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शहरी बैंकिंग

शायद यह भूमिका हमारे कार्यकलापों का सबसे अधिक अघोषित पहलू है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत सुविधा के निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए संस्थानों की स्थापना करना, वहनीय वित्तीय सेवाओं की पहुंच में विस्तार करना और वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना शामिल है।

प्रेस प्रकाशनी


बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35 ए के अंतर्गत निदेश – दि सीकेपी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुंबई, महाराष्ट्र

31 अक्टूबर 2019

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35 ए के अंतर्गत
निदेश – दि सीकेपी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुंबई, महाराष्ट्र

दि सीकेपी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुंबई, महाराष्ट्र को दिनांक 30 अप्रैल 2014 के निदेश सं. यूबीडी.सीओ.बीएसडी.आई.सं.डी-34/12.22.035/2013-14 के माध्‍यम से दिनांक 2 मई 2014 की कारोबार समाप्ति से निदेशाधीन रखा गया था। निदेशों की वैधता को अनुवर्ती निदेशों के माध्यम से समय समय पर बढाया गया और पिछली बार इन निदेशों की वैधता को दिनांक 25 सितंबर 2019 के निदेश सं.डीसीबीआर.सीओ.एआईडी/सं.डी-19/12.22.035/2019-20 के माध्यम से बढाया गया जो कि दिनांक 31 अक्टूबर 2019 तक वैध एवं समीक्षाधीन थे।

जन साधारण के सूचनार्थ एतद्द्वारा सूचित किया जाता है कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35 ए की उपधारा (1) में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए एतद्द्वारा निदेश दिया है कि उपर्युक्त बैंक को जारी तथा समय समय पर यथासंशोधित दिनांक 30 अप्रैल 2014 के निदेश सं यूबीडी.सीओ.बीएसडी.आई.सं.डी-34/12.22.035/2013-14, जिसकी वैधता दिनांक 31 अक्टूबर 2019 तक बढाई गई थी, बैंक पर दिनांक 01 नवंबर 2019 से 31 जनवरी 2020 तक अर्थात् अगले तीन माह के लिए वैध रहेंगे, जिसकी सूचना दिनांक 25 अक्टूबर 2019 के निदेश सं डीसीबीआर.सीओ.एआईडी/सं.डी-33/12.22.035/2019-20 के माध्‍यम से दी गई है तथा ये निदेश समीक्षाधीन रहेंगे।

संदर्भाधीन निदेश के अन्य निबंधन एवं शर्तें अपरिवर्तित रहेगी। उपरोक्त वैधता को सूचित करनेवाले दिनांक 25 अक्टूबर 2019 के निदेश डीसीबीआर.सीओ.एआईडी/सं.डी-33/12.22.035/2019-20 की एक प्रति बैंक के परिसर में जनता के सूचनार्थ लगाई गई है।

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उपरोक्त वैधता बढाने या/और संशोधित करने का यह अर्थ न लगाया जाए कि भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंक की वित्तीय स्थिति में वास्तविक सुधार से संतुष्ट है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2019-2020/1064

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