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रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 06/2020: उभरते बाजारों में चलनिधि आघात और ओवरनाइट ब्याज दरें: भारत के लिए जीएआरसीएच मॉडल से साक्ष्य

14 मई 2020

रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 06/2020:
उभरते बाजारों में चलनिधि आघात और ओवरनाइट ब्याज दरें:
भारत के लिए जीएआरसीएच मॉडल से साक्ष्य

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला* के तहत “उभरते बाजारों में चलनिधि आघात और ओवरनाइट ब्याज दरें: भारत के लिए जीएआरसीएच मॉडल से साक्ष्य” शीर्षक से वर्किंग पेपर रखा है। यह पेपर भूपाल सिंह द्वारा लिखा गया है।

यह पेपर मांग मुद्रा दरों में बदलाव और अस्थिरता के पैटर्न को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण घर्षण और संरचनात्मक चलनिधि आघात की भूमिका की जांच करता है। जनरलाइज्ड ऑटोरेग्रेसिव कंडिशनल हेटेरोसेडेस्टिसिटी (जीएआरसीएच) मॉडल का उपयोग करते हुए, लेखक इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि भारत में मांग मुद्रा दरों की व्याख्या करने के लिए संरचनात्मक और घर्षण दोनों चलनिधि आघात महत्वपूर्ण हैं, इस प्रकार संचरण प्रक्रिया में चलनिधि आघात से निपटने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है। मांग मुद्रा दरों को संरचनात्मक चलनिधि आघात की तुलना में घर्षण चलनिधि आघात द्वारा अधिक प्रभावित किया जाता है। चलनिधि प्रबंधन के प्रमुख लिखतों में, टिकाऊ चलनिधि को प्रभावित करने वाला खुला बाज़ार परिचालन (ओएमओ) मांग मुद्रा दरों को निर्धारित करने में प्रमुख नीतिगत लिखत के रूप में उभरता है।

अजीत प्रसाद
निदेशक  

प्रेस प्रकाशनी: 2019-2020/2360


* रिज़र्व बैंक ने आरबीआई वर्किंग पेपर श्रृंखला की शुरुआत मार्च 2011 में की थी। ये पेपर रिज़र्व बैंक के स्टाफ सदस्यों द्वारा किए जा रहे अनुसंधान प्रस्तुत करते हैं और अभिमत प्राप्त करने और इस पर अधिक चर्चा के लिए इन्हें प्रसारित किया जाता है। इन पेपरों में व्यक्त विचार लेखकों के होते हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक के नहीं होते हैं। अभिमत और टिप्पणियां कृपया लेखकों को भेजी जाएं। इन पेपरों के उद्धरण और उपयोग में इनके अनंतिम स्‍वरूप का ध्यान रखा जाए।


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