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nesce >> FAQs - Display
Date: 16/02/2021
फेमा, 1999 के तहत उल्लंघनों की कंपाउंडिंग

(16 फरवरी 2021 तक अद्यतन)

अक्सर पूछे जानेवाले प्रश्नो (FAQ’s) के इस समूह में उक्त विषय पर प्रयोगकर्ताओं के सामान्य प्रश्नों के उत्तर आसानी से समझ में आनेवाली भाषा में दिए गए हैं। तथापि, कम्पाउण्डिंग के प्रयोजन से विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999, विदेशी मुद्रा [कम्पाउण्डिंग (क्रियाविधि)] नियमावली तथा मास्टर निदेश- फेमा, 1999 के अंतर्गत उल्लंघनों की कम्पाउण्डिंग (1 जनवरी 2016 का विमुवि के मास्टर निदेश सं.4/2015-16 तथा जिसे 04 जनवरी 2021 की स्थिति के अनुसार अद्यतन किया गया है) का संदर्भ लें।

प्रश्न 1. उल्लंघन और उल्लंघनों की कंपांउंडिंग का अर्थ क्या है?

उत्तर: इस संदर्भ में ‘उल्लंघन’ का आशय विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 और उसके तहत जारी किसी नियम/ विनियम/ अधिसूचना/ आदेश/ निर्देश/ परिपत्र, आदि के प्रावधानों का उल्लंघन करना करना है। कंपाउंडिंग का अर्थ उल्लंघन को स्वैच्छिक रूप से स्वीकार करना, दोष स्वीकार करना और उसके निवारण के लिए अनुरोध करना है। रिज़र्व बैंक को फेमा, 1999 की धारा 13 में यथा-परिभाषित उल्लंघनों के अंतर्गत, उक्त अधिनियम की धारा 3(ए)1 के तहत हुए उल्लंघनों को छोड़कर, उक्त अधिनियम के संबंध में उल्लंघनकर्ता को व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर देने के बाद विनिर्दिष्ट राशि के लिए उल्लंघनों की कंपाउंडिंग करने का अधिकार है। यह एक स्वैच्छिक प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत कोई व्यक्ति अथवा कंपनी स्वयं द्वारा स्वीकार किए गए उल्लंघन की कंपाउंडिंग के लिए अनुरोध करता/करती है। फेमा,1999 के किसी उपबंध के उल्लंघन के संबंध में कंपाउंडिंग प्रणाली उस व्यक्ति को एक तरह से सहूलियत प्रदान करती है, क्योंकि इसमें लेनदेन की प्रक्रियागत लागत अपेक्षाकृत कम होती है। तथापि, जान-बूझकर अथवा गलत इरादे से किए गए उल्लंघन और कपटपूर्ण लेनदेन आदि को गंभीरता से लिया जाता है, जिनकी कंपाउंडिंग रिज़र्व बैंक द्वारा नहीं की जाती है। इसके अलावा, भारत सरकार की दिनांक 20 फरवरी 2017 की अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट विदेशी मुद्रा (कंपाउंडिंग क्रियाविधि) नियमावली, 2000 के नियम 8(2) के परंतुक के अनुसार यदि प्रवर्तन निदेशालय की यह राय है कि कम्पाउण्डिंग क्रियाविधि धन-शोधन निवारण, आतंकवाद का वित्तपोषण अथवा राष्ट्र की सार्वभौमिकता एवं अखंडता को प्रभावित करने की आशंका वाले गंभीर उल्लंघनों से संबंधित है, तो रिज़र्व बैंक द्वारा ऐसे मामलों की कम्पाउण्डिंग नहीं की जाएगी।

प्रश्न 2. कंपाउंडिंग के लिए कौन आवेदन कर सकता है?

उत्तर: यदि कोई व्यक्ति फेमा, 1999 के किसी प्रावधान (धारा 3(ए) को छोड कर) का उल्लंघन करता है अथवा इस अधिनियम के तहत प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए जारी किये गये किसी नियम, विनियम, अधिसूचना, निर्देश अथवा आदेश का उल्लंघन करता है अथवा रिज़र्व बैंक द्वारा जिस शर्त के अधीन प्राधिकार जारी किया गया है, उस शर्त का उल्लंघन करता है, तो वह रिज़र्व बैंक के पास कंपाउंडिंग के लिए आवेदन कर सकता है। फेमा, 1999 की धारा 3(ए) के तहत उल्लंघनों की कंपाउंडिंग के आवेदन प्रवर्तन निदेशालय को प्रस्तुत किए जाएं।

प्रश्न 3. किसी व्यक्ति को कंपाउंडिंग के लिए आवेदन कब करना चाहिए?

उत्तर: यदि किसी व्यक्ति को रिज़र्व बैंक अथवा अन्य किसी सांविधिक प्राधिकारी अथवा लेखा-परीक्षक से अथवा किसी अन्य प्रकार से फेमा, 1999 के प्रवधानों के उल्लंघन के बारे में ज्ञात होता है, तो वह कंपाउंडिंग के लिए आवेदन कर सकता/सकती है। कोई व्यक्ति उल्लंघन के बारे में ज्ञात होने पर स्वतः भी कंपाउंडिंग के लिए आवेदन कर सकता है।

प्रश्न 4. कंपाउंडिंग के लिए आवेदन की प्रक्रिया क्या है?

उत्तर: कंपाउंडिंग के लिए आवेदन करने हेतु दिनांक 1 जनवरी 2016 (18 सितंबर 2019 की स्थिति के अनुसार अद्यतन किया गया) के “मास्टर निदेश – विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के अंतर्गत रिपोर्टिंग” में सूचीबद्ध रिपोर्टिंग तथा अन्य फॉर्मों का उपयोग किया जा सकता है। उक्त मास्टर निदेश रिज़र्व बैंक की वेबसाइट अर्थात https://www.rbi.org.in/hindi/scripts/MasterDirections.aspx?ID=6215 लिंक पर डाउनलोड हेतु उपलब्ध है। उसमें उल्लिखित यथा लागू दस्तावेज भी आवेदनपत्र के साथ संलग्न किए जाने चाहिए।

प्रश्न 5. क्या कंपाउंडिंग के लिए किसी शुल्क का भुगतान किया जाना आवश्यक है?

उत्तर: हाँ। कंपाउंडिंग के लिए अनुरोध करते समय आवश्यक दस्तावेजों के साथ विनिर्दिष्ट फॉर्मेट में आवेदन पत्र और "भारतीय रिज़र्व बैंक" के पक्ष में आहरित रु.5000/- (पांच हजार रुपए मात्र) का डिमांड ड्राफ्ट भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रेषित किया जाना चाहिए।

प्रश्न 6. आवेदन पत्र /फॉर्म में कौन-सी जानकारी भरनी है?

उत्तर: फेमा, 1999 के तहत उल्लंघनों की कंपाउंडिंग के लिए आवेदन करते समय विनिर्दिष्ट फार्मेट में आवेदन पत्र के साथ, आवेदक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI), बाह्य वाणिज्यिक उधार (ECB), समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश (ODI) तथा शाखा कार्यालय/संपर्क कार्यालय, यथा लागू, से संबंधित संलग्नकों (अनुलग्नक ऊपर प्रश्न 4 के उत्तर में उल्लिखित वि.मु.वि. मास्टर निदेश सं. 18/2015-16 में उपलब्ध) के अनुसार ब्योरे भी प्रस्तुत करें, जिसके साथ इस आशय का एक वचनपत्र हो कि वे प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय जाँच ब्यूरो, आदि जैसी किसी एजेंसी की जाँच के अधीन नही हैं, साथ ही संस्था के बहिर्नियम, ईसीएस मैंडेट, कैन्सल चेक की प्रतिलिपि तथा अद्यतन लेखापरीक्षित तुलन-पत्र की प्रतिलिपि भी संलग्न की जाए। रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत किए गए आवेदन में संपर्क विवरण अर्थात आवेदक / प्राधिकृत व्यक्ति या आवेदक के प्रतिनिधि का नाम , टेलीफोन / मोबाइल नंबर और ई-मेल आईडी भी दिया जाए।

प्रश्न 7. कंपाउंडिंग के लिए किसे आवेदन किया जाएगा?

उत्तर: इसके लिए कृपया ‘फेमा, 1999 के तहत उल्लंघनों उल्लंघनों की कंपाउंडिंग’ विषय पर दिनांक 01 जनवरी 2016 को जारी मास्टर निदेश (04 जनवरी 2021 को अद्यतन) के पैराग्राफ 3 एवं 4 का संदर्भ लें। उक्त मास्टर निदेश रिज़र्व बैंक की वेबसाइट अर्थात https://www.rbi.org.in/hindi/scripts/MasterDirections.aspx?ID=5501 लिंक से डाउनलोड किया जा सकता है।

प्रश्न 8. क्या कतिपय अनिवार्य प्रतिबद्धताओं को पूरा किए बिना कंपाउंडिंग आवेदन पत्र रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत किया जा सकता है ?

उत्तर: नहीं। उल्लंघनों की कंपाउंडिंग के लिए अनुरोध करने से पहले सभी आवश्यक अनुमोदन प्राप्त करने आवश्यक हैं और सभी अनुपालन पूर्ण किये जाने अपेक्षित हैं। कार्योत्तर अनुमोदन प्राप्त करने के बाद अभिलेखों का परिशोधन (rectification) करने तथा जो मामले फेमा, 1999 के तहत अनुमत नहीं हैं, तत्संबंधी हुए लेनदेनों को वापस करने/रद्द करने के बाद ही कंपाउंडिंग की जा सकती है। अनुमोदनों तथा अन्य अनुपालनों की प्रतियाँ आवेदन पत्र के साथ संलग्न की जानी चाहिए।

प्रश्न 9. संवेदनशील उल्लंघन कौन-से हैं?

उत्तर: धन-शोधन निवारण, आतंकवाद का वित्तपोषण अथवा राष्ट्र की सार्वभौमिकता और अखंडता को प्रभावित करने की आशंका वाले गंभीर उल्लंघनों को संवेदनशील उल्लंघन माना जाएगा।

10. क्या वैयक्तिक सुनवाई के लिए उपस्थित होना अनिवार्य है?

उत्तर: वैयक्तिक सुनवाई के लिए उपस्थित रहना अनिवार्य नहीं है। यदि कोई व्यक्ति व्यक्तिगत सुनवाई के लिए उपस्थित न रहने का विकल्प चुनता है तो वह अपनी इच्छा/ पसंद (preference) के बारे में सूचित कर सकता है। कंपाउंडिंग प्राधिकारी को प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर आवेदन पत्र का निपटान किया जाएगा। तथापि, यह नोट किया जाए कि मामले में स्वयं उपस्थित होने अथवा न आने का विकल्प देने से कंपाउंडिंग आदेश में लगाई गई दण्डात्मक राशि पर कोई असर नहीं पड़ता है, क्योंकि उसका आकलन मास्टर निदेश में दिये गए मार्गदर्शी नोट में उपलब्ध कम्प्यूटेशन मैट्रिक्स के आधार पर किया जाता है।

प्रश्न 11. क्या आवेदक वैयक्तिक सुनवाई के लिए उपस्थित रहने हेतु किसी अन्य व्यक्ति को प्राधिकृत कर सकता है?

उत्तर: हाँ! आवेदक वैयक्तिक सुनवाई के लिए उपस्थित रहने हेतु अपनी ओर से किसी अन्य व्यक्ति को केवल उचित लिखित प्राधिकार-पत्र के साथ प्राधिकृत कर सकता है। यह सुनिश्चित करना होगा कि आवेदक की ओर से उपस्थित होने वाला व्यक्ति उल्लंघन के स्वरूप और उससे संबंधित विषय से अच्छे से परिचित हो। हालांकि, रिज़र्व बैंक व्यक्तिगत सुनवाई के लिए आवेदक द्वारा किसी प्रतिनिधि को भेजने/विधि विशेषज्ञ/कंसल्टैंट, आदि को साथ लाने के बजाय उसे स्वयं उपस्थित होने के लिए प्रोत्साहित करता है क्योंकि कंपाउंडिंग प्रायः स्वयं द्वारा स्वीकृत उल्लंघन की ही होती है।

प्रश्न 12. कंपाउंडिंग प्रक्रिया का निष्कर्ष किस तरह निकाला जाता है?

उत्तर: कंपाउंडिंग प्राधिकारी उल्लंघन तथा फेमा, 1999 के उन प्रावधानों, जिनका उल्लंघन किया गया है, के ब्योरे दर्शाते हुए एक आदेश पारित करते हैं। उल्लंघन की कंपाउंडिंग के लिए देय राशि कंपाउंडिंग आदेश में दर्शायी जाती है। लगाये गये दण्ड की राशि के भुगतान के पश्चात कंपाउंडिंग प्रक्रिया पूर्ण होती है।

प्रश्न 13. कंपाउंडिंग की राशि की गणना के मानदंड क्या हैं?

उत्तर: कंपाउंडिंग पर लगाई जाने वाली दंड की राशि की गणना संबंधी मार्गदर्शी सिद्धांत ‘फेमा, 1999 के तहत उल्लंघनों की कंपाउंडिंग’ विषय पर दिनांक 01 जनवरी 2016 को जारी मास्टर निदेश (04 जनवरी 2021 को अद्यतन) के पैराग्राफ 7.4 में दिये गए हैं। उक्त मास्टर निदेश रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध है जिसे https://www.rbi.org.in/hindi/scripts/MasterDirections.aspx?ID=5501 लिंक से डाउनलोड किया जा सकता है।

तथापि, यह नोट किया जाए की उपर्युक्त के अनुसार मार्गदर्शी ढांचा केवल विभिन्न कार्यालयों में कंपाउंडिंग प्राधिकारियों द्वारा लगाई जानेवाली दंड की राशि को मोटे तौर पर मानकीकृत करने के प्रयोजन के लिए है तथा दंड की वास्तविक राशि मेँ फेमा, 1999 के अंतर्गत उल्लंघनों की कम्पाउंडिंग पर मास्टर निदेश (दिनांक 1 जनवरी 2016 का मास्टर निदेश सं. 4/ 2015-16 जिसे 04 जनवरी 2021 को अद्यतन किया गया है) के पैराग्राफ सं. 7.3 में दिए गए तथ्यों को ध्यान में लेते हुए मामले की परिस्थितियों के आधार पर परिवर्तन हो सकता है।

प्रश्न 14. आदेश में दी गयी राशि कब अदा की जाएगी?

उत्तर: दण्ड की राशि कंपाउंडिंग आदेश की तारीख से 15 दिनों के भीतर "भारतीय रिज़र्व बैंक" के पक्ष में आहरित डिमांड ड्राफ्ट से अदा की जानी चाहिए जो कंपाउंडिंग आदेश जारी करने वाले क्षेत्रीय कार्यालय/उप-कार्यालय/केन्द्रीय कार्यालय कक्ष, नयी दिल्ली पर देय होगी और यदि इस प्रकार का आदेश सेफा कक्ष, मुंबई द्वारा जारी किया गया हो तो वह मुंबई में देय होगी ।

प्रश्न 15. कंपाउंडिंग आवेदन को अंत में किस प्रकार निपटाया जाता है?

उत्तर: जिस उल्लंघन के लिए कंपाउंडिंग की जाती है, उसके लिए दण्डात्मक राशि की प्राप्ति पर रिज़र्व बैंक द्वारा एक प्रमाणपत्र जारी किया जाता है जिसमें लिखा होता है कि आवेदक ने कंपाउंडिंग प्राधिकारी द्वारा पारित आदेश का अनुपालन कर दिया है।

प्रश्न 16. यदि आदेश की तारीख से 15 दिनों के भीतर रकम अदा नहीं की जाती है तो क्या होता है?

उत्तर: यदि आदेश की तारीख से 15 दिनों के भीतर रकम अदा नहीं की जाती है तो यह समझा जाएगा कि आवेदक ने रिज़र्व बैंक को कंपाउंडिंग के लिए कभी भी आवदेन नहीं किया था और उल्लंघन के संबंध में फेमा, 1999 के अन्य उपबंधों लागू होंगे। ऐसे मामले आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रवर्तन निदेशालय को संदर्भित किए जाएंगे।

प्रश्न 17. क्या कंपाउंडिंग प्राधिकारी के आदेश के विरुद्ध कोई अपील की जा सकती है?

उत्तर: चूँकि स्वैच्छिक रूप से स्वीकार और प्रकट किए गए मामलों के आधार पर ही कंपाउंडिंग होती है, इसलिए विदेशी मुद्रा (कंपाउंडिंग क्रियाविधि) नियमावली, 2000 के अंतर्गत कंपाउंडिंग प्राधिकारी के आदेश के विरुद्ध किसी प्रकार की अपील करने अथवा दण्ड को कम करने या दण्ड की राशि के भुगतान के लिए मोहलत देने संबंधी अनुरोध के लिए कोई प्रावधान नहीं है।

प्रश्न 18. कंपाउंडिंग प्रक्रिया को पूरा करने की समय-सीमा क्या है?

उत्तर: रिज़र्व बैंक को सभी प्रकार से पूर्ण आवेदन पत्र की प्राप्ति की तारीख से 180 दिनों के भीतर सामान्यत: कंपाउंडिंग प्रक्रिया पूरी की जाती है।

प्रश्न 19. कंपाउंडिंग के संबंध में और ब्योरे कहाँ मिल सकते हैं?

उत्तर: कोई भी व्यक्ति रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध कंपाउंडिंग संबंधी मास्टर निदेश देख सकता है ।


1 धारा–3 विदेशी मुद्रा में लेनदेन, आदि - इस अधिनियम, इसके तहत बनाए गए नियमों या विनियमों में अन्यथा रूप में दी गई अनुमति को छोड़कर, अथवा रिजर्व बैंक की सामान्य या विशेष अनुमति के बिना, कोई भी व्यक्ति- (ए) जो प्राधिकृत व्यक्ति नहीं है, उसके साथ विदेशी मुद्रा/ विदेशी प्रतिभूति संबंधी किसी प्रकार का लेनदेन अथवा अंतरण नहीं करेगा।

 
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