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वित्तीय बाजार

सुचारू ढ़ंग से कार्य करने वाले, चलनिधि युक्त और लचीले वित्तीय बाजार मौद्रिक नीति अंतरण और भारत के विकास के वित्तपोषण में अपरिहार्य जोखिमों के आवंटन और अवशोषण में सहायता करते हैं।

अधिसूचनाएं


स्वर्ण के मूल्य जोखिम से बचाव (हेज) करने के लिए किये गये लेनदेन के लिए रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म

आरबीआई/2024-25/98
विबाविवि.एफएमडी.सं.08/02.03.185/2024-25

27 दिसंबर, 2024

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक

महोदया/महोदय,

स्वर्ण के मूल्य जोखिम से बचाव (हेज) करने के लिए किये गये लेनदेन के लिए रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान रिज़र्व बैंक द्वारा जारी और समय-समय पर यथासंशोधित निम्नलिखित निदेशों की ओर आकर्षित किया जाता है:

ए) स्वर्ण/चांदी/प्लैटिनम की बिक्री – वायदा संविदा पर डीबीओडी.सं.आईबीएस. 817/23.67.001/2002-03, दिनांक 26 अक्टूबर, 2002;

बी) स्वर्ण मुद्रीकरण योजना, 2015 पर मास्टर निदेश सं.डीबीआर.आईबीडी.सं.45/23.67.003/2015-16, दिनांक 22 अक्टूबर, 2015;

सी) मास्टर निदेश - जोखिम प्रबंध और अंतर-बैंक डीलिंग, एफएमआरडी मास्टर निदेश सं. 1/2016-17, दिनांक 05 जुलाई 2016 के माध्यम से; तथा

डी) मास्टर निदेश - विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी बाजारों में कमोडिटी मूल्य जोखिम और मालभाड़ा जोखिम की हेजिंग) निदेश, 2022, एपी (डीआईआर श्रृंखला) परिपत्र सं. 20, दिनांक 12 दिसंबर, 2022 के माध्यम से

2. यह निर्णय लिया गया है कि बैंकों और उनके ग्राहकों/घटकों द्वारा किये गये स्वर्ण डेरिवेटिव में लेनदेनों की रिपोर्टिंग को निम्नानुसार अनिवार्य बनाया जाए:

ए) सभी बैंक, 01 फरवरी 2025 से घरेलू बाजारों, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) और भारत के बाहर पूर्वोक्त विनियमों के अनुसार उनके द्वारा किये गये स्वर्ण डेरिवेटिव में सभी ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) लेनदेन की रिपोर्ट क्लियरिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सीसीआईएल) की ट्रेड रिपोजिटरी (टीआर) को करेंगे।

बी) सभी बैंक, 01 फरवरी 2025 से घरेलू बाजारों और आईएफएससी में अपने पात्र ग्राहकों/घटकों द्वारा पूर्वोक्त विनियमों के अनुसार किये गये स्वर्ण डेरिवेटिव में सभी ओटीसी लेनदेन की रिपोर्ट टीआर को करेंगे।

सी) बैंक अपने या अपने पात्र ग्राहकों/घटकों द्वारा किये गये उपर्युक्त सभी लेनदेन की रिपोर्ट अगले कार्य दिवस की दोपहर 12:00 बजे से पहले टीआर को करेंगे।

डी) बैंक पूर्वोक्त विनियमों के अनुसार किये गये सभी संशोधनों और लेनदेनों के मोचन (अनवाइंडिंग) के बारे में टीआर को रिपोर्ट करेंगे।

ई) रिपोर्टिंग प्रारूप रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन से सीसीआईएल द्वारा दर्शाए गए अनुसार होंगे।

3. एकबारगी उपाय के रूप में, डेटा की पूर्णता सुनिश्चित करने के लिए, बैंक घरेलू बाजारों, आईएफएससी और भारत के बाहर उनके द्वारा पूर्वोक्त विनियमों के अनुसार किये गये स्वर्ण डेरिवेटिव में सभी परिपक्व और बकाया ओटीसी लेनदेन और घरेलू बाजारों और आईएफएससी में अपने पात्र ग्राहकों/घटकों द्वारा 15 अप्रैल, 2024 से किये गये लेनदेन की रिपोर्ट 28 फरवरी 2025 तक टीआर को करेंगे।

4. बैंक 31 दिसंबर 2024 को समाप्त तिमाही से शुरू होने वाली अगली तिमाही के दस दिनों के भीतर अनुबंध में निर्धारित प्रारूप में आईएफएससी और विदेशों में एक्सचेंजों में और आईएफएससी में एक्सचेंजों में उनके पात्र ग्राहकों/घटकों द्वारा स्वर्ण डेरिवेटिव में किये गये लेनदेन की तिमाही रिपोर्ट रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करेंगे।

5. ये निदेश भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45डबल्यू, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 10(4), 11(1) और 11(2) और बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक में निहित शक्तियों के अंतर्गत जारी किये गये हैं और किसी अन्य कानून के तहत अपेक्षित अनुमतियों/अनुमोदनों, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना हैं।

भवदीया,

(डिम्पल भांडिया)
मुख्य महाप्रबंधक

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