शहरी बैंकिंग

शायद यह भूमिका हमारे कार्यकलापों का सबसे अधिक अघोषित पहलू है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत सुविधा के निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए संस्थानों की स्थापना करना, वहनीय वित्तीय सेवाओं की पहुंच में विस्तार करना और वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना शामिल है।

अधिसूचनाएं


बैंकिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए केंद्रीय सूचना प्रणाली (सीआईएसबीआई - सिसबी) के तहत बैंक / शाखा के विवरण संबंधी प्रोफॉर्मा और रिपोर्टिंग में संशोधन

आरबीआई/2019-20/81
डीसीबीआर.बीपीडी.(पीसीबी/आरसीबी).परि.सं.04/07.01.000/2019-20

11 अक्टूबर 2019

मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक /
सभी राज्य सहकारी बैंक /
सभी जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक

महोदया / प्रिय महोदय,

बैंकिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए केंद्रीय सूचना प्रणाली (सीआईएसबीआई - सिसबी) के तहत बैंक / शाखा के विवरण संबंधी प्रोफॉर्मा और रिपोर्टिंग में संशोधन

कृपया शाखा बैंकिंग सांख्यिकी – तिमाही विवरणी की प्रस्तुति – प्रोफोर्मा I एवं II में संशोधन पर हमारे दिनांक 09 मई 2007 के परिपत्र UBD.CO.LS.Cir.No./43/07.01.000/2006-07 और 06 जुलाई 2005 के परिपत्र RPCD.CO.RF.No.BC.9/07.06.00/2005-06 का संदर्भ लें।

2. भारतीय रिज़र्व बैंक भारत में सभी बैंक शाखाओं / कार्यालयों / गैर-प्रशासनिक स्वतंत्र कार्यालयों (एनएआईओ) / ग्राहक सेवा स्थल (सीएसपी) की निर्देशिका (जो मास्टर ओफिस फाइल (एमओएफ़) प्रणाली के नाम से जानी जाती है) रखता है, जो कि बैंकों द्वारा ई-मेल के जरिए प्रस्तुत प्रोफॉर्मा I और प्रोफॉर्मा II के आधार पर अद्यतन की जाती है। यह प्रणाली बैंक शाखाओं / कार्यालयों / एनएआईओ / सीएसपी को आधार (बेसिक) सांख्यिकीय रिटर्न (बीएसआर) कोड / प्राधिकृत डीलर (एडी) कोड आवंटित करती है।

3. शाखा लाइसेंसिंग और वित्तीय समावेशन नीतियों के साथ अतिरिक्त पहलुओं/ विशेषताओं के अपेक्षित कवरेज की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, लेगेसी एमओएफ़ प्रणाली को प्रतिस्थापित करने के लिए एक नई रिपोर्टिंग प्रणाली, बैंकिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए केंद्रीय सूचना प्रणाली (सीआईएसबीआई - सिसबी) (https://cisbi.rbi.org.in) को वेब पर डाला गया गया है।

4. नई प्रणाली के तहत, सभी सहकारी बैंकों से अपनी सूचना पूर्व प्रणाली के अनुसार प्रोफार्मा- I और प्रोफार्मा- II को अलग-अलग प्रस्तुत करने की बजाय सिसबी पोर्टल पर एक ही प्रोफार्मा (अनुबंध- I) में प्रस्तुत करना अपेक्षित है। नए प्रोफार्मा को ऑनलाइन जमा करने संबंधी अनुदेश अनुबंध- II में दिए गए हैं। बैंकों द्वारा पूर्व में प्रस्तुत की गई सभी सूचनाएँ सिसबी में स्थानांतरित कर दी गई है और आगे से अतिरिक्त सूचनाएँ सिसबी में रिपोर्ट की जानी चाहिए। रिपोर्टिंग को सुविधाजनक बनाने के लिए सिसबी पोर्टल पर संबंधित परिपत्र, उपयोगकर्ता मैनुअल और अन्य संबंधित दस्तावेज उपलब्ध हैं।

5. रिज़र्व बैंक ने बैंकों के नोडल अधिकारियों को सिसबी में अपनी जानकारी प्रस्तुत करने के लिए लॉगिन क्रेडेंशियल प्रदान किए हैं। सिसबी का एक्सैस पाने हेतु अनुरोध mofbsd@rbi.org.in पर ईमेल से भी भेजा जा सकता है। बैंक सिसबी पर अनुबंध- III में दिए गए दिशानिर्देशों के अनुसार सूचना प्रस्तुत करेंगे और उचित सत्यापन के पश्चात सिसबी द्वारा बैंक शाखा / कार्यालय / एनएआईओ / सीएसपी को कोड आवंटित किया जाएगा। स्थिति परिवर्तन के मामले में, बैंकों को केवल संबंधित भाग को संशोधित करने की आवश्यकता होगी। सभी सहकारी बैंको को बैंक शाखाओं / कार्यालयों / एनएआईओ / सीएसपी के खोलने, बंद करने, विलयन, स्थानांतरण और रूपान्तरण संबंधी सूचना सिसबी पोर्टल पर ऑनलाइन तुरंत प्रस्तुत करनी होगी एवं इसमें किसी भी मामले में एक सप्ताह से अधिक का विलंब नहीं होना चाहिए

6. सिसबी पर डेटा की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए बैंको द्वारा हर महीने के अंतिम सप्ताह में, सिसबी में पिछले महीने के अंतिम दिन की स्थिति की 'शून्य रिपोर्ट' तैयार की जानी चाहिए, जो कि कार्यशील शाखाओं, कार्यालयों, एनएआईओ, सीएसपी की कुल संख्या दिखाएगी। बैंको को ‘शून्य रिपोर्ट’’ की सटीकता प्रमाणित करने के बाद इसे सिसबी के माध्यम से प्रस्तुत करना होगा। बैंक इस सुविधा का उपयोग उनसे संबन्धित जानकारी को एक्सैस / डाउनलोड करने के लिए भी कर सकते हैं।

7. यह भी सूचित किया जाता है कि सिसबी के पास बैंक स्तरीय पूर्ण विवरण (जैसे बैंक श्रेणी, बैंक-समूह, बैंक कोड, जारी किए गए लाइसेंस का प्रकार, पंजीकरण विवरण, संचालन का क्षेत्र, कार्यालयों के पते, वरिष्ठ अधिकारियों के संपर्क विवरण आदि) एवं इनमें सभी परिवर्तनों का समय स्टैम्प के साथ इतिहास रखने का प्रावधान भी है। पहली बार सिसबी का एक्सैस करने के पश्चात, सहकारी बैंक उन सभी स्थानो पर सही और अद्यतन बैंक स्तरीय जानकारी प्रस्तुत करना सुनिश्चित करेंगे जिनमें बैंक के पास जानकारी प्रस्तुत / अद्यतन करने का अधिकार उपलब्ध है। बैंको द्वारा सिसबी पोर्टल पर प्रारंभिक जानकारी प्रस्तुत करने के पश्चात, सहकारी बैंक पर्यवेक्षण विभाग के संबन्धित क्षेत्रीय कार्यालय को इस परिपत्र के जारी करने के एक महीने के भीतर एक बारगी यह पुष्टि भेजी जानी चाहिए कि “सिसबी में सही और अद्यतन बैंक स्तरीय सूचना प्रस्तुत की गई है”। बैंक स्तरीय जानकारी में बाद में किसी भी परिवर्तन की स्थिति में बैंकों द्वारा उसे तुरंत सिसबी में अद्यतन हेतु प्रस्तुत करना होगा ।

8. ये अनुदेश इस विषय पर अब तक जारी सभी अनुदेशों के अधिक्रमण में जारी किए गए हैं।

भवदीया,

(माला सिन्हा)
प्रभारी महाप्रबंधक

संलग्न : यथोक्त


अनुबंध-III

सीआईएसबीआई (सिसबी) के उपयोग पर सहकारी बैंको को दिशानिर्देश

भारतीय रिजर्व बैंक, विनियामक विभागों [ अर्थात बैंकिंग विनियमन विभाग एवं सहकारी बैंक विनियमन विभाग ] द्वारा जारी किए गए मौजूदा शाखा प्राधिकरण परिपत्रों के संदर्भ में बैंको द्वारा रिपोर्ट किए गए सभी बैंक शाखाओं / कार्यालयों की अवस्थिति एवं व्यावसायिक गतिविधियों के विवरणो पर डाटाबेस को बनाए रखने के लिए मास्टर ऑफिस फ़ाइल (एमओएफ़) प्रणाली का उपयोग कर रहा है। बुनियादी सांख्यिकी रिटर्न (बीएसआर) कोड़ (भाग -I और भाग -II) एमओएफ़ प्रणाली के माध्यम से आवंटित किए जाते हैं।

2. शाखा लाइसेंसिंग और वित्तीय समावेशन नीतियों के साथ साथ अतिरिक्त आयामो / सुविधाओं की सुरक्षित तरीके से कवरेज की आवश्यकता के अनुरूप, एमओएफ़ प्रणाली को एक नए वेब-आधारित “सेंट्रल इन्फॉर्मेशन सिस्टम फॉर बैंकिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर (सीआईएसबीआई – सिसबी)” द्वारा प्रतिस्थापित किया जा रहा है। सांख्यिकी और सूचना प्रबंध विभाग (डीएसआईएम), केन्द्रीय कार्यालय, भारतीय रिजर्व बैंक में बैंक ब्रांच सांख्यिकी प्रभाग (बीबीएसडी) सिसबी की नोडल इकाई होगी और भारतीय रिजर्व बैंक के अन्य विभागों, बैंको, अन्य वित्तीय संस्थानो और हितधारको के साथ समन्वय करेगी।

3. नई प्रणाली के तहत बैंको द्वारा बैंक, शाखा, कार्यालय, एनएआईओ, अन्य निश्चित ग्राहक सेवा स्थल (सीएसपी) (जैसे एटीएम इत्यादि) से संबन्धित जानकारी को सिसबी में प्रस्तुत किया जाएगा। सिसबी को एक्सैस करने के लिए, प्रत्येक बैंक को दो प्रकार की यूजर आईडी आवंटित की जाती है: (i) “बैंक एडमिन आईडी”और (ii) “बैंक यूजर आईडी”। भारतीय रिजर्व बैंक (डीएसआईएम – बीबीएसडी) प्रत्येक बैंक के लिए एकल “बैंक एडमिन आईडी” बनाएगा, जो तत्पश्चात स्वयं कई “बैंक यूजर आईडी” बना सकता है। बैंक “बैंक एडमिन आईडी” का उपयोग करके स्वयं से संबन्धित जानकारी को अद्यतन कर सकते हैं और नयी शाखाओं / कार्यालयों / एनएआईओं / सीएसपी अथवा मौजूदा शाखाओं / कार्यालयों / एनएआईओं / सीएसपी की स्थिति / पते, बंद होने / विलय / रूपान्तरण / स्थानांतरण / स्थान बदलने / उन्नयन आदि में किसी भी बदलाव को दोनों आईडी का उपयोग करके रिपोर्ट कर सकते हैं। हालांकि, केवल “बैंक एडमिन आईडी” (और “बैंक यूजर आईडी” नही) ही बैंक से संबन्धित जानकारी में परिवर्तन कर सकते हैं।

4. सभी सहकारी बैंको को उपरोक्त जानकारी सिसबी पोर्टल पर प्रस्तुत करनी होगी जिसे भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मान्य एवं प्रकाशित किया जाएगा। “बैंक एडमिन आईडी” प्राप्त करने के लिए, एक बैंक को एक अधिकृत ईमेल आईडी प्रदान करनी होगी जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक (डीएसआईएम – बीबीएसडी) “बैंक एडमिन आईडी” और दो अलग-अलग ईमेलों में उसके पासवर्ड को अग्रेषित कर सके। सिसबी रेपोर्टिंग का एक्सैस प्राप्त करने की मांग करने वाले नए बैंक को इस उद्देश्य के लिए एक अनुरोध पत्र जिसमे लॉगिन क्रेडेंशियल्स प्राप्त करने के लिए बैंक के नोडल व्यक्ति का विवरण, ईमेल आईडी का विवरण के साथ भारतीय रिजर्व बैंक (डीएसआईएम – बीबीएसडी) से संपर्क करना होगा और निम्न मूल दस्तावेज़ प्रदान करने होंगे

  1. सहकारी समितियों के रैजिस्ट्रार / केन्द्रीय सहकारी समितियों के रैजिस्ट्रार से निगमन का प्रमाण पत्र

  2. बैंकिंग व्यवसाय करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से प्राप्त लाइसेंस / प्राधिकरण

  3. भारत में व्यापार शुरू करने का पत्र

  4. व्यवसाय की शुरुआत के बारे में भारतीय रिजर्व बैंक से प्रैस विज्ञप्ति

  5. पंजीकृत उपनियम

5. उपरोक्त दस्तावेजों के आधार पर, भारतीय रिजर्व बैंक (डीएसआईएम-बीबीएसडी) बैंक का ‘मूल विवरण’ भरकर सिसबी प्रणाली में बैंक का खाता खोलेगा।

6. सिस्टम “बैंक एडमिन आईडी” सृजित करेगा और स्वचालित रूप से बैंक के नामित ईमेल आईडी पर “बैंक एडमिन आईडी” और उसका पासवर्ड (दो अलग-अलग ईमेल में) की सूचना भेजेगा।

7. बैंक को आवंटित “बैंक एडमिन आईडी” का उपयोग करके सिसबी पोर्टल (https://cisbi.rbi.org.in) पर लॉगिन करना होगा और पहले लॉगिन पर आवंटित पासवर्ड को बदलना होगा।

8. बैंक को बैंक से संबन्धित सभी जानकारी को भरनी होगी और उसे सिसबी पोर्टल पर प्रस्तुत करना होगा। भारतीय रिजर्व बैंक जानकारी को सिसबी पोर्टल पर मान्य एवं प्रकाशित करेगा।

9. बैंक से संबन्धित पूरी जानकारी प्रस्तुत करने के पश्चात सिसबी बैंक-कोड एवं बैंक कार्य कोड सृजित करेगा।

10. बैंक / बैंक कार्य कोड प्राप्त करने के बाद, बैंक अपने आंतरिक उपयोगकर्ताओं के लिए “बैंक यूजर आईडी” बना सकते हैं। “बैंक यूजर आईडी” का प्रबंधन बैंक की ही जिम्मेदारी रहेगी।

11. बैंक अपने नए ब्रांच / कार्यालय / एनएआईओ / सीएसपी की जानकारी प्रोफॉर्मा के अनुसार “बैंक एडमिन आईडी” या “बैंक यूजर आईडी” से लॉगिन कर के प्रस्तुत कर सकते हैं।

12. मौजूदा जानकारी में किसी भी परिवर्तन की रिपोर्ट करने के लिए, बैंको को मौजूदा जानकारी को संशोधित करना होगा और परिवर्तन की तिथि को दर्शाना होगा।

13. बैंक खुद से संबन्धित डाटा को एक्सैस / डाउनलोड करने के लिए भी इस सुविधा का उपयोग कर सकते हैं।

14. “प्रोफॉर्मा भरने के अनुदेश” अनुबंध-II में दिये गए हैं।

15. बैंको को हर तीन महीने में अनिवार्यतः पासवर्ड रेसेट करना होगा। यदि पासवर्ड निष्क्रिय हो जाता है या भुला दिया जाता है, तो वे सिसबी पर लॉगिन करके (क) “बैंक एडमिन आईडी” का उपयोग “बैंक यूजर आईडी” के पासवर्ड को रिसेट कर सकते हैं (ख) “बैंक एडमिन आईडी” का पासवर्ड रिसेट करने के लिए सिसबी हेल्पडेस्क से संपर्क कर सकते हैं।

16. सभी बदलाव भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमोदन के पश्चात ही सिस्टम में प्रभावित होंगे एवं तदनुसार डेटाबेस में जाएंगे।

17. ‘शून्य रिपोर्ट’ - शून्य रिपोर्ट बैंक की सिसबी में स्थिति दर्शाएगी, यानि महीने के अंतिम दिन कुल कार्यरत और महीने के दौरान खोले / बंद किए गए शाखाएँ / कार्यालयों / एनएआईओ / अन्य स्थायी ग्राहक सेवा स्थल (सीएसपी) (एटीएम इत्यादि) की संख्या दिखाएगी। शून्य रिपोर्ट सिसबी ही सृजित करेगा और बैंको को प्रमाणित करना होगा की सिसबी में जानकारी सही एवं अद्यतन है। यदि किसी बैंक को सिसबी द्वारा उत्पन्न ‘शून्य रिपोर्ट’ और वास्तविक स्थिति में को अंतर दिखाई देता है, तो उन्हे पहले सिसबी पर जानकारी संशोधित करनी होगी, तत्पश्चात ‘शून्य रिपोर्ट’ उत्पन्न कर के सिसबी के माध्यम से प्रस्तुत करनी होगी। (भौतिक प्रति की आवश्यकता नहीं है)

18. सहकारी बैंक हर महीने के अंतिम सप्ताह में, पिछले महीने के अंतिम दिन की स्थिति के लिए ‘शून्य रिपोर्ट’ उत्पन्न करेंगे, प्रमाणित करेंगे, और सिसबी पर प्रस्तुत करेंगे। उदारहणतः जून 2019 के महीने की स्थिति की ‘शून्य रिपोर्ट’ जुलाई 2019 के अंतिम सप्ताह में उत्पन्न की जाएगी एवं प्रस्तुत की जाएगी।

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