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शहरी बैंकिंग

शायद यह भूमिका हमारे कार्यकलापों का सबसे अधिक अघोषित पहलू है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत सुविधा के निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए संस्थानों की स्थापना करना, वहनीय वित्तीय सेवाओं की पहुंच में विस्तार करना और वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना शामिल है।

प्रेस प्रकाशनी


भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि गोवा अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लि., पणजी (गोवा) पर मौद्रिक दंड लगाया

13 सितंबर 2019

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि गोवा अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लि.,
पणजी (गोवा) पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) ने पर्यवेक्षण कार्य ढांचे (एसएएफ़) पर रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निर्देशों का पालन न करने के लिए दि अर्बन को- ऑपरेटिव बैंक लि. (बैंक) पर 11 सितंबर 2019 के आदेश के द्वारा मौद्रिक दंड लगाया। यह दंड रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त दिशानिर्देशों के अनुपालन में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (अधिनियम) की धारा 46ए (4)(i) और 51(1) के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा किए गए 31 मार्च 2018 की स्थिति के संदर्भ में की गई बैंक की सांविधिक जांच में यह बात सामने आई है कि अन्य बातों के साथ-साथ एसएएफ और जमा खातों के रख-रखाव के संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशों का अनुपालन नहीं किया गया है। बैंक को एक नोटिस जारी किया गया था जिसमें यह सूचित किया गया था कि उपरोक्त निर्देशों का अनुपालन न करने के लिए उन्हें मौद्रिक दंड क्यों नहीं लगाया जाना चाहिए। बैंक के उत्तर पर विचार करने, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक निवेदनों और व्यक्तिगत सुनवाई के बाद बैंक द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतीकरण के पश्चात रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि एसएएफ के संदर्भ में रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निर्देशों का अनुपालन न करने के आरोप में मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

योगेश दयाल  
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2019-2020/698

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