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आरबीआई परिपत्रों की सूची


निदेशकों, उनके रिश्तेदारों तथा फर्मों / प्रतिष्ठानों, जिनमें उनकी रुचि है, के लिए ऋण और अग्रिम

भारिबैं/2020-21/89
डीओआर.सीआरजी.सीआरएस.परि.सं.5/13.05.000/2020-21

5 फरवरी, 2021

प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यकारी अधिकारी
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक

महोदय/ महोदया

निदेशकों, उनके रिश्तेदारों तथा फर्मों / प्रतिष्ठानों, जिनमें उनकी रुचि है, के लिए ऋण और अग्रिम

कृपया उपर्युक्त विषय पर हमारे दिनांक 29 अप्रैल, 2003 के परिपत्र बीपीडी.परि.50/13.05.00/2002-03 और बाद में इस संबंध में जारी निर्देशों को देखें।

2. बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 ("अधिनियम") में बैंकिंग विनियमन (संशोधन) अधिनियम, 2020 द्वारा किए गए संशोधन, जो 29 सितंबर, 2020 को अधिसूचित किए गए थे, प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (शसबैं) पर 29 जून, 2020 से प्रभावी माने गए हैं। परिणामतः, शसबैं पर अब मुख्य अधिनियम की धारा 20 लागू हो गई है। उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए शसबैं को उक्त विषय पर जारी किए गए मौजूदा निदेशों की समीक्षा की गई है और तदनुसार संशोधित निदेश निम्नानुसार जारी किए जाते हैं।

3. शसबैं अपने निदेशकों या उनके रिश्तेदारों या उन फर्मों / कंपनियों / प्रतिष्ठानों जिनमें उनके निदेशक या निदेशक के रिश्तेदार रुचि रखते हैं (interested) को, अथवा उनकी ओर से, कोई भी ऋण व अग्रिम अथवा कोई अन्य वित्तीय सहायता (सामूहिक रूप से जिnहें "निदेशक-संबंधित ऋण" कहा जाएगा) प्रदान या नवीनीकृत नहीं करेंगे। इसके अलावा, निदेशक या उनके रिश्तेदार या वे फर्म / कंपनियां / प्रतिष्ठान जिनमें निदेशक या उनके रिश्तेदार रुचि रखते हैं, संबन्धित शसबैं द्वारा स्वीकृत ऋण व अग्रिम अथवा किसी अन्य वित्तीय सहायता के लिए ज़मानतदार / गारंटर भी नहीं बनेंगे। इस उद्देश्य के लिए ‘अग्रिम’ में सभी प्रकार के निधिक / कार्यशील पूंजी सीमा, यथा कैश क्रेडिट, ओवरड्राफ्ट, क्रेडिट कार्ड, आदि शामिल होंगे।

4. तथापि, इन निदेशों के उद्देश्य के लिए निदेशक-संबंधित ऋणों की निम्नलिखित श्रेणियों को “ऋण व अग्रिम” में शामिल नही किया जाएगाः

i. शसबैं के बोर्ड पर मौजूद स्टाफ निदेशक, यदि कोई हो, को नियमित कर्मचारी-संबंधी ऋण;

ii. वेतनभोगियों वाले शसबैं के बोर्ड पर मौजूद निदेशकों को सदस्यों के लिए यथा लागू सामान्य ऋण;

iii. शसबैं के प्रबंध निदेशकों / मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को सामान्य कर्मचारी-संबंधी ऋण;

iv. सरकारी प्रतिभूतियों, सावधि जमाओं और जीवन बीमा पॉलिसियों, जो उनके नाम पर हैं, के बदले निदेशकों या उनके रिश्तेदारों को ऋण।

स्पष्टीकरण: इन निदेशों के उद्देश्य के लिए –

i. 'कोई अन्य वित्तीय सहायता' शब्द में निधिक और गैर-निधिक साख सीमाएँ और हामीदारियाँ तथा उसी प्रकार की यथा निम्नलिखित प्रतिबद्धताएं शामिल होंगी:

क) निधि आधारित सीमाओं में बिल/चेक खरीद/डिस्काउंटिंग, पोतलदानपूर्व और पोतलदानोत्तर ऋण सुविधाओं, पूंजीगत उपकरणों के खरीद सहित किसी भी अन्य उद्देश्य के लिए दी गई आस्थगित भुगतान गारंटी सीमाओं और उस संबंध में उधारकर्ताओं को स्वीकृत स्वीकृति-सीमाओं के रूप में ऋण व अग्रिम, तथा ऐसी गारंटियां जिनके जारी करने पर बैंक अपने ग्राहकों को पूंजीगत आस्तियां प्राप्त करने के लिए वित्तीय दायित्व स्वीकार करता है, शामिल होंगी। इसमें वैसे निवेश भी शामिल होंगे जो क्रेडिट की प्रकृति वाले / के बदले में हैं।

ख) गैर-निधि आधारित सीमाओं में साख-पत्र, अनुच्छेद (क) में संदर्भित गारंटियों को छोडकर अन्य गारंटियां, हामीदारियां एवं उसी प्रकार की प्रतिबद्धताएं शामिल होंगी। इसमें डेरिवेटिव्स (derivatives) के रूप में ऑफ-बैलेंस शीट एक्सपोज़र भी शामिल होंगे।

ii "रिश्तेदार" शब्द का अर्थ निम्नानुसार होगा:

एक व्यक्ति को दूसरे का रिश्तेदार माना जाएगा, यदि और केवल यदि: -

क) वे एक हिंदू अविभाजित परिवार के सदस्य हैं; या

ख) वे पति और पत्नी हैं; या

ग) वे नीचे दिए गए तरीके से एक-दूसरे (या इसके विपरीत) से संबंधित है:

  1. पिता (सौतेले पिता सहित)

  2. माँ (सौतेली माँ सहित)

  3. बेटा (सौतेले बेटे सहित)

  4. बेटे की पत्नी

  5. बेटी (सौतेली बेटी सहित)

  6. बेटी का पति

  7. भाई (सौतेले भाई सहित)

  8. भाई की पत्नी

  9. बहन (सौतेली बहन सहित)

  10. बहन का पति

iii. ”रुचि रखा हुआ” (interested) शब्द से तात्पर्य है, शसबैं का निदेशक या उसका रिश्तेदार, जैसा भी मामला हो, फर्म / कंपनी / प्रतिष्ठान (एचयूएफ़ सहित) का निदेशक, प्रबंध एजेंट, प्रबन्धक, कर्मचारी, प्रोप्राइटर, साझेदार, सहभागी या गारंटर, जैसा भी मामला हो, हो।

परंतु शसबैं का निदेशक या उसका रिश्तेदार उस स्थिति में भी किसी कंपनी, जो एक अनुषंगी या होल्डिंग कंपनी है, में रुचि रखा हुआ माना जाएगा, यदि वह संबन्धित होल्डिंग या अनुषंगी कंपनी का निदेशक, प्रबंध एजेंट, प्रबन्धक, कर्मचारी या गारंटर है ।

परंतु यह और भी कि शसबैं के निदेशक को किसी कंपनी/फर्म में तब भी रुचि रखा हुआ माना जाएगा अगर वह उस कंपनी/फर्म में पर्याप्त रुचि रखता है या वह कंपनी/फर्म उसके नियंत्रण में है, या एक कंपनी में, जो एक अनुषंगी या होल्डिंग कंपनी है, यदि वह संबन्धित होल्डिंग या अनुषंगी कंपनी में पर्याप्त रुचि रखता है या वह कंपनी/फर्म उसके नियंत्रण में है।

परंतु यह और भी कि किसी शसबैं के निदेशक का रिश्तेदार किसी कंपनी/फार्म में तब भी रुचि रखा हुआ माना जाएगा अगर वह उस कंपनी/फर्म का प्रमुख शेयरधारक है या वह कंपनी/फर्म उसके नियंत्रण में है या एक कंपनी में, जो एक अनुषंगी या होल्डिंग कंपनी है, यदि वह संबन्धित होल्डिंग या अनुषंगी कंपनी का प्रमुख शेयरधारक है या वह कंपनी उसके नियंत्रण में है।

iv. “पर्याप्त रुचि” शब्द का वही अर्थ है जो बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 5(एनई) में दिया गया है।

v. “नियंत्रण” शब्द से तात्पर्य है निदेशकों के बहुमत को नियुक्त करने का अधिकार या शेयरधारिता अथवा प्रबंधन अधिकार या शेयरधारिता अनुबंध या वोटिंग अनुबंध के नाते या किसी अन्य प्रकार से सहित किसी व्यक्ति या व्यक्तिगत रूप से अथवा एक साथ मिलकर कार्य कर रहे व्यक्तियों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले प्रबंधन अथवा नीतिगत निर्णयों को नियंत्रित करने का आधिकार।

vi. “प्रमुख शेयरधारक” शब्द से तात्पर्य है प्रदत्त शेयर पूंजी का 10% या उससे अधिक भाग रखने वाला व्यक्ति।

5. शसबैं प्रत्येक तिमाही (अर्थात 31 मार्च, 30 जून, 30 सितंबर और 31 दिसंबर) के अंत पर अपने निदेशक-संबन्धित ऋणों की सूचना इन निदेशों के अनुबंध में दिए गए फॉर्मेट में भारतीय रिज़र्व बैंक के संबन्धित क्षेत्रीय कार्यालय के पर्यवेक्षण विभाग को संबन्धित तिमाही की समाप्ति से पन्द्रह दिनों के भीतर प्रस्तुत करेंगे। अगर शसबैं प्रशासनकर्ता(ओं) / प्रभारी व्यक्ति(यों) / विशेष अधिकारियों के अधीन कार्यरत है, तो शसबैं संबन्धित प्रशासनकर्ता(ओं) / प्रभारी व्यक्ति (यों) / विशेष अधिकारियों या उनके रिश्तेदारों द्वारा प्राप्त ऋणों और अग्रिमों से संबन्धित सूचना प्रस्तुत करेंगे।

6. ये निदेश इस विषय पर पहले जारी किए गए निदेशों/अनुदेशों के अधिक्रमण में हैं तथा तुरंत प्रभाव से लागू होंगे। इस परिपत्र के जारी होने से पहले के निदेशों/अनुदेशों के अनुसार शसबैं द्वारा मंजूर/प्रदान किए गए निदेशक-संबंधी वर्तमान ऋण, यदि कुछ हो तो, को उनकी संबन्धित परिपक्वता तक जारी रहने दिया जा सकता है और उसके बाद उसका नवीकरण नहीं किया जाएगा।

7. इस परिपत्र की एक प्रति आपके बैंक के निदेशक मण्डल के समक्ष उनकी आनेवाली बैठक में प्रस्तुत की जाए और उसकी पुष्टि भारतीय रिज़र्व बैंक के संबन्धित क्षेत्रीय कार्यालय के पर्यवेक्षण विभाग को भेजी जाए।

भवदीय

(मनोरंजन मिश्रा)
मुख्य महाप्रबंधक


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