Click here to Visit the RBI’s new website

आरबीआई परिपत्रों की सूची


विदेशी विधि फ़र्मों द्वारा भारत में शाखा कार्यालय (बीओ) / संपर्क कार्यालय (एलओ)/ परियोजना कार्यालय (पीओ) अथवा अन्य किसी प्रकार के कारोबारी स्थल की स्थापना

भा.रि.बैंक/2020-21/69
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 07

23 नवम्बर 2020

सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय

विदेशी विधि फ़र्मों द्वारा भारत में शाखा कार्यालय (बीओ) / संपर्क कार्यालय (एलओ)/
परियोजना कार्यालय (पीओ) अथवा अन्य किसी प्रकार के कारोबारी स्थल की स्थापना

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I (प्रा.व्या. श्रेणी-I) बैंकों का ध्यान दिनांक 29 अक्तूबर 2015 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 23 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसमें उपर्युक्त मामले के संदर्भ में सूचित किया गया था कि रिज़र्व बैंक / प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों द्वारा किसी भी विदेशी विधि फ़र्म को भारत में अपना संपर्क कार्यालय खोलने संबंधी मामले में, तब तक कोई नई अनुमति नहीं दी जाएगी / दी गई अनुमति का नवीकरण नहीं किया जाएगा, जब तक कि उक्त नीति की, अन्य बातों सहित, माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा इस मामले में किए गए अंतिम निपटान के आधार पर समीक्षा न की जाए।

2. इस मामले के निपटान के समय माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा यह उधृत किया गया है कि भारत में विधि संबंधी व्यवसाय संचालित करने के लिए केवल वही अधिवक्ता पात्र हैं, जो अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के अंतर्गत तैयार की गई नामावली में दर्ज है तथा विदेशी विधि फर्म्स/ कंपनियां अथवा विदेशी अधिवक्ता भारत में विधि संबंधी व्यवसाय का संचालन नहीं कर सकते हैं। इसी प्रकार, विदेशी विधि फर्म्स/ कंपनियों या विदेशी अधिवक्ताओं अथवा भारत के बाहर के निवासी किन्हीं अन्य व्यक्तियों को विधि संबंधी व्यवसाय करने के उद्देश्य से भारत में अपने शाखा कार्यालय, परियोजना कार्यालय, संपर्क कार्यालय अथवा अन्य किसी प्रकार के कारोबारी स्थल को स्थापित करने की अनुमति नही है। तदनुसार, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों को एतदद्वारा निदेशित किया जाता है कि वे विधि संबंधी व्यवसाय करने के उद्देश्य से भारत में अपने शाखा कार्यालय, परियोजना कार्यालय, संपर्क कार्यालय अथवा अन्य किसी प्रकार के कारोबारी स्थल को स्थापित करने हेतु फेमा के तहत किसी प्रकार की अनुमति न दें। इसके अलावा, यह भी सूचित किया जाता है कि इस मामले के संदर्भ में अधिवक्ता अधिनियम के प्रावधानों के किसी प्रकार के उल्लंघन के बारे में यदि उन्हें पता चलता है, तो तत्काल उसे रिज़र्व बैंक के संज्ञान में लाया जाए।

3. बीओ/ एलओ/ पीओ संबंधी नीति के अन्य सभी प्रावधान अपरिवर्तित बने रहेंगे। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं ।

4. इन परिवर्तनों को दर्शाने के लिए दिनांक 1 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं.10 को तदनुसार साथ-साथ अद्यतन किया जा रहा है।

5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11(2) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं।

भवदीय

(रविन्द्र सिंह अमर)
मुख्य महाप्रबंधक


2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
पुरालेख
Server 214
शीर्ष