आरबीआई परिपत्रों की सूची


केवाईसी पर मास्टर निदेश (एमडी) में संशोधन

भा.रि.बैंक/2021-2022/35
विवि.एएमएल.आरईसी.15/14.01.001/2021-22

10 मई 2021

सभी विनियमित संस्थाओं के अध्यक्ष/सीईओ

महोदया/महोदय,

केवाईसी पर मास्टर निदेश (एमडी) में संशोधन

कृपया 25 फरवरी 2016 को केवाईसी पर जारी तथा समय-समय पर संशोधित मास्टर निदेश (एमडी) देखें, जिसके अनुसार विनियमित संस्थाओं (आरई) को ग्राहकों के साथ व्यवहार करते समय उसमें निहित प्रक्रिया के अनुसार ग्राहक समुचित सावधानी (सीडीडी) सुनिश्चित करना है।

2. इस संदर्भ में, समीक्षा पर, वीडियो आधारित ग्राहक पहचान प्रक्रिया (वी-सीआईपी) का लाभ उठाने और केवाईसी के आवधिक अद्यतनीकरण की प्रक्रिया को सरल और तर्कसंगत बनाने के लिए केवाईसी पर एमडी में संशोधन करने का निर्णय लिया गया है। संशोधित प्रावधानों को नीचे दिए रूप में पढ़ा जाए:

I. वी-सीआईपी:

धारा 3 का खंड (xx): वी-सीआईपी की संशोधित परिभाषा:

वीडियो आधारित ग्राहक पहचान प्रक्रिया (वी-सीआईपी), सीडीडी उद्देश्य के लिए आवश्यक पहचान जानकारी प्राप्त करने हेतु ग्राहक के साथ निर्बाध, सुरक्षित, लाइव, सूचित-सहमति आधारित ऑडियो-विजुअल इंटरैक्शन करके आरई के एक प्राधिकृत अधिकारी द्वारा चेहरे की पहचान और ग्राहक उचित सावधानी के साथ ग्राहक पहचान का एक वैकल्पिक तरीका है, और स्वतंत्र सत्यापन के माध्यम से ग्राहक द्वारा प्रस्तुत जानकारी की सत्यता का पता लगाने और प्रक्रिया के ऑडिट ट्रेल को बनाए रखने की पद्धति है। निर्धारित मानकों और प्रक्रियाओं का अनुपालन करने वाली ऐसी प्रक्रियाओं को इस मास्टर निदेश के उद्देश्य से आमने-सामने सीआईपी के बराबर माना जाएगा।

धारा 17 का खंड (v):

v. ओटीपी आधारित ई-केवाईसी का उपयोग करके खोले गए जमा और उधार दोनों खातों को एक वर्ष से अधिक समय तक अनुमति नहीं दी जाएगी जब तक कि धारा 16 के अनुसार या धारा 18 (वी-सीआईपी) के अनुसार पहचान नहीं की जाती है। यदि धारा 18 के तहत आधार विवरण का उपयोग किया जाता है, तो इस प्रक्रिया का नए आधार ओटीपी प्रमाणीकरण सहित पूरी तरह से पालन किया जाएगा।

वी-सीआईपी पर संशोधित धारा 18:

आरई निम्न के लिए वी-सीआईपी कर सकते हैं:

i) व्यक्तिगत ग्राहकों के मामले में नए ग्राहक, स्वामित्व फर्म के मामले में स्वामी, विधिक इकाई (एलई) ग्राहकों के मामले में प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता और हिताधिकारी स्वामी (बीओ) के ऑन-बोर्डिंग के लिए सीडीडी।

बशर्ते कि, स्वामित्व फर्म की सीडीडी के मामले में, स्वामी के संदर्भ में सीडीडी करने के अलावा, धारा 28 में उल्लिखित स्वामित्व फर्म के संबंध में गतिविधि प्रमाणों के समकक्ष ई-दस्तावेज भी आरई प्राप्त करेगा।

ii) धारा 17 के अनुसार आधार ओटीपी आधारित ई-केवाईसी प्रमाणीकरण का उपयोग करके नॉन-फेस टू फेस मोड में खोले गए मौजूदा खातों का रूपांतरण।

iii) पात्र ग्राहकों के लिए केवाईसी का अद्यतनीकरण/ आवधिक अद्यतनीकरण।

वी-सीआईपी शुरू करने का विकल्प चुनने वाले आरई निम्नलिखित न्यूनतम मानकों का पालन करेंगे:

(क) वी-सीआईपी बुनियादी ढांचा (इंफ्रास्ट्रक्चर)

(i) बैंकों के लिए न्यूनतम मूलभूत साइबर सुरक्षा तथा रेसिलियन्स फ्रेमवर्क पर आरबीआई द्वारा जारी तथा समय-समय पर संशोधित दिशा-निर्देशों और साथ ही आईटी जोखिमों पर अन्य सामान्य दिशा-निर्देशों का अनुपालन आरई को सुनिश्चित करना है। आरई प्रौद्योगिकी संबंधित तकनीकी ढांचा अपने ही परिसर में रखे और वी-सीआईपी कनेक्शन और बातचीत अनिवार्य रूप से अपने स्वयं के सुरक्षित नेटवर्क डोमेन से उत्पन्न हो। इस प्रक्रिया के लिए किसी भी प्रौद्योगिकी से संबंधित आउटसोर्सिंग आरबीआई के दिशा-निर्देशों के अनुरूप होगी।

(ii) आरई, उपयुक्त एन्क्रिप्शन मानकों के अनुसार, ग्राहक डिवाइस और वी-सीआईपी अनुप्रयोग के होस्टिंग बिंदु के बीच डेटा का एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन सुनिश्चित करेगा। ग्राहक की सहमति को ऑडिटेबल और अपरिवर्तनीय तरीके से दर्ज किया जाना चाहिए।

(iii) वी-सीआईपी ढांचा/ अनुप्रयोग भारत के बाहर के आईपी पतों या स्पूफ्ड आईपी पतों से कनेक्शन को रोकने में सक्षम होना चाहिए।

(iv) वीडियो रिकॉर्डिंग में वी-सीआईपी लेने वाले ग्राहक का लाइव जीपीएस को-ऑर्डिनेट्स (जियो-टैगिंग) और दिनांक-समय मोहर होनी चाहिए। वी-सीआईपी में लाइव वीडियो की गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए जिससे ग्राहक की पहचान में कोई संदेह नहीं रहे।

(v) एप्लीकेशन में फेस लाइवनेस/ स्पूफ डिटेकशन के साथ-साथ सटीकता के उच्च स्तर सहित फेस मेचिंग तकनीक के घटक होंगे, यद्यपि किसी भी ग्राहक पहचान की अंतिम जिम्मेदारी आरई पर हो। उपयुक्त कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) प्रौद्योगिकी का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा सकता है कि वी-सीआईपी सुदृढ है।

(vi) जाली पहचान के पता लगाए/ किए गए प्रयास / ‘लगभग चूक’ के मामलों के अनुभव के आधार पर, एप्लिकेशन सॉफ़्टवेयर के साथ-साथ काम के प्रवाह सहित प्रौद्योगिकी बुनियादी ढांचे को नियमित रूप से अपग्रेड किया जाएगा। वी-सीआईपी के माध्यम से जाली पहचान का कोई भी मामला मौजूदा विनियामकीय दिशानिर्देशों के तहत साइबर सुरक्षा घटना के रूप में रिपोर्ट किया जाएगा।

(vii) वी-सीआईपी बुनियादी ढांचे को अपनी सुदृढता और एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन क्षमताओं को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक परीक्षण जैसे संवेदंशीलता मूल्यांकन, प्रवेश परीक्षण और एक सुरक्षा ऑडिट से गुजरना होगा। इस प्रक्रिया के तहत रिपोर्ट किए गए किसी भी महत्वपूर्ण गैप को इसके कार्यान्वयन से पहले ही समाप्त कर दिया जाएगा। इस तरह के परीक्षण आरबीआई द्वारा निर्धारित उपयुक्त मान्यता प्राप्त एजेंसियों द्वारा आयोजित किए जाने चाहिए। इस तरह के परीक्षण आंतरिक / विनियामकीय दिशानिर्देशों के अनुरूप समय-समय पर किए जाने चाहिए।

(viii) वी-सीआईपी एप्लिकेशन सॉफ़्टवेयर और प्रासंगिक एपी / वेबसर्विसेस लाइव वातावरण में उपयोग किए जाने से पहले कार्यात्मक, प्रदर्शन, रखरखाव शक्ति के उपयुक्त परीक्षण से गुजरेंगे। इस तरह के परीक्षणों के दौरान पाए जाने वाले किसी भी महत्वपूर्ण गैप को भरने के बाद ही एप्लिकेशन को रोल आउट किया जाना चाहिए। इस तरह के परीक्षण आंतरिक/ विनियामकीय दिशानिर्देशों के अनुरूप समय-समय पर किए जाएंगे।

(ख) वी-सीआईपी प्रक्रिया

(i) प्रत्येक आरई वी-सीआईपी के लिए एक स्पष्ट कार्य प्रवाह और मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करेगा और इसका पालन सुनिश्चित करेगा। वी-सीआईपी प्रक्रिया केवल आरई के अधिकारियों द्वारा संचालित की जाएगी जिन्हें इस उद्देश्य के लिए प्रशिक्षित किया गया है। अधिकारी लाइवलिनेस की जांच करने में सक्षम होना चाहिए और ग्राहक के किसी अन्य धोखाधड़ी, जालसाजी या संदिग्ध आचरण का पता लगाना चाहिए और उस पर कार्रवाई करनी चाहिए।

(ii) यदि वी-सीआईपी प्रक्रिया में कोई व्यवधान है, तो इसे समाप्त कर दिया जाना चाहिए और एक नया सत्र शुरू किया जाना चाहिए।

(iii) वीडियो इंटरैक्शन के दौरान अनुक्रम और/ या प्रश्नों के प्रकार जिसमें इंटरैक्शन का लाइव होना दर्शाता है, विविध होंगे जिससे कि यह स्थापित हो कि इंटरैक्शन वास्तविक-समय हैं और पूर्व-रिकॉर्ड नहीं हैं।

(iv) यदि ग्राहक की ओर से कोई भी प्रबोधन (प्राम्प्टिंग) देखा गया तो, खाता खोलने की प्रक्रिया को रद्द कर दिया जाएगा।

(v) वी-सीआईपी ग्राहक के एक मौजूदा अथवा नए ग्राहक होने का तथ्य, या यदि यह पहले से रद्द किए गए किसी मामले से संबंधित है अथवा किसी नकारात्मक सूची में नाम को दर्शाया गया हो तो कार्य प्रवाह के उचित चरण में उसे फैक्टर किया जाना चाहिए।

(vi) वी-सीआईपी का प्रदर्शन करने वाले आरई के अधिकृत अधिकारी पहचान के लिए मौजूद ग्राहक की तस्वीर खींचने के साथ-साथ निम्नलिखित में से किसी एक का उपयोग करके पहचान की जानकारी प्राप्त करने के लिए ऑडियो-वीडियो रिकॉर्ड करेंगे।

क) ओटीपी आधारित आधार ई-केवाईसी प्रमाणीकरण

ख) पहचान के लिए आधार का ऑफलाइन सत्यापन

ग) ग्राहक द्वारा प्रदत्त केवाईसी आइडेंटिफाइर का उपयोग करते हुए धारा 56 के अनुसार सीकेवाईसीआर से डाउनलोड किया गया केवाईसी रिकॉर्ड

घ) डिजीलॉकर के माध्यम से जारी दस्तावेजों सहित आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेजों (ओवीडी) का समतुल्य ई-दस्तावेज

आरई धारा 16 के संदर्भ में आधार संख्या को संपादित या ढकना सुनिश्चित करेगा।

एक्सएमएल फ़ाइल या सुरक्षित आधार क्युआर कोड का उपयोग करके आधार के ऑफ़लाइन सत्यापन के मामले में, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि एक्सएमएल फ़ाइल या क्युआर कोड जनरेशन की तारीख वी-सीआईपी करने से 3 दिन से अधिक पुरानी नहीं है।

साथ ही, आधार एक्सएमएल फ़ाइल/ आधार क्यूआर कोड के उपयोग के लिए तीन दिनों की निर्धारित अवधि के अनुरूप, आरई यह सुनिश्चित करेंगे कि वी-सीआईपी की वीडियो प्रक्रिया सीकेवाईसीआर/ आधार प्रमाणीकरण /समतुल्य-ई दस्तावेज के माध्यम से पहचान जानकारी डाउनलोड करने / प्राप्त करने के तीन दिनों के भीतर की जाती है, ऐसा उस स्थिति में होगा जहां दुर्लभ मामलों में, पूरी प्रक्रिया एक बार में या निर्बाध रूप से पूरी नहीं की जा सकती। हालांकि, आरई यह सुनिश्चित करेंगे कि इसके कारण कोई वृद्धिशील जोखिम न उत्पन्न हो।

(vii) यदि ग्राहक का पता ओवीडी में दर्शाए गए से अलग है, मौजूदा आवश्यकता के अनुसार वर्तमान पते के उपयुक्त दस्तावेज कैप्चर किए जाएंगे। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ग्राहक द्वारा प्रस्तुत की गई आर्थिक और वित्तीय प्रोफ़ाइल / सूचना की पुष्टि ग्राहक द्वारा वी-सीआईपी से उपयुक्त तरीके से की जाए।

(viii) आरई प्रक्रिया के दौरान ग्राहक द्वारा प्रदर्शित किए जाने वाले पैन कार्ड की स्पष्ट छवि को कैप्चर करेंगे, सिवाय उन मामलों को छोड़कर जहां ग्राहक द्वारा ई-पैन प्रदान किया जाता है। डिजीलॉकर सहित जारीकर्ता प्राधिकारी के डेटाबेस से पैन विवरण सत्यापित किया जाएगा।

(ix) ई-पैन सहित समतुल्य ई-दस्तावेज की प्रिंटेड कॉपी, वी-सीआईपी के लिए मान्य नहीं है।

(x) आरई के अधिकृत अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि आधार / ओवीडी और पैन / ई-पैन में ग्राहक की तस्वीर वी-सीआईपी करने वाले ग्राहक के साथ मेल खाती हो और आधार / ओवीडी और पैन / ई-पैन में पहचान के विवरण ग्राहक द्वारा प्रदान किए गए विवरण से मेल खाती हो।

(xi) सहयोगी वीसीआईपी की अनुमति वहीं होगी जब केवल ग्राहक के स्तर पर प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने में बैंकिंग प्रतिनिधि (बीसी) की मदद लेता है। बैंक ग्राहक की सहायता करने वाले बीसी के विवरण को व्यवस्थित बनाए रखेंगे, जहां भी बीसी की सेवाओं का उपयोग किया जाता है। ग्राहक से सम्बंधित समुचित सावधानी के लिए अंतिम जिम्मेदारी बैंक की होगी।

(xii) वी-सीआईपी के माध्यम से खोले गए सभी खातों को समवर्ती लेखा परीक्षा के अधीन होने के बाद ही परिचालन योग्य बनाया जाएगा, ताकि प्रक्रिया की अखंडता और परिणाम की स्वीकार्यता सुनिश्चित की जा सके।

(xiii) सभी मामले जो पैरा के अंतर्गत विनिर्दिष्ट नहीं हैं, लेकिन अन्य संविधियों जैसे कि सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम के तहत आवश्यक हैं, आरई द्वारा उचित रूप से अनुपालन किया जाएगा।

(ग) वीसीआईपी दस्तावेज़ और डाटा प्रबंधन

(i) वी-सीआईपी का संपूर्ण डेटा और रिकॉर्डिंग भारत में स्थित एक प्रणाली / प्रणालियों में संग्रहित की जाएगी। आरई यह सुनिश्चित करेंगे कि वीडियो रिकॉर्डिंग सुरक्षित और संरक्षित तरीके से संग्रहीत है और उस तारीख और समय की मोहर लगी है जो आसानी से ऐतिहासिक डेटा खोज को हासिल करने में सक्षम है। रिकॉर्ड प्रबंधन पर मौजूदा अनुदेश, जैसा कि इस एमडी में निर्धारित है, वी-सीआईपी के लिए भी लागू होगा।

(ii) वीसीआईपी प्रदर्शन करने वाले अधिकारी के विवरण के साथ गतिविधि लॉग संरक्षित किया जाएगा।

II. केवाईसी का आवधिक अद्यतन:

संशोधित धारा 38:

केवाईसी के आवधिक अद्यतन के लिए जोखिम आधारित दृष्टिकोण अपनाएगा। हालाँकि, खाता खोलने की तिथि/अंतिम केवाईसी अद्यतन से उच्च जोखिम वाले ग्राहकों के लिए हर दो साल में कम से कम एक बार, मध्यम जोखिम वाले ग्राहकों के लिए हर आठ साल में एक बार और कम जोखिम वाले ग्राहकों के लिए दस साल में एक बार आवधिक अद्यतन किया जाएगा। इस संबंध में नीति को आरई की आंतरिक केवाईसी नीति के भाग के रूप में प्रलेखित किया जाएगा, जिसे आरई के निदेशक मंडल या बोर्ड की किसी भी समिति द्वारा अनुमोदित किया गया है, जिसे शक्ति को प्रत्यायोजित किया गया है।

i. वैयक्तिक ग्राहक:

क) केवाईसी जानकारी में कोई बदलाव नहीं: केवाईसी जानकारी में कोई बदलाव नहीं होने की स्थिति में, ग्राहक से इस संबंध में एक स्व-घोषणा, आरई के साथ पंजीकृत ग्राहक के ईमेल-आईडी, आरई के साथ पंजीकृत मोबाइल नम्बर, एटीएम, डिजिटल चैनल (जैसे ऑनलाइन बैंकिंग / इंटरनेट बैंकिंग, आरई का मोबाइल एप्लीकेशन), पत्र आदि के माध्यम से प्राप्त की जाएगी।

ख) पते में परिवर्तन: केवल ग्राहक के पते के विवरण में परिवर्तन के मामले में, नए पते का एक स्व-घोषणा आरई के साथ पंजीकृत ग्राहक के ईमेल आईडी, आरई के साथ पंजीकृत ग्राहक के मोबाइल नंबर, एटीएम, डिजिटल चैनल (जैसे ऑनलाइन बैंकिंग / इंटरनेट बैंकिंग, आरई का मोबाइल एप्लिकेशन), पत्र आदि के माध्यम से प्राप्त किया जाएगा और घोषित पते को दो महीने के भीतर सकारात्मक पुष्टि के माध्यम से सत्यापित किया जाएगा, जिसमें पता सत्यापन पत्र, संपर्क बिंदु सत्यापन, डिलिवरेबल्स आदि शामिल होंगे।

साथ ही, आरई, अपने विकल्प पर, ओवीडी की एक प्रति या ओवीडी या उसके समतुल्य ई-दस्तावेज़ों की प्रतिलिपि प्राप्त कर सकते हैं, जैसा कि आवधिक अद्यतन के समय पर ग्राहक द्वारा घोषित पते के प्रमाण के उद्देश्य से धारा 3 (क) (xiii) में परिभाषित किया गया है। तथापि, ऐसी आवश्यकता को आरई द्वारा अपनी आंतरिक केवाईसी नीति में स्पष्ट रूप से विनिर्दिष्ट किया जाना चाहिए, जिसे आरई के निदेशक मंडल या बोर्ड की किसी भी समिति द्वारा अनुमोदित किया गया हो, जिसको शक्ति प्रत्यायोजित किया गया है।

ग) ग्राहकों के खाते, जो खाता खोलते समय अवयस्क थे, उनके वयस्क होने पर: जिन ग्राहकों के खाते तब खोले गए थे जब वे अवयस्क थे, उनके वयस्क होने पर उनकी नई तस्वीरें प्राप्त की जाएं और उस समय यह सुनिश्चित किया जाए कि वर्तमान सीडीडी मानकों के अनुसार सीडीडी दस्तावेज आरई के पास उपलब्ध हैं। जहाँ कहीं भी आवश्यकता हो, आरई ऐसे ग्राहकों जिनके, लिए खाता तब खोला गया था जब वे अवयस्क थे, उनके वयस्क होने पर, नए केवाईसी करवा सकते हैं।

ii. व्यक्ति के अलावा अन्य ग्राहक:

क) केवाईसी जानकारी में कोई परिवर्तन नहीं: एलई ग्राहक की केवाईसी जानकारी में कोई परिवर्तन नहीं होने की स्थिति में, इस संबंध में एलई ग्राहक से आरई के साथ पंजीकृत ई-मेल आईडी, एटीएम, डिजिटल चैनलों (जैसे ऑनलाइन बैंकिंग / इंटरनेट बैंकिंग, आरई के मोबाइल आवेदन) के माध्यम से एक स्व-घोषणापत्र, इस संबंध में एलई द्वारा अधिकृत एक अधिकारी का पत्र, बोर्ड संकल्प आदि, प्राप्त की जाए। साथ ही, आरई इस प्रक्रिया के दौरान सुनिश्चित करेंगे कि उनके पास उपलब्ध हितधारी स्वामी (बीओ) की जानकारी सटीक है और यदि आवश्यक हो, तो इसे सही रखने के लिए उसी को अद्यतन किया जाए।

ख) केवाईसी जानकारी में परिवर्तन: केवाईसी जानकारी में परिवर्तन के मामले में, आरई, नए एलई ग्राहक को ऑन-बोर्ड करने के लिए लागू केवाईसी प्रक्रिया के समतुल्य प्रक्रिया को करेंगे।

iii. अतिरिक्त उपाय: उपरोक्त के अलावा, आरई यह सुनिश्चित करेंगे –

क) मौजूदा सीडीडी मानकों के अनुसार ग्राहक के केवाईसी दस्तावेज़ उनके पास उपलब्ध हैं।. यह तब भी लागू होता है जब ग्राहक की जानकारी में कोई परिवर्तन नहीं होता है, लेकिन आरई के पास उपलब्ध दस्तावेज वर्तमान सीडीडी मानकों के अनुसार नहीं हैं। साथ ही, अगर आरई के पास उपलब्ध सीडीडी दस्तावेजों की वैधता केवाईसी के आवधिक अद्यतन के समय समाप्त हो गई है, तो आरई, नए ग्राहक को ऑन-बोर्ड करने के लिए लागू केवाईसी प्रक्रिया के समतुल्य प्रक्रिया को करेंगे।

ख) ग्राहक का पैन विवरण, यदि आरई के साथ उपलब्ध है, तो केवाईसी पर आवधिक अद्यतन के समय जारी करने वाले प्राधिकरण के डेटाबेस से सत्यापित किया जाए।

ग) आरई यह सुनिश्चित करेंगे कि आवधिक अद्यतन करने के लिए ग्राहक से स्व-घोषणापत्र सहित प्रासंगिक दस्तावेज (ओं) की प्राप्ति के दिनांक का उल्लेख करने वाली पावती, ग्राहक को प्रदान की जाए। आगे, यह सुनिश्चित किया जाए कि केवाईसी के आवधिक अद्यतन के समय ग्राहकों से प्राप्त सूचना / दस्तावेज आरई के रिकॉर्ड / डाटाबेस में तुरंत अपडेट किए जाएं और ग्राहक को केवाईसी विवरण के अद्यतन की तारीख का उल्लेख करते हुए एक सूचना दी जाए।

घ) ग्राहक सुविधा सुनिश्चित करने के लिए, आरई, उनकी निदेशक मंडल या बोर्ड की किसी समिति, जिसको शक्ति प्रत्यायोजित किया गया हो, द्वारा विधिवत अनुमोदित आंतरिक केवाईसी नीति के अंतर्गत किसी भी शाखा में केवाईसी के आवधिक अद्यतन की सुविधा उपलब्ध कराने पर विचार कर सकते हैं।

ङ) केवाईसी के आवधिक अद्यतन के संबंध में आरई को जोखिम-आधारित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। कोई भी अतिरिक्त और असाधारण उपाय, जो अन्यथा उपरोक्त निदेशों के तहत अनिवार्य नहीं हैं, जो आरई द्वारा अपनाए गए हैं जैसे कि हाल की तस्वीर प्राप्त करने की आवश्यकता, ग्राहक की भौतिक उपस्थिति की आवश्यकता, केवल आरई की शाखा में केवाईसी के आवधिक अद्यतन की आवश्यकता जहाँ खाता अनुरक्षित है, न्यूनतम विनिर्दिष्ट आवधिकता आदि की तुलना में केवाईसी अद्यतन की अधिक लगातार आवधिकता, आरई के निदेशक मंडल या बोर्ड की किसी भी समिति, जिसको शक्ति प्रत्यायोजित है, द्वारा अनुमोदित आंतरिक केवाईसी नीति में स्पष्ट रूप से विनिर्दिष्ट की जानी चाहिए।

च) आरई, यह सुनिश्चित करेंगे कि उनकी आंतरिक केवाईसी नीति और केवाईसी के अद्यतन / आवधिक अद्यतन पर प्रक्रियाएं पारदर्शी हों और ग्राहकों के खिलाफ प्रतिकूल कार्रवाई से बचा जाना चाहिए, जब तक कि विशिष्ट विनियामकीय आवश्यकताओं द्वारा वारंट न किया जाए।

3. तदनुसार, केवाईसी पर एमडी से संबंधित अनुभागों के उपरोक्त परिवर्तनों को प्रतिबिंबित करने के लिए संशोधित किया गया है। संशोधित प्रावधान तत्काल प्रभाव से लागू है।

सादर,

(प्रकाश बलिआरसिंह)
मुख्य महाप्रबंधक


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