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गैर-बैंकिंग वित्‍तीय कंपनियां

यद्यपि यह भूमिका हमारी गतिविधियों का एक ऐसा पहलू है, जिसके संबंध में स्‍पष्‍ट रूप से कहीं उल्‍लेख तो नहीं है, किंतु अति महत्‍वपूर्ण गतिविधियों की श्रेणी में इसकी गिनती की जाती है। इसके अंतर्गत अर्थव्‍यवस्‍था के उत्‍पादक क्षेत्रों को ऋण उपलब्‍धता सुनिश्चित करना, देश की वित्‍तीय मूलभूत संरचना के निर्माण हेतु संस्‍थाओं की स्‍थापना करना, किफायती वित्‍तीय सेवाओं की सुलभता बढ़ाना तथा वित्‍तीय शिक्षण एवं साक्षरता को बढ़ावा देना आदि शामिल हैं।

अधिसूचनाएं


सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र – अग्रिमों की पुनर्रचना

आरबीआई/2018-19/100
बैंविवि.सं.बीपी.बीसी.18/21.04.048/2018-19

1 जनवरी 2019

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित सभी बैंक और
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफ़सी)

महोदया/महोदय

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र – अग्रिमों की पुनर्रचना

1. कृपया दिनांक 07 फरवरी 2018 का परिपत्र बैंविवि.सं.बीपी.बीसी.100/21.04.048/2017-18 तथा 06 जून 2018 का बैंविवि.सं.बीपी.बीसी.108/21.04.048/2017-18 देखें। इस संबंध में, द्बावग्रस्त हो चुके एमएसएमई खातों {एमएसएमई, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास (एमएसएमईडी) अधिनियम, 2006 में यथा पारिभाषित} की सार्थक पुनर्रचना को सुविधाजनक बनाने की दृष्टि से, यह निर्णय लिया गया है कि 'मानक' के रूप में वर्गीकृत एमएसएमई के वर्तमान ऋणों को, आस्ति वर्गीकरण में गिरावट के बिना, एक बार पुनर्रचित किए जाने की अनुमति दी जाए, जो निम्नलिखित शर्तों के अधीन होगी:

i. बैंकों और एनबीएफसी द्वारा उधारकर्ता को, गैर-निधि आधारित सुविधाओं सहित कुल एक्सपोजर, 01 जनवरी 2019 की स्थिति के अनुसार, ₹ 250 मिलियन से अधिक नहीं है।

ii. उधारकर्ता का खाता चूक में है, लेकिन 01 जनवरी 2019 की स्थिति के अनुसार 'मानक आस्ति' है, और पुनर्रचना के कार्यान्वित होने की तिथि तक उसका 'मानक आस्ति' के रूप में ही वर्गीकृत किया जाना जारी रहता है।

iii. उधारकर्ता संस्था पुनर्रचना के कार्यान्वित होने की तिथि को जीएसटी पंजीकृत है। तथापि यह शर्त जीएसटी पंजीकरण से छूट प्राप्त एमएसएमई पर लागू नहीं होगी।

iv. उधारकर्ता खाते की पुनर्रचना 31 मार्च 2020 को या उसके पहले कार्यान्वित हो जाए। पुनर्रचना को कार्यान्वित माना जाएगा, यदि निम्नलिखित शर्तें पूरी की जाती हैं:

  1. सभी उधारदाताओं द्वारा सभी संबंधित प्रलेखीकरण, उधारदाताओं और उधारकर्ता के बीच आवश्यक करार के निष्पादन/ सुरक्षा प्रभार का सृजन/ प्रतिभूतियों को पूर्ण करना समाप्त कर लिया गया हो; तथा

  2. नई पूंजी संरचना और/ या मौजूदा ऋणों के नियम और शर्तों में परिवर्तन सभी उधारदाताओं और उधारकर्ता की खाताबही में विधिवत रूप से दर्शाए गए हों।

v. इन अनुदेशों के तहत पुनर्रचित खातों के संबंध में, पहले से धारित प्रावधानों के अतिरिक्त 5% का प्रावधान किया जाएगा। तथापि, बैंकों के पास निर्दिष्ट अवधि के अंत में इस तरह के प्रावधानों को वापस करने का विकल्प है, जो कि नीचे पैरा 5 में यथा परिभाषित निर्दिष्ट अवधि के दौरान खाते के संतोषजनक प्रदर्शन के अधीन होगा।

vi. पुनर्रचना के बाद, इन खातों का एनपीए वर्गीकरण वर्तमान आईआरएसी मानदंडों के अनुसार होगा।

vii. बैंक और एनबीएफ़सी अपने वित्तीय विवरण में, 'लेखा पर टिप्पणी' के अंतर्गत, इन अनुदेशों के तहत पुनर्रचित किए गए एमएसएमई खातों के संबंध में, निम्नलिखित फ़ारमैट में, उचित प्रकटीकरण करेंगे:

पुनर्रचित किए गए खाते राशि (मिलियन में)
   

viii. एमएसएमई उधारकर्ताओं के ऋण की पुनर्रचना पर लागू अन्य सभी अनुदेशों का लागू होना जारी रहेगा।

2. इस योजना को अपनाने के इच्छुक बैंक और एनबीएफसी इस परिपत्र की तारीख से एक महीने के अंदर इन अनुदेशों के तहत एमएसएमई अग्रिमों की पुनर्रचना पर बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति बनाएँगे। इस नीति में, अन्य बातों के साथ-साथ, दबावग्रस्त खातों के अर्थक्षमता मूल्यांकन और पुनर्रचित खातों की नियमित निगरानी के लिए रूपरेखा शामिल होगी।

3. यह स्पष्ट किया जाता है कि एनपीए के रूप में वर्गीकृत खातों को पुनर्रचित किया जा सकता है; तथापि एनपीए की पुनर्रचना को अधिशासित करने वाले मौजूदा आस्ति वर्गीकरण मानदंड लागू होते रहेंगे।

4. उपर्युक्त एक बार के अपवाद को छोड़कर, सामान्य नियम के रूप में, किसी भी पुनर्रचित किए जाने वाले एमएसएमई खाते का, पुनर्रचित किए जाने के बाद एनपीए की श्रेणी में अवनयन किया जाना आवश्यक है और यह मौजूदा आईआरएसी मानदंडों के अनुसार उत्तरोत्तर निचले आस्ति वर्गीकरण और उच्च प्रावधान अपेक्षा वाली श्रेणी में आता जाएगा। इस तरह के खाते का 'मानक' के रूप में उन्नयन पर विचार केवल तभी किया जा सकता है, जब यह निर्दिष्ट अवधि के दौरान संतोषजनक प्रदर्शन करे।

5. "निर्दिष्ट अवधि" का अर्थ है, पुनर्रचना पैकेज के अनुसार ऋणस्थगन के सबसे लंबी अवधि के साथ, ऋण सुविधा पर ब्याज या मूलधन के पहले भुगतान, जो भी बाद में हो, की शुरुआत से एक वर्ष की अवधि। 'संतोषजनक प्रदर्शन' का अर्थ है कि कोई भी भुगतान (ब्याज और/ या मूलधन) 30 दिनों से अधिक की अवधि के लिए बकाया नहीं रहेगा। नकद क्रेडिट/ ओवरड्राफ्ट खाते के मामले में संतोषजनक प्रदर्शन का अर्थ है कि खाते में बकाया, 30 दिनों से अधिक की अवधि के लिए स्वीकृत सीमा या आहरण क्षमता, जो भी कम हो, से अधिक नहीं होगा।

भवदीय

(सौरभ सिन्हा)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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