 16 में उल्लिखित सीडीडी प्रणाली के अनुसार एसएचजी का क्रेडिट लिंकिंग करते समय सदस्यों या पदधारियों का अलग से सीडीडी करने की जरूरत नहीं है।
44. विदेशी विद्यार्थियों के खाते खोलते समय बैंकों को निम्नलिखित प्रक्रिया अपनानी चाहिए:
(क) बैंक विदेशी विद्यार्थी का अनिवासी साधारण (एनआरओ) बैंक खाता उसके पासपोर्ट (वीजा और आप्रवासन पृष्ठांकन सहित) के आधार पर खोल सकते हैं जिसमें उसके गृह राष्ट्र में उसकी पहचान तथा पते का प्रमाण दर्ज हो तथा उसके साथ एक फोटो और भारत में शैक्षणिक संस्थान द्वारा प्रवेश दिए जाने संबंधी पत्र होना चाहिए।
i. बशर्ते खाता खोलने से 30 दिनों की अवधि के भीतर स्थानीय पते के संबंध में घोषणा लेनी चाहिए और दिए गए पते की जांच करनी चाहिए।
ii. 30 दिनों की अवधि के दौरान खाता इस शर्त के अधीन परिचालित किया जाना चाहिए कि पते की जांच हो जाने तक खाते से 1,000 अमेरिकी डालर या उसकी समतुल्य राशि से अधिक के विदेशी विप्रेषण की अनुमति नहीं होगी तथा 50,000/- रुपए की अधिकतम सीमा होगी ।
(ख) खाते को सामान्य एनआरओ खाते के रूप में माना जाएगा और उसका परिचालन अनिवासी साधारण रुपया (एनआरओ) खाता संबंधी भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुदेशों तथा विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के प्रावधानों के अनुसार होगा।
(ग) पाकिस्तान की राष्ट्रीयता वाले छात्र का खाता खोलने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक से पूर्वानुमति लेनी होगी।
45. विदेशी संविभाग निवेशकों (एफपीआई) के लिए सरलीकृत केवाईसी मानदंड
संविभाग निवेश योजना (पीआईएस) के अंतर्गत निवेश करने के प्रयोजन हेतु एफपीआई के वे खाते जो सेबी के दिशा-निर्देशों के अनुसार पात्र/पंजीकृत हैं, के खाते अनुबंध– III में दिए गए ब्यौरे के अनुसार केवाईसी दस्तावेज़ों को स्वीकार करके और आयकर नियमों (एफएटीसीए/सीआरएस) के तहत खोले जा सकते हैं।
बशर्ते कि बैंक एफपीआई से या एफपीआई की ओर से कार्य कर रहे वैश्विक अभिरक्षक से इस आशय की घोषणा प्राप्त करें कि जब कभी आवश्यकता होगी तो अनुबंध–III में दिए गए ब्यौरे के अनुसार छूट प्राप्त दस्तावेज वे प्रस्तुत करेंगे।
अध्याय VII
अभिलेख प्रबंधन
46. पीएमएल अधिनियम और नियम के अनुसार विनियमित संस्था (आरई) को ग्राहक खाता संबंधी सूचना के रखरखाव, परिरक्षण और रिपोर्टिंग के लिए निम्नलिखित कदम उठाने होंगे:
(क) ग्राहक और विनियमित संस्था (आरई) के बीच घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों लेनदेनों के लिए सभी आवश्यक रिकार्ड संबंधित लेनदेन की तारीख से कम से कम पांच वर्षों तक अनुरक्षित किए जाएंगे।
(ख) ग्राहक का खाता खोलने के समय तथा कारोबारी संबंध बने रहने के दौरान उसकी पहचान और पते के संबंध में प्राप्त अभिलेख कारोबारी संबंध के समाप्त हो जाने के बाद कम से कम पांच वर्ष तक उचित रूप में सुरक्षित रखे जाएं।
(ग) सक्षम प्राधिकारियों द्वारा अनुरोध किए जाने पर पहचान के रिकार्ड और लेनदेन के आँकड़े उन्हें उपलब्ध कराए जाएं।
(घ) धनशोधन निवारण (रिकॉर्ड का रखरखाव) नियमावली, 2005 के नियम 3 के अनुसार लेनदेनों का रिकॉर्ड उचित प्रकार से रखने हेतु एक प्रणाली की शुरुआत करनी चाहिए।
(ङ) धनशोधन निवारण (पीएमएल) नियम 3 में निर्धारित लेनदेनों के संबंध में सभी आवश्यक सूचनाएं रखें ताकि निम्नलिखित सहित किसी एकल लेनदेन की पुनर्रचना की जा सके:
-
लेनदेनों का स्वरूप;
-
लेनदेन की राशि और वह मुद्रा जिसमें उसे मूल्यवर्गीकृत किया गया;
-
वह तारीख जिस दिन वह लेनदेन किया गया; तथा
-
लेनदेन के पक्षकार।
(च) खाता संबंधी सूचना रखने और उसके परिरक्षण के लिए एक ऐसी प्रणाली विकसित करें ताकि आवश्यकता पड़ने पर या सक्षम प्राधिकारियों द्वारा आंकड़ों के लिए अनुरोध किए जाने पर आसानी से और तुरंत उन्हें प्राप्त किया जा सकें।
(छ) अपने ग्राहकों की पहचान और पते संबंधी अभिलेख और नियम 3 में उल्लिखित लेनदेनों से संबंधित अभिलेखों को हार्ड या सॉफ्ट फॉर्मेट में रखा जाए।
अध्याय VIII
वित्तीय आसूचना इकाई – (एफ़आईयू आईएनडी) को रिपोर्टिंग की अपेक्षाएँ
47. विनियमित संस्थाओं (आरई) द्वारा पीएमएल (अभिलेखों का रखरखाव) नियमावली, 2005 के नियम 7 के अनुसार नियम 3 में संदर्भित सूचना निदेशक, वित्तीय आसूचना एकक –भारत (एफ़आईयू आईएनडी) को प्रस्तुत की जाएगी।
स्पष्टीकरण: नियम 7 के उप-नियम 3 और 4 के संशोधन के संबंध में 22 सितंबर 2015 को अधिसूचित तीसरी संशोधन नियमावली के अनुसार निदेशक, वित्तीय आसूचना एकक – भारत को नियम 3 के उप नियम(1) के विभिन्न अनुच्छेदों में संदर्भित लेनदेनों का पता लगाने के लिए विनियमित संस्थाओं को दिशानिर्देश जारी करने, सूचना के प्रकार के संबंध में उन्हें निदेश देने और सूचना की प्रस्तुति एवं प्रक्रिया निर्धारित करने के संबंध में दिशानिर्देश जारी करने का अधिकार होगा।
48. वित्तीय आसूचना एकक द्वारा रिपोर्टिंग फॉर्मेट तथा विस्तृत फॉर्मेट गाइड निर्धारित/ जारी की गई है। एफआईयू - आईएनडी ने रिपोर्ट करने वाली संस्थाओं को निर्धारित रिपोर्टें तैयार करने हेतु सहायता प्रदान करने के लिए रिपोर्ट जेनेरेशन यूटिलिटी तथा रिपोर्ट वैलिडेशन यूटिलिटी विकसित की है जिसे ध्यान में रखा जाए। नकद लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर)/ संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) को इलेक्ट्रोनिक रूप से फाइल करने के लिए वित्तीय आसूचना एकक ने अपनी वेबसाइट पर एडिटेबल इलैक्ट्रॉनिक यूटिलिटिज डाली है जिसका उपयोग ऐसी वित्तीय संस्थाओं द्वारा उपयोग किया जा सकता है जो अपने लेनदेन के सामान्य आँकड़ों से सीटीआर/एसटीआर बनाने के लिऐ उपयुक्त प्रौद्योगिकी टूल स्थापित नहीं कर पाए हैं। जिन विनियमित संस्थाओं की सभी शाखाएं अभी तक पूर्णत: कंप्यूटरीकृत नहीं हुई हैं, ऐसी संस्थाओं के मुख्य अधिकारियों के पास ऐसी शाखाओं से लेनदेन के ब्यौरों को लेकर उन्हें एफआईयू-आइएनडी द्वारा अपनी वेबसाइट http://fiuindia.gov.in/ पर उपलब्ध कराई गयी सीटीआर/ एसटीआर की एडिटेबल इलैक्ट्रॉनिक यूटिलिटिज की सहायता से इलैक्ट्रॉनिक फाइल के रूप में आंकड़े फीड करने की उपयुक्त व्यवस्था होनी चाहिए।
49. निदेशक, एफआईयू-आईएनडी को सूचना देते समय, लेनदेन की रिपोर्टिंग में हुई प्रत्येक दिन की देरी अथवा नियम में विनिर्दिष्ट समय-सीमा के बाद गलत रूप से दर्शाये गए किसी लेनदेन को सुधारने में होने वाली प्रत्येक दिन की देरी को अलग से एक उल्लंघन माना जाएगा। विनियमित संस्थाएं उन खातों के परिचालनों पर कोई प्रतिबंध न लगाएं जिनके संबंध में संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) भेजी गई है। विनियमित संस्थाओं द्वारा एसटीआर प्रस्तुत करने के तथ्य को पूर्णत: गोपनीय रखा जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाए कि ग्राहक को किसी भी स्तर पर गुप्त रूप से सचेत (टिपिंग ऑफ़) नहीं किया जाए।
50. संदिग्ध लेनदेनों की प्रभावी पहचान एवं रिपोर्टिंग के एक भाग के रूप में, जोखिम वर्गीकरण तथा ग्राहकों की अद्यतन प्रोफाइल के साथ लेनदेनों के असंगत होने की स्थिति में अलर्ट जारी करने वाला एक सशक्त सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाना चाहिए।
अध्याय IX
अंतरराष्ट्रीय करारों के तहत अपेक्षाएँ/ बाध्यताएँ अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से संपर्क
51. विनियमित संस्थाएं (आरई) यह सुनिश्चित करें कि विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 1967 की धारा 51क और उसमें किए गए संशोधन के अनुसार उनके पास आंतकी गतिविधियों से जुड़े होने की आशंका वाले ऐसे व्यक्तियों/संस्थाओं का कोई खाता नहीं होना चाहिए जिसके नाम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) द्वारा समय-समय पर अनुमोदित तथा परिचालित ऐसे व्यक्तियों तथा संस्थाओं की सूची में शामिल हो। ऐसी दो सूची निम्नानुसार हैं:
(क) "आईएसआईएल (दा ईश) और अल-कायदा प्रतिबंध सूची" में अल-कायदा से संबद्ध व्यक्तियों तथा संगठनों के नाम शामिल हैं। आईएसआईएल और अल-कायदा संबंधित अद्यतन प्रतिबंध सूची https://scsanctions.un.org/fop/fop?xml=htdocs/resources/xml/in/consolidated.xml&xslt=htdocs/resources/xsl/in/al-qaida-r.xsl पर उपलब्ध है।
(ख) "1988 प्रतिबंध सूची" में तालिबान से संबद्ध व्यक्तियों (समेकित सूची का खंड ए) तथा संगठनों (खंड बी) को शामिल किया गया है जो https://scsanctions.un.org/fop/fop?xml= htdocs/resources/ xml/en/consolidated.xml&xslt=htdocs/resources/xsl/en/taliban-r.xsl पर उपलब्ध है।
52. सूची में शामिल व्यक्तियों/संस्थाओं से मिलते-जुलते किसी भी खातों के ब्योरे 14 मार्च 2019 की यूएपीए अधिसूचना की अपेक्षानुसार गृह मंत्रालय के अतिरिक्त वित्तीय आसूचना एकक – भारत को रिपोर्ट किये जाने चाहिए।
53. उपर्युक्त के अलावा, किसी अन्य क्षेत्रों/संस्थाओं के संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर परिचालित अन्य यूएनएससीआर को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।
54. विधि विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 1967 की धारा 51क के अंतर्गत आस्तियों को फ्रीज़ करना
5314 मार्च 2019 को जारी यूएपीए आदेश (इस मास्टर दिशानिर्देश के अनुबंध II) में निर्धारित प्रक्रियाओं का कड़ाई से पालन किया जाए तथा सरकार के आदेश का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित किया जाए।
55. वित्तीय कार्रवाई दल (एफएटीएफ) की सिफारिशों को लागू नहीं करने वाले अथवा अपर्याप्त रूप से लागू करने वाले देश
(क) एफ़एटीएफ़ सिफ़ारिशों को लागू न करने वाले या अपर्याप्त रूप से लागू करने वाले देशों की पहचान करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर परिचालित किए जाने वाले एफएटीएफ वक्तव्यों और सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध जानकारी को देखा जाना चाहिए। एफएटीएफ वक्तव्य में शामिल किए गए क्षेत्रों में धनशोधन निवारण/आतंकवाद के वित्तपोषण के प्रतिरोध संबंधी व्यवस्था में कमियों के कारण उत्पन्न जोखिम को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
(ख) एफ़एटीएफ़ वक्तव्यों में शामिल क्षेत्रों एवं ऐसे देशों, जिन्होंने एफ़एटीएफ़ सिफ़ारिशों को लागू नहीं किया है या अपर्याप्त रूप से लागू किया है, अथवा ऐसे देशों के व्यक्तियों (विधिक व्यक्तियों तथा अन्य वित्तीय संस्थाओं) के साथ कारोबारी संबंधों और लेनदेनों पर विशेष नजर रखी जानी चाहिए
स्पष्टीकरण: धारा 55 क तथा ख में संदर्भित प्रक्रिया विनियमित संस्थाओं (आरई) को एफ़एटीएफ़ वक्तव्य में वर्णित क्षेत्रों तथा देशों के साथ वैध व्यापार तथा कारोबारी लेनदेन बनाए रखने को प्रतिबंधित नहीं करती है।
(ग) एफएटीएफ वक्तव्यों में शामिल किए गए क्षेत्रों तथा एफएटीएफ की सिफारिशों को लागू न करने वाले अथवा अपर्याप्त रूप से लागू करने वाले देशों के व्यक्तियों (विधिक संस्था तथा अन्य वित्तीय संस्थाओं सहित) के साथ लेनदेन की पृष्ठभूमि तथा प्रयोजन की जांच की जाए तथा इसके निष्कर्ष को लिखित रूप में सभी दस्तावजों सहित रखा जाए और अनुरोध प्राप्त होने पर उन्हें रिज़र्व बैंक/अन्य संबंधित प्राधिकारियों को उपलब्ध कराया जाए।
अध्याय X
अन्य अनुदेश
56. 54गोपनीयता संबंधी दायित्व और सूचनाओं का आदान–प्रदान
(क) बैंक, बैंकर तथा ग्राहक के बीच स्थापित संविदात्मक संबंधों से उन्हें प्राप्त ग्राहक संबंधी सूचना के संबंध में गोपनीयता बनाए बनाए रखेंगे।
(ख) खाता खोलने के उद्देश्य से ग्राहकों से एकत्र की गई जानकारी को गोपनीय माना जाएगा और ग्राहक की अनुमति के बिना क्रॉस सेलिंग के उद्देश्य से या किसी अन्य उद्देश्य के लिए इसका विवरण नहीं दिया जाएगा।
(ग) सरकार तथा अन्य एजेंसियों से डेटा/ सूचना के लिए प्राप्त अनुरोध पर विचार करते समय, बैंकों को स्वयं इस बात से आश्वस्त होना होगा कि मंगायी गई सूचना की प्रकृति ऐसी नहीं है, जिससे बैंकिंग लेनदेनों में गोपनीयता से संबंधित क़ानूनों के प्रावधानों का उल्लंघन होता हो।
(घ) इस नियम के अपवाद निम्नानुसार होंगे:
-
जहां प्रकटीकरण कानूनन मजबूरी हो,
-
जहां प्रकटीकरण जनता के लिए एक कर्तव्य हो,
-
प्रकटीकरण, बैंक के हित में अपेक्षित हो, और
-
प्रकटीकरण ग्राहक की स्पष्ट या निहित सहमति से किया गया हो।
(ङ) एनबीएफसी को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 45एनबी के अनुसार सूचना की गोपनीयता को बनाई रखनी होगी।
57. 55समुचित सावधानी (सीडीडी) प्रक्रिया और केंद्रीय केवाईसी रजिस्ट्री (सीकेवाईसीआर) के साथ केवाईसी सूचनाओं को साझा करना।
(क) भारत सरकार ने दिनांक 26 नवंबर 2015 की राजपत्र अधिसूचना सं.एस.ओ.3183 (ई) के द्वारा भारतीय प्रतिभूतीकरण परिसंपत्ति पुनर्निर्माण और प्रतिभूति स्वत्व की केंद्रीय रजिस्ट्री (सरसाई) को सीकेवाईसीआर के रूप में कार्य करने और इसके परिचालन करने के लिए प्राधिकृत किया है।
(ख) पीएमएल नियमावली के नियम 9(1ए) के प्रावधानों के अनुसार ग्राहक के साथ खाता आधारित संबंध आरंभ करने के 10 दिन के भीतर आरई ग्राहक के केवाईसी रिकॉर्ड कैप्चर करेंगे और सीकेवाईसीआर पर अपलोड करेंगे।
(ग) केवाईसी डेटा अपलोड करने के लिए परिचालनगत दिशानिर्देश सरसाई द्वारा जारी किए जा चुके हैं।
(घ) आरई नियमावली में बताए गए तरीके से सीकेवाईसीआर के साथ साझा करने के लिए केवाईसी सूचना कैप्चर करेंगे, जो ‘व्यक्तिगत’ और ‘विधिक संस्था’ (एलई), जो भी मामला हो, के लिए तैयार किए गए केवाईसी टेम्प्लेट के अनुसार होगा। टेम्प्लेट समय- समय पर आवश्यकता के अनुसार सरसाई द्वारा संशोधित और जारी किए जा सकते हैं।
(ङ) सीकेवाईसीआर का 'लाइव रन' चरणबद्ध रूप में 15 जुलाई 2016 से नए 'व्यक्तिगत खातों' के साथ आरंभ किया गया। तदनुसार अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (एससीबी) 1 जनवरी 2017 को या उसके बाद खोले गए सभी नए वैयक्तिक खातों से संबंधित केवाईसी डाटा अनिवार्य रूप से सीकेवाईसीआर पर अपलोड करेंगे। आरंभ में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को जनवरी 2017 के दौरान खोले गए खातों के डेटा अपलोड करने के लिए 1 फरवरी 2017 तक का समय दिया गया था।
अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के अलावा अन्य आरई उपर्युक्त नियमावली के प्रावधानों के अनुसार 1 अप्रैल 2017 को या उसके बाद खोले गए सभी नए व्यक्तिगत खातों से संबंधित केवाईसी डाटा सीकेवाईसीआर पर अपलोड करेंगे।
(च) आरई उपर्युक्त नियमावली के अनुसार, 1 अप्रैल 2021 को या उसके बाद खोले गए विधिक संस्थाओं (एलई) के खातों से संबंधित केवाईसी डेटा सीकेवाईसीआर पर अपलोड करेंगे। ये केवाईसी रिकॉर्ड सरसाई द्वारा जारी एलई टेम्प्लेट में अपलोड किए जाएंगे।
(छ) एक बार सीकेवाईसीआर से केवाईसी पहचान उत्पन्न हो जाने के बाद, आरई यह सुनिश्चित करेंगे कि इसे व्यक्ति/ विधिक संस्था, जो भी मामला हो, को सूचित किया जाए।
(ज) यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी मौजूदा केवाईसी रिकॉर्ड सीकेवाईसीआर वृद्धिशील रूप से अपलोड किए जा रहे हैं, आरई उपर्युक्त क्रमशः (ड.) और (च) में बताई गई तारीख से पहले खोले गए व्यक्तिगत खातों और एलई खातों के मामले में, इस मास्टर निदेश की धारा 38 में निर्दिष्ट किए गए अनुसार, आवधिक अद्यतनीकरण प्रक्रिया के दौरान केवाईसी रिकॉर्ड सीकेवाईसीआर पर अपलोड/ अद्यतन करेंगे, या फिर कतिपय मामलों में इससे पहले भी, जब भी ग्राहक से केवाईसी सूचना ली जाती/ प्राप्त की जाती है।
(झ) आरई यह सुनिश्चित करेंगे कि आवधिक अद्यतनीकरण के दौरान, ग्राहक वर्तमान ग्राहक उचित सावधानी (सीडीडी) मानकों पर माइग्रेट किए गए हैं।
(ञ) जहां ग्राहक खाता आधारित संबंध स्थापित करने के उद्देश्य से सीकेवाईसीआर से रिकॉर्ड डाउनलोड करने के लिए स्पष्ट सहमति के साथ, आरई को कोई केवाईसी पहचान प्रस्तुत करता है, तो ऐसे आरई केवाईसी पहचान का उपयोग करके सीकेवाईसीआर से केवाईसी रिकॉर्ड ऑनलाइन प्राप्त करेंगे और ग्राहक को वही केवाईसी रिकॉर्ड या जानकारी या कोई अन्य अतिरिक्त पहचान दस्तावेज या विवरण प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी, जब तक कि-
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सीकेवाईसीआर के रिकॉर्ड में मौजूद ग्राहक की सूचना में कोई परिवर्तन आया हो;
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ग्राहक के वर्तमान पते का सत्यापन आवश्यक हो;
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आरई ग्राहक की पहचान या पते का सत्यापन, या अधिक ग्राहक उचित सावधानी बरतना या ग्राहक का उचित जोखिम प्रोफ़ाइल बनाना आवश्यक समझता है।
58. विदेशी खातों संबंधी कर अनुपालन अधिनियम (एफ़एटीसीए) और समान रिपोर्टिंग मानक (सीआरएस) के अंतर्गत रिपोर्टिंग संबंधी अपेक्षाएँ
एफ़एटीसीए और सीआरएस के अंतर्गत विनियमित संस्थाओं को यह निर्धारित करना है कि क्या वे आयकर नियम 114एफ/जी/एच में परिभाषित रिपोर्टिंग वित्तीय संस्थाएं हैं और यदि वे हैं तो उन्हें रिपोर्टिंग अपेक्षाओं का अनुपालन करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:
(क) रिपोर्ट करने वाली वित्तीय संस्थाओं के रूप में आयकर विभाग के संबंधित ई-फाइलिंग पोर्टल https://www.incometaxindiaefiling.gov.in/ post login --> My acount --> Register as Reporting financial Institution पर जाकर रजिस्टर करें।
(ख) पदनामित निदेशक के डिजिटल हस्ताक्षर से फॉर्म 61बी अथवा ‘शून्य’ रिपोर्ट ऑनलाइन प्रस्तुत करें जिसके लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा तैयार किए गए खाका को ध्यान में रखा जाए।
स्पष्टीकरण: विनियमत संस्थाओं को नियम 114एच के अनुसार रिपोर्ट करने योग्य खातों की पहचान करने के उद्देश्य से समुचित प्रक्रिया अपनाने के लिए भारतीय विदेशी मुद्रा व्यापार संघ (फेडाई) द्वारा अपनी वेबसाइट http://www.fedai.org.in/RevaluationRates.aspx पर प्रकाशित हाजिर संदर्भ दर को देखना चाहिए।
(ग) आईटी नियम 114एच के अनुसार समुचित सावधानी प्रणाली अपनाने तथा उसकी रिपोर्टिंग एवं रखरखाव के लिए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) फ्रेमवर्क विकसित करना चाहिए।
(घ) आईटी फ्रेमवर्क के ऑडिट तथा आयकर नियमावली के नियम 114एफ, 114जी, तथा 114एच के अनुपालन के लिए एक प्रणाली विकसित करनी चाहिए।
(ङ) अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए पदनामित निदेशक अथवा किसी अन्य समतुल्य कार्यकारी के अधीन एक ”उच्च स्तरीय निगरानी समिति’’ गठित की जानी चाहिए।
(च) केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा उक्त विषय पर समय-समय पर जारी और वेबसाइट http://www.incometaxindia.gov.in/Pages/default.aspx पर उपलब्ध अद्यतन अनुदेशों/ नियमों/ मार्गदर्शन नोटों/ प्रेस प्रकाशनियों का अनुपालन सुनिश्चित करें। विनियमित संस्थाएं निम्नलिखित का ध्यान रखें:
क) एफ़एटीसीए और सीआरएस पर अद्यतन मार्गदर्शन नोट
ख) नियम 114एच (8) के अंतर्गत ‘वित्तीय लेखों का समापन’ पर प्रेस प्रकाशनी।
59. भुगतान लिखत प्रस्तुत करने की अवधि
चेकों/ ड्राफ्टों/ भुगतान आदेशों/ बैंकर चेकों का भुगतान उनकी जारी की तारीख से तीन महीने के बाद प्रस्तुत किए जाने पर नहीं करना चाहिए।
60. बैंक खातों का परिचालन तथा धनशोधन का माध्यम (मनी म्यूल) बने व्यक्ति
खाता खोलने और लेनदेनों की निगरानी संबंधी अनुदेशों का पालन कड़ाई से किया जाना चाहिए ताकि ‘’धनशोधन के माध्यमों’’ (मनी म्यूल) के कार्यकलापों को कम किया जा सके। अपराधियों द्वारा धोखाधड़ी वाली योजनाओं (उदाहरणार्थ फिशिंग तथा पहचान की चोरी) से होने वाली आय का शोधन करने के लिए `धनशोधन के माध्यम' के रूप में कार्य करने वाले कुछ व्यक्तियों का इस्तेमाल किया जा सकता है जो धनशोधन का माध्यम बना दिये गए ऐसे तीसरे पक्षकारों को भर्ती कर जमा खातों तक अवैध रूप से पहुँच बना लेते हैं। यदि यह स्पष्ट हो जाता है कि खाता खोलना तथा खाता का परिचालन `धनशोधन के माध्यम' द्वारा किया जाता रहा है तो यह समझा जाएगा कि बैंक ने इससे संबंधित दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया है।
61. आदाता खाता चेक का संग्रहण
आदाता के अलावा किसी अन्य व्यक्ति के लिए आदाता खाता चेक का संग्रहण नहीं किया जाना चाहिए। बैंक अपने विवेकानुसार 50,000/- रुपए से अनधिक राशि के ऐसे आदाता खाता चेक का संग्रहण अपने ग्राहकों के खातों में जमा करने के लिए कर सकते हैं जो सहकारी समितियां हों, बशर्ते ऐसे चेकों के आदाता उन सहकारी ऋण समितियों के ग्राहक हों।
62. (क) बैंक और एनबीएफसी कंपनियों को चाहिए कि वे व्यक्तिगत ग्राहकों के साथ नए संबंध स्थापित करते समय उन्हें विशिष्ट ग्राहक पहचान कोड (यूसीआईसी) आबंटित करें। वर्तमान ग्राहकों को भी यह कोड आबंटित किया जाना चाहिए।
(ख) बैंकों/ एनबीएफसी के पास अपनी अपनी मर्जी से प्री-पेड लिखत/ थर्ड पार्टी उत्पाद खरीदने के लिए आने वाले वाक-इन/ नवागंतुक ग्राहकों को यूसीआईसी कोड जारी न करने का विकल्प है जब तक उनके पास ऐसी पर्याप्त व्यवस्था है। कि वे ऐसे वाक-इन ग्राहकों की पहचान कर सकें और यदि ऐसे किसी ग्राहक के साथ बार-बार लेनदेन हो रहा हो तो उसे यूसीआईसी कोड जारी किया जाना चाहिए।
63. नई तकनीक का उपयोग – क्रेडिट कार्ड/ डेबिट कार्ड/ स्मार्ट कार्ड/ गिफ्ट कार्ड/ मोबाइल वॉलेट/ नेट बैंकिंग/ मोबइल बैंकिंग/ आरटीजीएस/ एनईएफटी/ ईसीएस/ आईएमपीएस आदि।
विनियमित संस्थाओं को चाहिए कि वे नई अथवा विकासशील प्रौद्योगिकी के परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाले धन-शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण संबंधी खतरों पर पर्याप्त ध्यान दें। नए उत्पाद/सेवाएं/ प्रौद्योगिकी को अमल में लाने से पहले यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि समय-समय पर जारी उचित केवाईसी प्रक्रिया को सही ढंग से लागू किया गया है। जिन एजंटों को क्रेडिट कार्ड की मार्केटिंग का कार्य सौंपा गया है उनके संबंध में समुचित सावधानी बरती जानी चाहिए और उन्हें भी केवाईसी प्रक्रिया के अंतर्गत लाया जाना चाहिए।
64. संपर्ककर्ता (कॉरेस्पांडेंट) बैंक
बैंकों को चाहिए कि वे संपर्ककर्ता बैंकिंग संबंधों के अनुमोदन के लिए मानदंड निश्चित करने हेतु अपने बोर्ड, या अध्यक्ष/ सीईओ/ एमडी की अध्यक्षता वाली समिति से निम्नलिखित मानदंडों के साथ नीति अनुमोदित करवा लें:
(क) बैंक के कारोबार के स्वरूप के बारे में पर्याप्त जानकारी इकट्ठा की जाए जिसमें प्रबंधन संबंधी सूचना, प्रमुख कारोबारी गतिविधियां, एएमएल/सीएफटी अनुपालन का स्तर, खाता खोलने का प्रयोजन, प्रतिनिधि बैंकिंग सेवाओं का उपयोग कोई थर्ड पार्टी व्यक्ति/ संस्था करने वाली हो तो उसकी पहचान और संबंधित बैंक के अपने देश के विनियामक/ पर्यवेक्षी ढांचे की जानकारी शामिल हो।
(ख) समिति द्वारा अनुमोदित प्रस्तावों पर बोर्ड का कार्योत्तर अनुमोदन उसकी अगली बैठक में लिया जाए।
(ग) जिन बैंकों के साथ संपर्ककर्ता बैंकिंग संबंध स्थापित किए गए हैं उन सभी बैंकों की जिम्मेदारियों का स्पष्ट उल्लेख लिखित रूप में हो।
(घ) खातों के माध्यम से देय (पेएबल थ्रू एकाउंट्स) मामले में संपर्ककर्ता बैंक को इस बात से संतुष्ट होना चाहिए कि रेस्पोंडेंट बैंक ने उन ग्राहकों की पहचान की जांच कर ली है जिन्हें खाते से सीधे लेनदेन की सुविधा दी गई है और वह उनके संबंध में सतत ‘समुचित सावधानी’ बरत रहा है।
(ङ) संपर्ककर्ता बैंक को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि अनुरोध किए जाने पर रेस्पोंडेंट बैंक ग्राहक की पहचान संबंधी सूचना तुरंत उपलब्ध करा सकता है।
(च) अप्रत्यक्ष बैंक (शैल बैंक) के साथ संपर्ककर्ता संबंध स्थापित नहीं किया जाना चाहिए।
(छ) यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि संपर्ककर्ता बैंक शैल बैंकों को अपने खातों का उपयोग करने की अनुमति नहीं देते हैं।
(ज) बैंकों को ऐसे संपर्ककर्ता बैंकों के साथ सावधानी बरतनी चाहिए जो ऐसे क्षेत्राधिकारों में स्थापित हैं जहां रणनीतिगत कमियां हैं या जहां वित्तीय कार्रवाई दल (एफएटीएफ) की सिफारिशों को लागू करने पर पर्याप्त प्रगति नहीं हुई है।
(झ) बैंकों को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि रेस्पोंडेंट बैंकों के पास केवाईसी/एएमएल नीति और प्रक्रियाएं हैं और संपर्ककर्ता खातों से होनेवाले लेनदेनों पर वे संवर्धित ‘समुचित सावधानी’ बरतते हैं।
65. वायर अंतरण
वायर अंतरण के समय विनियमित संस्थाएं निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:
(क) खाता न होने की स्थिति में सभी प्रकार के सीमापार वायर अंतरणों, जिनमें क्रेडिट या डेबिट कार्ड से किए गए लेनदेन शामिल हैं, के संबंध में लेनदेन के आरंभक की सही और अर्थपूर्ण जानकारी, जैसे कि – नाम, पता और खाता संख्या या विशिष्ट संदर्भ संख्या जो संबंधित देश में प्रचलित हो, होनी चाहिए।
अपवाद: जिन अंतर बैंक अंतरणों और निपटानों में आरंभक और लाभार्थी दोनों ही बैंक अथवा वित्तीय संस्थाएं हों, वहां उक्त शर्त से छूट होगी।
(ख) पचास हजार रुपए और उससे उच्चतर राशि के घरेलू वायर अंतरण के संबंध में आरंभक की जानकारी, जैसे कि नाम, पता और खाता संख्या होनी चाहिए।
(ग) यदि ग्राहक रिपोर्टिंग और मॉनीटरिंग से बचने के लिए जानबूझकर पचास हजार रुपए से नीचे की राशि के वायर अंतरण का उपयोग कर रहा हो तो ऐसे ग्राहक की पहचान की जानी चाहिए। यदि ग्राहक सहयोग न कर रहा हो तो ग्राहक की पहचान पता करने की कोशिश की जानी चाहिए और वित्तीय आसूचना एकक-भारत को संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट भेज देनी चाहिए।
(घ) पात्र वायर अंतरण के संबंध में आरंभक की संपूर्ण जानकारी आदेशकर्ता बैंक द्वारा कम से कम पाँच वर्षों के लिए परिरक्षित की जानी चाहिए।
(ङ) जो बैंक वायर अंतरण की कड़ी में मध्यवर्ती (इंटरमीडीएरी) के रूप में काम कर रहा हो, उसे चाहिए कि वह आरंभक की संपूर्ण जानकारी वायर अंतरण के साथ रखे।
(च) प्राप्तकर्ता मध्यवर्ती बैंक को चाहिए कि वह सीमापार वायर अंतरण के साथ आरंभक की संपूर्ण जानकारी अंतरित करे। यदि तकनीकी सीमाओं के कारण संबंधित घरेलू वायर अंतरण के साथ उसे भेजना संभव न हो तो उसे कम से कम पाँच वर्षों तक परिरक्षित किया जाए।
(छ) संबंधित विधि प्रवर्तन तथा/या अभियोजन प्राधिकारियों द्वारा मांगे जाने पर वायर अंतरणों के आरंभक की संपूर्ण जानकारी तुरंत उन्हें उपलब्ध कराई जाए।
(ज) वायर अंतरणों के संबंध में आरंभक की संपूर्ण जानकारी के अभाव में उन्हें पहचानने के लिए लाभार्थी बैंक के पास प्रभावी जोखिम आधारित प्रक्रिया होनी चाहिए।
(झ) आरंभक की संपूर्ण जानकारी न होने पर लाभार्थी बैंक ऐसे लेनदेनों की जानकारी वित्तीय आसूचना एकक-भारत को संदिग्ध लेनदेन के रूप में देगा।
(ञ) लाभार्थी बैंक को चाहिए कि वह आदेशकर्ता बैंक से निधि भेजने वाले की विस्तृत जानकारी प्राप्त करे। यदि आदेशकर्ता बैंक निधि भेजनेवाले की जानकारी नहीं देता तो लाभार्थी बैंक को चाहिए कि वह आदेशकर्ता बैंक के साथ कारोबारी संबंधों को सीमित करने या उसे समाप्त करने पर विचार करे।
66. डिमांड ड्राफ्ट, आदि जारी करना एवं उनका भुगतान
डिमांड ड्राफ्ट, मेल/टेलिग्राफिक अंतरण/ एनईएफटी/ आईएमपीएस या अन्य किसी माध्यम और यात्री चेक के जरिए किए जाने वाले पचास हजार रुपए और उससे अधिक की राशि के प्रेषण नकद भुगतान के रूप में स्वीकार न करते हुए ग्राहक के खाते में नामे डालकर या चेक लेकर किए जाएं।
इसके अतिरिक्त, जारीकर्ता बैंक द्वारा डिमांड ड्राफ्ट, पे ऑर्डर, बैंकर चेक आदि के मुखपृष्ठ पर ग्राहक का नाम शामिल किया जाएगा। ये अनुदेश 15 सितंबर 2018 को या उसके बाद जारी लिखतों के लिए प्रभावी होंगे।
67. 56स्थायी अकाउंट नंबर (पीएएन) का उल्लेख करना
बैंकों के लिए लागू समय-समय पर किए गए संशोधित आयकर नियम 114बी के प्रावधानों के अनुसार ग्राहकों के साथ लेनदेन करते समय उनका स्थायी अकाउंट नंबर (पैन) या उसके समतुल्य ई- दस्तावेज़ लिया जाना चाहिए और उसका सत्यापन भी किया जाना चाहिए। जिनके पास पैन या उसके समतुल्य ई- दस्तावेज़ नहीं है उनसे फार्म 60 लेना चाहिए।ए।
68. थर्ड पार्टी उत्पादों की बिक्री
जो विनियमित संस्था एजेंट के रूप में कार्य कर रहे हैं उन्हें चाहिए कि वे समय-समय पर जारी विनियमों के अनुसार थर्ड पार्टी उत्पादों की बिक्री करते समय इन निदेशों के प्रयोजन हेतु निम्नलिखित अपेक्षाओं का अनुपालन करें:
(क) इन निदेशों की धारा 13(ङ) में की गई अपेक्षानुसार नवागंतुक (वाक-इन) ग्राहक के पचास हजार रुपए से अधिक के लेनदेन के लिए उसकी पहचान और पता सत्यापित किया जाना चाहिए।
(ख) अध्याय VII धारा 46 के निर्धारण के अनुसार थर्ड पार्टी उत्पादों की बिक्री संबंधी लेनदेनों के ब्योरे और संबंधित रिकॉर्ड रखे जाने चाहिए।
(ग) थर्ड पार्टी उत्पादों के संबंध में नवागंतुक ग्राहकों सहित सभी ग्राहकों के साथ हुए लेनदेन के संबंध में सीटीआर/एसटीआर फाइल के लिए चेतावनियां कैप्चर करने, जनरेट करने और उनका विश्लेषण करने की योग्यता युक्त एएमएल सॉफ्टवेयर उपलब्ध होना चाहिए।
(घ) पचार हजार रुपए और उससे ऊपर के लेनदेन केवल निम्नलिखित माध्यमों से किए जाएं:
(ङ) उक्त (घ) में दिए गए अनुदेश विनियमित संस्था के अपने उत्पादों की बिक्री, क्रेडिट कार्ड की बकाया राशि का भुगतान करने/ प्री-पेड/ ट्रेवल कार्ड की बिक्री और उसे री-लोड करने और अन्य उत्पादों की ब्रिक्री के लिए भी लागू होंगे जहां लेनदेन की राशि पचास हजार रुपए और उससे अधिक है।
69. सहकारी बैंकों द्वारा उपयोग में लायी जाने वाली सममूल्य (एट पार) चेक सुविधा
(क) वाणिज्यिक बैंक सहकारी बैंकों को ‘सममूल्य’ चेक सुविधा देते हैं। इस सुविधा की मॉनीटरिंग की जानी चाहिए और इस व्यवस्था से होने वाले जोखिम जिसमें ऋण जोखिम और प्रतिष्ठा संबंधी जोखिम शामिल है, का मूल्यांकन करने के लिए इस व्यवस्था की समीक्षा की जानी चाहिए।
(ख) केवाईसी और एएमएल के संबंध में जारी वर्तमान अनुदेशों के अनुपालन की दृष्टि से इस प्रकार की व्यवस्था के अंतर्गत ग्राहक सहकारी बैंक/समितियों द्वारा रखे गए अभिलेखों को सत्यापित करने का अधिकार बैंक को अपने पास रखना चाहिए।
(ग) सहकारी बैंकों को चाहिए कि वे:
i. यह सुनिश्चित करें कि ‘सममूल्य’ सुविधा का उपयोग केवल निम्नलिखित प्रयोजन के लिए हो:
क. स्वयं के उपयोग के लिए,
ख. केवाईसी अनुपालित अपने खाताधारकों के लिए, बशर्ते पचार हजार रुपए और उच्चतर राशि के सभी लेनेदेन अनिवार्य रूप से ग्राहकों के खातों में नामे द्वारा ही किए जाते हों,
ग. अकस्मात आने वाले ग्राहकों के लिए प्रति व्यक्ति पचास हजार रुपए से कम की नकद राशि के लिए।
ii. निम्नलिखित अपेक्षाओं का अनुपालन किया जाए:
क. जारी किए गए ‘सममूल्य’ चेकों का अभिलेख रखा जाए जिसमें आवेदक का नाम और खाता क्रमांक, लाभार्थी के ब्योरे, जारी किए गए ‘सममूल्य’ चेक की तारीख और अन्य जानकारी हो,
ख. जो वाणिज्य बैंक यह सुविधा उपलब्ध करा रहा है उसके साथ पर्याप्त शेष/ आहरण व्यवस्था बनाए रखी जाए ताकि ऐसे लिखतों का भुगतान हो सके।
iii. ‘सममूल्य’ चेक ‘आदाता खाता’ शब्दों के साथ रेखांकित हो, चाहे उसकी राशि कितनी भी हो।
70. प्री-पेड भुगतान लिखतों (पीपीआई) को जारी करना:
पीपीआई जारीकर्ता को चाहिए कि वह भारतीय रिज़र्व बैंक के भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग द्वारा मास्टर निदेश के माध्यम से जारी अनुदेशों का कड़ाई से पालन करे।
71. कर्मचारियों की भर्ती और कर्मचारी प्रशिक्षण
(क) कर्मचारियों की भर्ती/ उनकी हायरिंग की प्रक्रिया में समुचित जांच-पड़ताल की व्यवस्था होनी चाहिए।
(ख) वर्तमान कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण की सतत व्यवस्था होनी चाहिए ताकि स्टाफ सदस्य एएमएल/सीएफटी नीति के बारे समुचित रूप से प्रशिक्षित हो सकें। फ्रंटलाइन स्टाफ, अनुपालन स्टाफ और नए ग्राहकों को सेवा देने वाले स्टाफ सदस्यों को उनके कार्य की अपेक्षानुसार प्रशिक्षण दिया जाए। फ्रंट डेस्क स्टाफ को ग्राहक शिक्षा की कमी के कारण उत्पन्न स्थितियों से निपटने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाए। लेखा-परीक्षा कार्य के लिए उचित स्टाफ दिया जाए जो प्रशिक्षित हो और विनियमित संस्था की एएमएल/सीएफटी नीति, विनियम और संबंधित मामलों से अच्छी तरह परिचित हो।
72. एनबीएफसी/आरएनबीसी और उनके द्वारा प्राधिकृत व्यक्तियों, ब्रोकर/एजेंट आदि सहित, द्वारा ‘अपने ग्राहक को जानिए’ (केवाईसी) दिशानिर्देशों का पालन
(क) एनबीएफसी/ आरएनबीसी द्वारा जमाराशियां संग्रह करने के लिए प्राधिकृत व्यक्ति, उनके ब्रोकर/ एजेंट आदि एनबीएफसी/आरएनबीसी के लिए लागू केवाईसी दिशानिर्देशों के अनुरूप होने चाहिए।
(ख) केवाईसी दिशानिर्देशों के अनुपालन की स्थिति के सत्यापन के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक को समस्त जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी और एनबीएफसी/ आरएनबीसी द्वारा प्राधिकृत व्यक्तियों, जिसमें उनकी ओर से कार्य कर रहे ब्रोकर/ एजेंट आदि भी शामिल हैं, द्वारा किए गए उल्लंघन के कारण होने वाले परिणामों को वे पूरी तरह स्वीकार करेंगे।
(ग) यदि एनबीएफसी/ आरएनबीसी और उनके द्वारा प्राधिकृत व्यक्ति, जिसमें ब्रोकर/एजेंट आदि भी शामिल है, कंपनी का ब्रोकरेज कार्य कर रहे हैं तो मांगे जाने पर उनकी लेखा-बहियां लेखा-परीक्षण और निरीक्षण के लिए उपलब्ध कराई जाएं।
अध्याय XI
निरसन प्रावधान
73. इन निदेशों के जारी होने के बाद परिशिष्ट में उल्लिखित भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अनुदेश/ दिशानिर्देश निरस्त समझे जाएंगे।
74. उक्त परिपत्रों द्वारा दिए गए सभी अनुमोदनों/ अभिस्वीकृतियों के संबंध में यह माना जाएगा कि वे इन निदेशों के अंतर्गत दिये गए हैं।
75. सभी निरस्त परिपत्रों के संबंध में यह माना जाएगा कि वे इस निदेश के जारी होने तक लागू थे।
57अनुबंध I
डिजिटल केवाईसी प्रक्रिया
a. आरई डिजिटल केवाईसी प्रक्रिया के लिए एक उपयोजन विकसित करेंगे जिसे उनके ग्राहकों की केवाईसी करने के लिए ग्राहक पहुँच स्थलों पर उपलब्ध करवाया जाएगा, और केवल आरई के इस अधिप्रमाणित उपयोजन के माध्यम से ही केवाईसी प्रक्रिया क्रियान्वित की जाएगी।
b. उपयोजन तक पहुँच आरई के द्वारा नियंत्रित की जाएगी और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अनधिकृत व्यक्तियों द्वारा इसका उपयोग न हो। आरई के द्वारा इसके प्राधिकृ अधिकारियों को दिए गए लॉगिन आईडी और पासवर्ड या लाइव ओटीपी या समय- ओटीपी नियंत्रित तंत्र के माध्यम से ही केवल उपयोजन का अभिगम होगा।
c. ग्राहक, केवाईसी के प्रयोजन के लिए आरई के प्राधिकृत अधिकारियों के स्थानों पर जाएंगे या ये प्राधिकृत अधिकारी ऐसा करेंगे। गराहक के पास मूल आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज़ (ओवीडी) रहेगा।
d. आरई यह आवश्यक रूप से सुनिश्चित करेगा कि प्राधिकृत अधिकारी द्वारा ग्राहक की लाइव फोटो ली गई है और वह फोटो ग्राहक आवेदन फॉर्म (सीएएफ़) में सन्निहित हो। इसके अतिरिक्त आरई का उपयोजन सिस्टम ग्राहक के खींचे गए लाइव फोटो पर सीएएफ़ संख्या, जीपीएस निर्देशांकों, प्राधिकृत अधिकारी का नाम, विशिष्ट कर्मचारी कोड (आरई द्वारा दिया गया) और तारीख (डीडी:एमएम:वाईवाईवाईवाई) और समय स्टैम्प (घंटा:मिनट:सेकंड) से युक्त पठनीय रूप में वाटर मार्क अंकित करेगा।
e. आरई के उपयोजन में यह विशेषता होगी कि ग्राहक का केवल लाइव फोटो ही खींचा जाए और ग्राहक का मुद्रित या विडियोग्राफी किया हुआ फोटो नहीं खींचा जाए। लाइव फोटो खींचते समय ग्राहक के पीछे की पृष्ठभूमि सफ़ेद रंग की होनी चाहिए और ग्राहक की लाइव फोटो खींचते समय आकृति में कोई और व्यक्ति नहीं होना चाहिए।
f. इसी प्रकार मूल ओवीडी या आधार संख्या होने का प्रमाण, जहां ऑफलाइन सत्यापन नहीं हो सकता है (क्षैतिज रूप से रखकर), की लाइव फोटो ऊपर से ऊर्ध्व रूप से खींची जाएगी और उपर्युक्त अनुसार पठनीय रूप में वाटर- मार्किंग किया जाएगा। मूल दस्तावेजों की लाइव फोटो लेते समय मोबाइल में कोई तिरछापन नहीं आना चाहिए।
g. ग्राहक और उसके मूल दस्तावेजों की लाइव फोटो उचित प्रकाश में खींची जाएगी जिससे वे स्पष्ट रूप से पहचानने और पढ़ने योग्य हों।
h. तत्पश्चात, सीएएफ़ में सभी प्रविष्टियाँ ग्राहक द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों और सूचनाओं के अनुसार भारी जाएंगी। उन दस्तावेजों में जहां क्विक रेस्पौंस (क्यूआर) कोड उपलब्ध है, वहाँ मैनुअल रूप से विवरण भरने के स्थान पर क्यूआर कोड स्कैन कर ऐसे विवरण ऑटो- पॉपुलेट किए जा सकते हैं। उदाहरण के लिए यूआईडीएआई से डाउनलोड किए गए भौतिक आधार/ ई-आधार की स्थिति में, जहां क्यूआर कोड उपलब्ध है, वहाँ नाम, लिंग, जन्म की तारीख, और पता जैसे विवरण आधार/ ई आधार पर उपलब्ध क्यूआर कोड स्कैन कर ऑटो- पॉपुलेट किए जा सकते हैं।
i. एक बार जब उपर्युक्त प्रक्रिया पूरी हो जाती है तब 'कृपया ओटीपी साझा करने से पहले फॉर्म में भरे हुए विवरण सत्यापित करें' पाठ से युक्त वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) संदेश ग्राहक के स्वयं के मोबाइल नंबर पर भेजा जाएगा। ओटीपी के सफलतापूर्वक वैधीकरण पर यह सीएएफ़ पर ग्राहक के हस्ताक्षर के रूप में माना जाएगा। तथापि यदि ग्राहक के पास उसका अपना मोबाइल नंबर नहीं है तब उसके परिवार/ रिशतेदारों या परिचित व्यक्तियों का मोबाइल नंबर इस प्रयोजन के लिए प्रयोग किया जा सकता है और इसे सीएएफ़ में स्पष्ट रूप से वर्णित किया जाए। किसी भी दशा में, आरई के पास प्राधिकृत अधिकारी का रजिस्टर्ड नंबर ग्राहक के हस्ताक्षर के लिए प्रयोग नहीं किया जाएगा। आरई यह आवश्यक रूप से जांच करेगा कि ग्राहक के हस्ताक्षर में प्रयुक्त मोबाइल नंबर प्राधिकृत अधिकारी का मोबाइल नंबर नहीं होगा।
j. प्राधिकृत अधिकारी, ग्राहक और मूल दस्तावेज़ का लाइव फोटो खींचने के बारे में एक घोषणा देगा। इस प्रयोजन के लिए प्राधिकृत अधिकारी वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी), आरई के पास रजिस्टर्ड उसके मोबाइल नंबर पर भेजा जाएगा, से सत्यापित होगा। ओटीपी के सफलतापूर्वक वैधीकरण पर, इसे घोषणा पर प्राधिकृत अधिकारी के हस्ताक्षर के रूप में माना जाएगा। प्राधिकृत अधिकारी का लाइव फोटो भी इस प्राधिकृत अधिकारी घोषणा में खींचा जाएगा।
h. इन सब गतिविधियों के बाद उपयोजन, प्रक्रिया के पूर्ण होने और आरई के एक्टिवेशन अधिकारी को एक्टिवेशन अनुरोध के प्रस्तुत होने के बारे में सूचना देगा और प्रक्रिया की ट्रैंज़ैक्शन आईडी/ रेफरेंस आईडी संख्या भी सृजित करेगा। प्राधिकृत अधिकारी ग्राहक को भावी संदर्भ के लिए ट्रैंज़ैक्शन आईडी/ रेफरेंस आईडी संख्या के संबंध में ब्यौरे सूचित करेगा।
i. आरई का प्राधिकृत अधिकारी यह जांच और सत्यापित करेगा कि –
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दस्तावेज़ के चित्र में उपलब्ध सूचना सीएएफ़ में प्राधिकृत अधिकारी द्वारा प्रविष्ट की गई सूचना के समरूप है;
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ग्राहक की लाइव फोटो दस्तावेज़ में उपलब्ध फोटो के समरूप है; और
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अनिवार्य स्थानों सहित सीएएफ़ में सभी आवश्यक ब्यौरे उचित रूप में भरे गए हैं।
j. सफलतापूर्वक सत्यापन पर आरई के प्राधिकृत प्रतिनिधि द्वारा सीएएफ़ को डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित किया जाएगा जो सीएएफ़ का एक प्रिंट लेगा, समुचित स्थानों पर ग्राहक के हस्ताक्षर/ अंगूठे का निशान लेगा, तब स्कैन करके उसे सिस्टम में अपलोड करेगा। मूल हार्ड प्रति ग्राहक को वापस की जा सकेगी।
बैंक इस प्रक्रिया के लिए कारोबार प्रतिनिधि (बीसी) की सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं।
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