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शहरी बैंकिंग

शायद यह भूमिका हमारे कार्यकलापों का सबसे अधिक अघोषित पहलू है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत सुविधा के निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए संस्थानों की स्थापना करना, वहनीय वित्तीय सेवाओं की पहुंच में विस्तार करना और वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना शामिल है।

अधिसूचनाएं


बड़े ऋणों से संबंधित केंद्रीय सूचना भंडार (सीआरआईएलसी) में वृहत् एक्सपोजर के संबंध में रिपोर्टिंग करना-यूसीबी

भारिबैं/2019-20/144
भा.रि.बैं/प.वि./OSMOS.No.4633/33.05.001/2019-20

16 जनवरी, 2020

प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक

महोदय/महोदया

बड़े ऋणों से संबंधित केंद्रीय सूचना भंडार (सीआरआईएलसी) में वृहत् एक्सपोजर के संबंध में रिपोर्टिंग करना-यूसीबी

हम, “बड़े ऋणों से संबंधित केंद्रीय सूचना भंडार (सीआरआईएलसी) में वृहत् एक्सपोजर के संबंध में रिपोर्टिंग करना-यूसीबी” पर दिनांक 27 दिसंबर, 2019 के भारतीय रिज़र्व बैंक के परिपत्र संख्या DOR (PCB).BPD.Cir.No.7/13.05.000/2019-20 की ओर आपका ध्यान आकर्षित करते हैं। दिशानिर्देशों के संदर्भ में प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी) (आगे “बैंक” के रूप में उल्लिखित) जिनकी पिछले वित्तीय वर्ष के 31 मार्च तक कुल आस्ति 500 करोड़ और उससे अधिक है, उन सभी उधारकर्ताओं की ऋण संबंधी सूचना रिज़र्व बैंक के अधीन बड़े ऋणों से संबंधित केंद्रीय सूचना भंडार (सीआरआईएलसी) को रिपोर्ट करेंगे जिनके खाते को विशेष उल्लिखित खाता (एसएमए) के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिनका उनके पास कुल एक्सपोजर 5 करोड़ और उससे अधिक है। कुल एक्सपोजर में उधारकर्ताओं से संबंधित निवेशी एक्सपोजर सहित सभी निधि आधारित और गैर-निधि आधारित एक्सपोजर शामिल होंगे।

2. सीआरआईएलसी-यूसीबी में रिपोर्टिंग हेतु परिचालन संबंधी दिशानिर्देश इस प्रकार हैं:

i. आरंभ में सीआरआईएलसी-यूसीबी विवरणी की रिपोर्टिंग की अवधि तिमाही है। बैंको के लिए यह जरूरी है कि वे बड़े एक्सपोजरों के संबंध में डेटा को तिमाही की समाप्ति पर 30 दिनों के भीतर आरबीआई के एक्सबीआरएल प्लेटफॉर्म द्वारा प्रस्तुत करें। बैंक विवरणी को निरंतर आवधिकता पर प्रस्तुत करने के लिए उपयुक्त प्रणालियों को तैयार रखें।

ii. सीआरआईएलसी-यूसीबी विवरणी में तीन खंड शामिल होंगे जैसे- खंड 1: बड़े उधारकर्ताओं का एक्सपोजर, खंड 2: तकनीकी / विवेकपूर्ण रूप से बट्टे खाते डाले गए खातों की रिपोर्टिंग और खंड 3: चालू खाते में शेष राशि की रिपोर्टिंग, इस प्रकार हैं:

क) खंड 1 में: बड़े उधारकर्ताओं का एक्सपोजर, बैंक के लिए यह जरूरी है कि वह सभी उधारकर्ताओं, जिनका कुल एक्‍सपोजर (निधि-आधारित, गैर-निधि आधारित और निवेशी एक्सपोजर) 5 करोड़ और उससे अधिक का है, की ऋण संबंधी सूचना रिपोर्ट करे।

ख) खंड 2 में: तकनीकी / विवेकपूर्ण रूप से बट्टे खाते डाले गए खातों की रिपोर्टिंग, बैंक के लिए यह जरूरी है कि वह ऐसे उधारकर्ताओं जिनकी तकनीकी/विवेकपूर्ण रूप से बट्टे खाते में डाली गई राशि 5 करोड़ या उससे अधिक है और जिसे खंड 1 में रिपोर्ट नहीं किया गया है, के बट्टे खाते में डाली गई राशियों संबंधी डेटा रिपोर्ट करें।

ग) खंड 3 में: चालू खाते में शेष राशि की रिपोर्टिंग, बैंक के लिए यह जरूरी है कि वह चालू खाता धारकों के डेटा की रिपोर्ट करे, जिनकी (i) शेष राशि (या तो क्रेडिट या डेबिट) चालू खाते में रिपोर्टिंग तिथि को: 1 करोड़ या उससे अधिक है या (ii) रिपोर्टिंग तिमाही के दौरान कुल क्रेडिट योग (सभी क्रेडिट लेनदेन का योग) 5 करोड़ रुपए और उससे अधिक है या (iii) रिपोर्टिंग तिमाही के दौरान डेबिट योग का कुल (सभी डेबिट लेनदेन का योग) 5 करोड़ और उससे अधिक है।

iii. प्रत्येक खंड के लिए विस्तृत दिशानिर्देश सीआरआईएलसी-यूसीबी रिटर्न इंस्टॉलर (मैक्रो इनेबल्ड एक्सेल टेम्पलेट) में दिए गए हैं।

iv. बैंक, भारतीय रिज़र्व बैंक को बड़े ऋणों से संबंधित डेटा प्रस्तुत करते समय डेटा की सटीकता और संपूर्णता का अत्यधिक ध्यान रखें, इसमें विफल रहने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

3. ऊपर उल्लिखित डीओआर दिशानिर्देशों के आलोक में और बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 (एएसीएस) की धारा 56 (ए) (i) के साथ पठित धारा 27 (2) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, आपको सूचित किया जाता है कि सीआरआईएलसी-यूसीबी विवरणी में डेटा दिनांक 31 दिसंबर, 2019 को समाप्त तिमाही से प्रस्तुत करें। रिपोर्टिंग का प्रारूप संलग्न है।

भवदीय,

(आर रविकुमार)
मुख्य महाप्रबंधक

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