Click here to Visit the RBI’s new website

सरकार का बैंक और ऋण प्रबंधक

सरकार के बैंकिंग लेनदेनों का प्रबंध करना रिज़र्व बैंक की प्रमुख भूमिका है। सरकार को व्‍यक्ति, कारोबार और बैंकों की भांति अपने वित्‍तीय लेनदेनों, जिसके अंतर्गत जनता से संसाधनों का जुटाया जाना भी शामिल है, को दक्षतापूर्वक और प्रभावी तरीके से पूरा करने के लिए एक बैंकर की आवश्‍यकता पड़ती है।

अधिसूचनाएं


सरकारी प्राप्तियों का सरकारी खाता में विलंब से विप्रेषण के संबंध में दण्‍डात्‍मक ब्‍याज की वसूली

भारिबैं/2019-20/248
डीजीबीए.जीबीडी.सं.1909/42.01.011/2019-20

29 मई 2020

अध्‍यक्ष और प्रबंध निदेशक/प्रबंध निदेशक/सीईओ
सभी एजेंसी बैंक

महोदय/महोदया

सरकारी प्राप्तियों का सरकारी खाता में विलंब से विप्रेषण के संबंध में दण्‍डात्‍मक ब्‍याज की वसूली

कृपया दिनांक 26 सितंबर 2019 का हमारा परिपत्र आरबीआई/2019-20/70 डीजीबीए.जीबीडी.सं.653/42.01.011/2019-20 देखें जिसके जरिए एजेंसी बैंकों को सूचित किया गया था कि ऐसे छोटे दावे का दण्‍डात्‍मक ब्‍याज जिसमें रु. 500/- (लेनदेने के आधार पर) या उससे कम की राशि शामिल है को हिसाब में नहीं लिया जाएगा और राज्‍य सरकार के लेनदेनों की विलंब से रिपोर्टिंग संबंधी दण्‍डात्‍मक ब्‍याज के दायरे से बाहर रखा गया, इसलिए इसे केंद्रीय सरकार के लेनदेनों की रिपोर्टिंग संबंधी अनुदेशों के समान लाया गया है। इन अनुदेशों को नियंत्रक और महालेखा परीक्षक भारत (सी एण्‍ड एजी) के अनुमोदन से जारी किया गया था।

2. सी एण्‍ड एजी का कार्यालय ने अब सूचित किया है कि उन्‍होंने महालेखाकार से प्राप्‍त फीडबैक /प्रतिसूचना के आधार इस मामले पर पुन: विचार किया है और इसलिए रु. 500/- या उससे कम की राशि पर दण्‍डात्‍मक ब्‍याज को हिसाब में न लेने के प्रस्‍ताव से सहमत नहीं है। सी एण्‍ड एजी का कार्यालय ने सूचित किया है कि उन्‍होंने पहले दिए गए उनकी सहमति को हटा लिया है जिसके आधार पर भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 26 सितंबर 2019 को उपर्युक्‍त परिपत्र के जरिए अनुदेश जा‍री किया था और साथ ही यह भी कहा है कि एजी कार्यालयों को यह सूचित किया जा रहा है कि दण्‍डात्‍मक ब्‍याज की गणना के सभी मामले के लिए पहले के परिपत्र को ध्‍यान में न रखा जाए।

3. साथ ही, सी एण्‍ड एजी का कार्यालय ने यह भी सूचित किया है कि चूंकि दिनांक 21 मार्च 2007 का परिपत्र सं.आरबीआई/2007/291/डीजीबीए जीएडी.सं.एच-14061/31.04.008/2006-07 के जरिए रु. 1 लाख और 1 लाख से अधिक तक के मूल्‍य वाले लेनदेन के आधार पर दण्‍डात्‍मक ब्‍याज की गणना की विधि पहले ही बताई गई है, अत: रु. 500/- या उससे कम (दिनांक 18 फरवरी 2013 के हमारे परिपत्र डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-4831/42.01.011/2012-13 के अनुसार) के लिए और फिल्‍टर करने की आवश्‍यकता नहीं है।

4. तद्नुसार, एजेंसी बैंकों को सूचित किया जाता है कि दिनांक 26 सितंबर 2019 का परिपत्र आरबीआई/2019-20/70 डीजीबीए.जीबीडी.सं.653/42.01.011/2019-20 को इसके निर्गम की तिथि से वापस किया/हटाया जाता है। एजेंसी बैंक कृपया यह ध्‍यान रखें कि सी एण्‍ड एजी के कार्यालय द्वारा बताए गए अनुसार राज्‍य सरकार के लेनदेनों की विलंबित रिपोर्टिंग के लिए दण्‍डात्‍मक ब्‍याज की गणना भारतीय रिज़र्व बैंक का परिपत्र दिनांक 21 मार्च 2007, आरबीआई/2007/291डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-14061/31.04.008/2006-07 में दिए गए अनुदेश के अनुसार रु. 500/- या उससे कम के राशि के लिए बिना और फिल्‍टर किए की जाए।

5. आपसे अनुरोध है कि इस अनुदेश को राज्‍य सरकार के लेनदेनों को संचालित करने वाले आपके अधिकृत शाखाओं के ध्‍यान में तत्‍काल लाएं।

भवदीया

(चारुलता एस कर)
मुख्‍य महाप्रबंधक

2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
पुरालेख
Server 214
शीर्ष