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शहरी बैंकिंग

शायद यह भूमिका हमारे कार्यकलापों का सबसे अधिक अघोषित पहलू है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत सुविधा के निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए संस्थानों की स्थापना करना, वहनीय वित्तीय सेवाओं की पहुंच में विस्तार करना और वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना शामिल है।

अधिसूचनाएं


प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (शसबैं) द्वारा प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी लक्ष्य की प्राप्ति में चूक – ग्रामीण आधारभूत संरचना विकास निधि (आरआईडीएफ) और अन्य निधियों में अंशदान

आरबीआई/2019-20/226
डीओआर(पीसीबी).बीपीडी.परि.सं.12/09.09.002/2019-20

24 अप्रैल 2020

मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक

महोदया / महोदय,

प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (शसबैं) द्वारा प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी लक्ष्य की प्राप्ति में चूक – ग्रामीण आधारभूत संरचना विकास निधि (आरआईडीएफ) और अन्य निधियों में अंशदान

कृपया दिनांक 10 मई 2018 के हमारे परिपत्र डीसीबीआर.बीपीडी(पीसीबी).परि.सं.07/09.09.002/2017-18 का संदर्भ लें जिसके तहत प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (शसबैं) के लिए प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी संशोधित दिशानिर्देश जारी किए गए थे।

2. मौजूदा दिशानिर्देशों की समीक्षा करते हुए यह निर्णय लिया गया है कि दिनांक 31 मार्च 2021 से सभी शसबैं (सर्वसमावेशी निदेशाधीन शसबैं को छोडकर) को प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार (पीएसएल) संबंधी निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति में कमी के एवज में नाबार्ड स्थित ग्रामीण आधारभूत संरचना विकास निधि (आरआईडीएफ) और नबार्ड / एनएचबी / सिडबी / मुद्रा लिमिटेड के साथ अन्य निधियों में अंशदान करना होगा। इस संबंध में परिचालन संबंधी ब्योरा निम्नानुसार है:

  1. पीएसएल उपलब्धि को वित्त वर्ष के अंत में वर्ष के प्रत्येक तिमाही के अंत में प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र संबंधी लक्ष्य / उप-लक्ष्य की प्राप्ति के औसत के आधार पर तय किया जाएगा। पीएसएल उधार संबंधी लक्ष्य की प्राप्ति में कमी वाले शसबैं (सर्वसमावेशी निदेशाधीन शसबैं को छोडकर) को नाबार्ड के ग्रामीण आधारभूत संरचना विकास निधि (आरआईडीएफ) और अन्य संबंधित निधियों में अंशदान हेतु राशि का निर्धारण रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर किया जाएगा।

  2. आरआईडीएफ और अन्य निधियों में शसबैं के अंशदान पर ब्याज दर, जमाराशि की अवधि, आदि का निर्धारण रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर किया जाएगा।

  3. रिज़र्व बैंक के पर्यवेक्षण विभाग द्वारा गलत वर्गीकरण, अगर कुछ हो तो, के रिपोर्ट किए जाने पर जिस वर्ष के लिए राशि का गलत वर्गीकरण हुआ है, उस वर्ष की लक्ष्य-प्राप्ति से उसको समायोजित / कम किया जाएगा ताकि अनुवर्ती सालों में विभिन्न निधियों हेतु आबंटन किया जा सके।

3. यह भी निर्णय लिया गया है कि 31 मार्च 2021 से पीएसएल लक्ष्यों की प्राप्ति में चूक को शसबैं को ‘वित्तीय रूप से मजबूत और सुप्रबंधित’ (एफएसडब्ल्यूएम) के रूप में वर्गीकृत करने के मानदंड के रूप में शामिल नहीं किया जाएगा। तथापि, विभिन्न उद्देश्यों के लिए विनियामक मंजूरी/अनुमोदन प्रदान करते समय इसको ध्यान में रखा जाएगा।

4. कृपया इस परिपत्र की एक प्रति आपके बैंक के निदेशक मंडल की अगली बैठक में प्रस्तुत की जाए और उसकी पुष्टि हमारे संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय के पर्यवेक्षण विभाग को भेजी जाए।

भवदीय,

(नीरज निगम)
मुख्य महाप्रबंधक

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