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भुगतान और निपटान प्रणाली

अर्थव्‍यवस्‍था की समग्र दक्षता में सुधार करने में भुगतान और निपटान प्रणाली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अंतर्गत राशि-मुद्रा, चेकों जैसी कागज़ी लिखतों के सुव्‍यवस्थित अंतरण और विभिन्‍न इलेक्‍ट्रॉनिक माध्‍यमों के लिए विभिन्‍न प्रकार की व्‍यवस्‍थाएं हैं।

प्रेस प्रकाशनी


भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्तीय बाजार अवसंरचनाओं और खुदरा भुगतान प्रणालियों के लिए निरीक्षण रूपरेखा प्रकाशित की

13 जून 2020

भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्तीय बाजार अवसंरचनाओं और खुदरा भुगतान प्रणालियों
के लिए निरीक्षण रूपरेखा प्रकाशित की

रिजर्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर वित्तीय बाजार अवसंरचनाओं (एफएमआई) और खुदरा भुगतान प्रणालियों (आरपीएस) के लिए निरीक्षण रूपरेखा प्रकाशित की।

भुगतान और बाजार अवसंरचनाओं पर समिति (सीपीएमआई) (पहले भुगतान और निपटान प्रणाली पर समिति (सीपीएसएस)) और प्रतिभूति आयोगों के अंतरराष्ट्रीय संगठन (आईओएससीओ) ने कुछ वर्षों में प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण भुगतान प्रणालियों (एसआईपी), केंद्रीय प्रतिभूति निक्षेपागार (सीएसडीएस), प्रतिभूति निपटान प्रणाली (एसएसएसएस), केंद्रीय प्रतिपक्षों (सीसीपी) और व्यापार भंडार (टीआरएस) (जिन्हें सामूहिक रूप से वित्तीय बाजार बुनियादी ढांचा कहा जाता है) के लिए अंतरराष्ट्रीय जोखिम प्रबंधन मानक की स्थापना की है। अप्रैल 2012 में तत्कालीन सीपीएस और आईओएससीओ ने "वित्तीय बाजार अवसंरचनाओं के लिए सिद्धांत" (पीएफएमआई) नामक रिपोर्ट के भाग के रूप में 24 सिद्धांतों का एक व्यापक सेट प्रकाशित किया। पीएफएमआई का मुख्य उद्देश्य अधिक व्यापक रूप से प्रणालीगत जोखिम को सीमित करने और पारदर्शिता और वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए भुगतान, समाशोधन, निपटान और रिकॉर्डिंग व्यवस्था में सुरक्षा और दक्षता को बढ़ाने का है। इन मानकों को यह सुनिश्चित करने के लिए स्थापित किया गया है कि वैश्विक वित्तीय बाजारों का समर्थन करने वाला बुनियादी ढांचा मजबूत हो और वित्तीय झटकों का अच्छी तरह से सामना करने के लिए सक्षम हो।

रिजर्व बैंक ने इसके द्वारा विनियमित एफएमआई की निगरानी और आकलन के लिए पीएफएमआई को अपनाया था और जून 2013 में “रिजर्व बैंक द्वारा विनियमित एफएमआई के विनियमन और पर्यवेक्षण” शीर्षक से एक दस्तावेज तैयार किया था। दस्तावेज का दायरा निगरानी गतिविधियों और एफएमआई के पर्यवेक्षण के लिए तब प्रचलित उपयुक्त साधनों तक सीमित था।

अगले कुछ वर्षों में, एफएमआईज‌ के लिए पर्यवेक्षी कठोरता – ऑनसाइट और ऑफसाइट- दोनों में वृद्धि हुई है। इसके अलावा कई भुगतान विकल्पों की उपलब्धता, स्वीकृति और सुविधा को देखते हुए आरपीएस को महत्व प्राप्त हुआ है। देश में भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) आरपीएस के लिए अम्रेला संगठन प्रणालीगत महत्वपूर्ण भुगतान प्रणाली (एसवाइपीएस) के रूप में उभरा है क्योंकि इसके द्वारा संचालित भुगतान प्रणालियों में संसाधित लेनदेनों की मात्रा महत्वपूर्ण है। रिजर्व बैंक पीपीआई जारीकर्ताओं, एटीएम नेटवर्क, टीईआरडीएस प्लेटफार्मों, एमटीएसएस ऑपरेटरों, कार्ड नेटवर्क आदि जैसे आरपीएसएस का ऑनसाइट और/या ऑफसाइट पर्यवेक्षण करता है ।

तदनुसार रिजर्व बैंक के भुगतान और निपटान प्रणाली विजन 2019-2021 में की गई प्रतिबद्धता के अनुरूप, एफएमआई और आरपीएस के लिए इस निरीक्षण फ्रेमवर्क दस्तावेज को भुगतान प्रणाली संस्थाओं के लिए पर्यवेक्षी रूपरेखा के साथ-साथ पिछले दस्तावेज के समय उत्पन्न पर्यवेक्षी विचारों को शामिल करते हुए अद्यतन किया जा रहा है। इसमें रिजर्व बैंक के निरीक्षण उद्देश्यों और पर्यवेक्षी प्रक्रियाओं के साथ-साथ पीएफएमआई के तहत एफएमआई और एसवाइपीएस की मूल्यांकन पद्धति के विवरण भी दिए गए हैं।

यह दस्तावेज़ पर्यवेक्षी पारदर्शिता और प्रकटीकरण को बढ़ाकर, भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों द्वारा बेहतर नियामक अनुपालन को सक्षम करेगा और ग्राहक जागरूकता को बढ़ाएगा, अंततः हमारे भुगतान प्रणालियों की सुरक्षा और स्थिरता में योगदान देगा।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

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